हरिद्वार, वाईबीएन नेटवर्क।
हरिद्वार के शमशान घाट में चिताओं की राख से होली खेली गई। किन्नर नागा और अघोरी सन्यासी गुरुवार तड़के शमशान घाट पहुंचे और चिताओं की राख से होली खेली। इस आयोजन के लिए दूर- दूर से तंत्र- मंत्र की साधना करने वाले अघोरी हरिद्वार पहुंचे थे। चिताओं की राख से सन्यासियों की होली देखने के लिए शमशान घाट के पास बड़ा जमावड़ा लग गया। बता दें कि सनातन परंपराओं की कई अनूठी और रहस्यमयी साधनाओं में शमशान की होली भी शामिल है। यह बड़ा आध्यात्मिक और दार्शनिक संदेश देती है।
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मां भवानी शंकर नंद गिरी की अगुवाई में हुई होली
हरिद्वार के खड़खड़ी श्मशान में प्रथम किन्नर नागा सन्यासी माँ भवानी शंकर नंद गिरी की अगुवाई में चिताओं की राख से अनोखी होली खेली गई। इस आध्यात्मिक आयोजन में पारंपरिक रंगों के साथ चिता की राख का उपयोग किया गया, जो जीवन और मृत्यु के चक्र का प्रतीक माना जाता है। इस मौके पर माँ भवानी ने कहा कि "श्मशान की होली" आत्मा की शुद्धि और ब्रह्म साक्षात्कार की साधना का हिस्सा है। यह परंपरा जीवन की नश्वरता और मृत्यु के रहस्य को दर्शाती है।
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यह एक आध्यात्मिक संदेश है
मां भवानी शंकर नंद गिरी ने कहा कि शमशान की होली एक अनुष्ठान मात्र नहीं है। यह एक आध्यात्मिक संदेश है और जीवन की सत्यता भी। यह प्रथा जीवन और मृत्यु के चक्र को समझने और नश्वरता स्वीकार करने की दिशा में उठाया गया कदम है। शमशान ही वह जगह है जहां जीवन की अंतिम सच्चाई सामने आती है। हर जीव को एक दिन मिट्टी में मिल जाना है, इसी सत्य को स्वीकार कर साधक मोह से मुक्त हो जाते हैं। बता दें कि अघोरी साधना के लिए साधक शमसान में ही निवास साधना करते हैं, इस साधना का उद्देश्य मोक्ष प्राप्ति और विश्व कल्याण है।
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देश भर के साधक हुए शामिल
हरिद्वार के शमशान की होली में शामिल होने के लिए देश भर से साधक पहुंचे हैं। प्रमुख रूप से ग्वालियर से तंत्र साधक अनिल शंकर नंद गिरी, देहरादून से अखिल शंकर नंद गिरी, दिल्ली से मां मीनाक्षी नंद गिरी, आजमगढ़ से मां रूद्राणी शंकर नंद गिरी समेत अन्य स्थानों से आए तमाम साधकों ने शमशान पहुंचकर चिताओं की राख से होली खेली।
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