नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
Yuva Diwas 2025: 12 जनवरी का दिन राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन एक ऐसी हस्ती का जन्म हुआ था, जो देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर के युवाओं के लिए प्रेरणा है। हम बात कर रहे हैं स्वामी विवेकानंद के बारे में। 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में जन्में स्वामी विवेकानंद का नाम दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक लोगों और दार्शनिकों में शुमार है। आज हम विवेकानंद
विवेकानंद की जयंती और युवा दिवस
हर साल स्वामी विवेकानंद की जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। विवेकानंद युवाओं को राष्ट्र निर्माण का आधार मानते थे। युवाओं को स्वामी विवेकानंद के दर्शन और विचारों से प्रेरित करने के लिहाज से उनके जन्मदिन को विश्व युवा दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया गया। भारत सरकार ने 1984 में स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। देश भर में युवाओं को स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं और दर्शन से प्रेरित करने के लिए हर साल युवा दिवस धूमधाम से मनाया जाता है।
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कैसे मनाते हैं युवा दिवस
राष्ट्रीय युवा दिवस के मौके पर स्वामी विवेकानंद की याद में रामकृष्ण मिशन, रामकृष्ण मठ और उनकी शाखा केंद्रों के विभिन्न केंद्रों पर भारतीय सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। इस समारोह में मंगल आरती, भक्ति गीत, ध्यान, धार्मिक भाषण और संध्या आरती जैसे कई कार्यक्रम होते हैं। इसके अलावा देशभर के स्कूलों में छात्र योग का आयोजन किया जाता है। इस दिन, स्कूल-कॉलेजों में कविता पाठ, संगीत, गीत, सम्मेलन, सेमिनार, निबंध लेखन प्रतियोगिताएं, स्वामी विवेकानंद पर भाषण जैसे कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
स्वामी विवेकानंद के बारे में जरूरी बातें
स्वामी विवेकानंद का जन्म कोलकाता में विश्वनाथ दत्त और भुवनेश्वरी देवी के घर हुआ था। उनके बचपन का नाम नरेंद्र दत्त था। छोटी उम्र से ही उन्होंने असाधारण बौद्धिक कौशल का प्रदर्शन किया था। बचपन से ही आध्यात्मिकता में उनकी गहरी रुचि थी। उन्होंने रामकृष्ण परमहंस को अपना गुरु बनाया। स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरु के नाम पर रामकृष्ण मिशन की स्थापना की।
जब पूरी दुनिया हो गई विवेकानंद की मुरीद
स्वामी विवेकानंद ने अमेरिका के शिकागो में धर्म संसद के दौरान ऐसा भाषण दिया था, जिससे पूरी दुनिया में खलबली मच गई थी। विवेकानंद ने अमेरिका में दिए भाषण की शुरुआत, "अमेरिकावासी भाइयों और बहनों से की" जिससे पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। इसके बाद विवेकानंद दुनिया में मशहूर हो गए।
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