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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। ऐसा कहा जाता है कि ब्रह्माण्ड के कण-कण में ईश्वर का वास है। उत्तप्रदेश के गाजीपुर में यह कहावत सच होती नजर आई। जब घाट पर एक बड़ा पत्थर तैरता नजर आया। इस पत्थर का वजन करीब ढाई क्विंटल बताया जा रहा है। हिंदू धर्म से जुड़ी पौराणिक कथाओं में ऐसे तैरते पत्थरों का जिक्र रामायण काल में सुनने को मिलता रहा है। ऐसे में लोग श्रद्धा भाव से इसकी पूजा कर रहे हैं।
📍Ghazipur, Uttar Pradesh
— The Honest Hour (@URMILARANI63555) July 19, 2025
A stunning sight in Maa Ganga today — a massive stone, weighing around *2 quintals*, seen floating with the waves.
Locals began worshipping it instantly.
Is it a divine sign or a geological mystery?
How do such stones float?
🎥: @menirbhay93pic.twitter.com/v6peSmLXhz
गंगा में तैरता रहा पत्थर
गाजीपुर जिले में तैरता हुआ पत्थर मिलने के बाद यहां पर लोगों में काफी उत्साह दिखा और वे इसे रामायणकालीन मान कर इसकी पूजा भी कर रहे हैं। स्थानीय मंदिर के पुजारी संत रामाधार के अनुसार जब कुछ भक्तों ने उन्हें सूचित किया कि एक विशाल पत्थर गंगा में तैर रहा है, तो उसे बीच धारा से किनारे पर ले आए।
रामसेतु के पत्थर पानी में क्यों नहीं डूबते थे?
रामायण की कथा के अनुसार, नल और नील नाम के दो वानर बचपन में बहुत शरारती थे। वे ऋषियों के पूजा-पाठ के सामान को उठाकर नदी में फेंक दिया करते थे। उनकी इस हरकत से परेशान होकर ऋषियों ने उन्हें श्राप दिया कि भविष्य में उनके द्वारा फेंकी गई कोई भी वस्तु पानी में नहीं डूबेगी। यह श्राप बाद में उनके लिए वरदान साबित हुआ। जब भगवान राम ने लंका पहुंचने के लिए समुद्र पार करने का निर्णय लिया, तब नल और नील ने पत्थरों को समुद्र में फेंका, जो डूबे बिना पानी की सतह पर तैरते रहे। इन्हीं पत्थरों से रामसेतु का निर्माण हुआ, जिससे राम और उनकी वानर सेना लंका तक पहुंच पाए। यही कारण है कि रामसेतु के पत्थरों को तैरता हुआ बताया जाता है