नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। भारत के कई शहरों के नाम ‘पुर’ या ‘बाद’ प्रत्यय से खत्म होते हैं, जो देश की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को दर्शाते हैं। ‘पुर’ संस्कृत शब्द है जिसका मतलब ‘शहर’ या ‘कस्बा’ होता है और यह प्राचीन काल से राजाओं द्वारा स्थापित बस्तियों के नाम में इस्तेमाल होता रहा है
भारत के शहर उतने ही खास और खूबसूरत हैं जितनी इसकी समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत। जयपुर, कानपुर, हैदराबाद और फरीदाबाद जैसे शहर तो हम सभी जानते हैं, लेकिन हाल ही में सोशल मीडिया पर एक ट्रेंड ने लोगों का ध्यान इस बात की ओर खींचा कि हमारे ज्यादातर शहरों के नाम आखिर ‘पुर’ या ‘बाद’ से क्यों खत्म होते हैं। यह महज संयोग नहीं, बल्कि भारत के इतिहास और सांस्कृतिक प्रभावों का आईना है।
'पुर' और 'बाद' का क्या है रहस्य ?
सोशल मीडिया पर इस सवाल “हर शहर के नाम में ‘पुर’ या ‘बाद’ क्यों होता है?” पर जबरदस्त चर्चा हुई। कुछ ने इसे प्राचीन राजाओं के समय से जोड़ा तो कुछ ने मध्यकालीन इतिहास के संदर्भ में देखा।
दरअसल, ‘पुर’ संस्कृत शब्द है जिसका मतलब होता है ‘कस्बा’ या ‘शहर’। प्राचीन काल से ही इसे बस्तियों और नगरों के नाम में इस्तेमाल किया जाता रहा है। जयपुर, उदयपुर जैसे शहरों में यह प्रत्यय प्राचीन राजाओं और महाराजाओं द्वारा स्थापित शहरों को दर्शाता है। ‘पुर’ का मतलब ‘किला’ भी माना जाता है, इसलिए कई बार किले के साथ जुड़े शहरों के नाम में यह जोड़ा गया। उदाहरण के लिए, जयपुर का नाम महाराजा जय सिंह के नाम पर रखा गया था। वैदिक काल से यह शब्द मौजूद है और ऋग्वेद में भी इसका उल्लेख मिलता है। यह मध्य और दक्षिण भारत के कई शहरों में भी देखने को मिलता है जैसे वाराणसी (काशीपुर) और तिरुपुर।
इसलिए लगाते हैं 'बाद'
दूसरी ओर, ‘बाद’ शब्द की उत्पत्ति फ़ारसी भाषा के ‘आबाद’ से हुई है, जिसका अर्थ होता है ‘विकसित बस्ती’ या ‘बसाया गया स्थान’। यह शब्द मुगल काल के दौरान लोकप्रिय हुआ। मुगल शासकों द्वारा स्थापित शहरों में इस प्रत्यय का इस्तेमाल हुआ जैसे हैदराबाद (हैदर अली के नाम पर) और अहमदाबाद (अहमद शाह के नाम पर)। यह नाम मुगल प्रशासन और सांस्कृतिक विरासत की पहचान हैं। साथ ही, नदियों या जल स्रोतों के पास बसे शहरों में ‘बाद’ का होना जल स्रोतों के महत्व को भी दर्शाता है, क्योंकि खेती और जीवन के लिए पानी की अहमियत होती है।
इस प्रकार, ‘पुर’ और ‘बाद’ जैसे प्रत्यय हमारे शहरों के नामों में इतिहास,संस्कृति और भौगोलिक महत्व की कहानी बयां करते हैं, जो भारत की विविधता और गौरवशाली अतीत की झलक दिखाते हैं।