नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
अक्सर हम सभी ये बात सुनते आए हैं कि चिंता करने से कुछ हासिल नहीं होगा। हाल ही वैज्ञानिकों ने एक शोध किया है जिसमें बताया गया है कि चिंता करने वाले अधिक रचनात्मक होते हैं। जर्नल ऑफ़ क्रिएटिव बिहेवियर में प्रकाशित एक अध्ययन ने रचनात्मकता के साथ चिंता के संबंध का खुलासा किया। एक चिंतित व्यक्ति बहुत सोचता है, बहुत सारे विचार उत्पन्न करता है। अध्ययन में चिंता और रचनात्मकता के मामले में एक दिलचस्प रिश्ता बताया है।
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रचनात्मक सोच पर चिंता का प्रभाव
अध्ययन में 647 प्रतिभागियों पर प्रयोग किया गया ताकि यह समझा जा सके कि चिंता रचनात्मकता को कैसे प्रभावित करती है। उनको दो समूह में बांटा गया । एक वर्ग को बताया गया कि कैसे जल्दी से बड़ी रकम जुटाई जाए। दोनों समूहों को इसके लिए विचार सुझाने थे।
इसके साथ ही, उनसे यह भी कल्पना करने को कहा गया कि पहली डेट किस तरह से हो सकती है। एक समूह को उन सभी तरीकों के बारे में सोचने को कहा गया जिससे यह अच्छी तरह से हो सकती है, जबकि दूसरे को उन सभी तरीकों की कल्पना करने का काम सौंपा गया जिससे यह गलत हो सकती है।
चिंता से आते हैं अधिक विचार
शोधकर्ताओं ने उनके अंदर के विचारों की संख्या और उनकी रचनात्मकता को मापा। परिणामों से पता चला कि जो लोग चिंतित थे, उनके पास ज़्यादा विचार आए, खास तौर पर नकारात्मक काम के लिए। इन विचारों में मौलिकता की कमी थी। दूसरी ओर, जो लोग कम चिंतित थे, उनके पास कम विचार आए, लेकिन उनके विचार अलग और नए थे। साथ ही यह भी बताया गया कि ज्यादा सोचने वाला व्यक्ति अधिक कलात्मक होता है। चिंता कई विचारों को जन्म देती है, लेकिन यह अध्ययन बताता है कि मौलिकता सकारात्मक स्थितियों में पनपती है। यही कारण है कि मन की सकारात्मक स्थिति नए विचारों को जन्म देती है।
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