नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
भारतीय में बाघों के संरक्षण को लेकर बड़ी सफलता हासिल की है। एक रिपोर्ट में बताया गया कि भातरीय बाघों का दायरा हर साल 3000 वर्ग किलोमीटर बढ़ गया है। इस बात से पता चलता है देश में बाघों संरक्षण का काम किस स्तर पर हो रहा है। इसकी देश ही नहीं बल्कि विदश में भी इस काम की तारीफ हो रही है।
भारत ने यह सफलता बाघों को शिकार और हैबिटैट के नुकसान से बचा कर बडी सफलता हासिल की है। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया गया कि बाघों के लिए पर्याप्त शिकार उपलब्ध रहे और इंसानों और जंगली जीवों के बीच टकराव कम हो तथा बाघों वाले इलाके में उनके समुदाय का विस्तार भी हो ।
पूरी दुनिया के तीन चौथाई केवल भारत में
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में 2010 से 2022 के बीच बाघों की आबादी करीब 1,706 से बढ़ कर लगभग 3,682 हो गई। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि पूरी दुनिया में जितने भी बाघ हैं, उसके 75फीसदी तो केवल भारत में ही हैं।
इनकी आबादी इंसानों के लिए फलदायी
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बाघों की आबादी बढ़ने से उनके इलाकों के आस पास रहने वाले लोगों को भी इसका लाभ होगा क्योंकि इससे ईको पर्यटन से हुई कमाई में फायदा होगा। बाघों कें संरक्षण में किए जा रहे प्रयास से बायोडायवर्सिटी को लाभ होगा। जिससे इसके आस- पास रहने वाले सामाजिक समुदाय को भी आर्थिक रूप से लाभ होगा ।
वैज्ञानिकों ने कही बडी बात
बेंगलुरु में स्थित इंडियन नेशनल एकैडमी ऑफ साइंसेज के वरिष्ठ वैज्ञानिक यादवेंद्र देव झाला हैं ने बताया कि "आम धारणा यह है कि जहां ज्यादा घनी इंसानी आबादी हो वहां बाघों की आबादी नहीं बढ़ सकती, लेकिन यह रिसर्च दिखा रही है कि इंसानी आबादी का घनत्व नहीं बल्कि लोगों का रवैय्या ज्यादा महत्वपूर्ण है जो इसके संरक्षण में मुख्य भूमिका निभा सकता है। वन्यजीव संरक्षणकर्ताओं और ईकोलॉजिस्टों का कहना है कि है कि भारत में बाघों और अन्य वन्यजीवों का फायदा तब होगा जब इसका सोर्स डाटा अन्य वैज्ञानिकों को भी उपलब्ध कराया जाएगा। भारत 2011 मेबाघों की संख्या को लेकर चिंतित था। लेकिन अब बाघों की संख्या लगातार बढ रही है।
एक रिपोर्ट में बताया गया है कि बाघ कुछ ऐसे इलाकों से गायब ही हो गए जो राष्ट्रीय उद्यान, वन्य जीव अभयारण्य के अंतर्गत नहीं आते। बाघ ऐसे इलाकों से भी गायब हो गए हैं जहां शहरीकरण बढ़ा है। इंसानों की बढ़ती आबादी उनको शहर में आने पर मजबूर कर दिया है। इससे वन्य प्रजातियों पर खतरा बढ रहा है।
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बाघों के अलावा अन्य प्रजतियां भी हैं खतरे में
झाला ने बताया कि "समुदाय के समर्थन, भागीदारी और समुदाय के फायदों के बिना हमारे देश में संरक्षण संभव नहीं है। भारत में बाघ करीब 1,38,200 वर्ग किलोमीटर में फैले हुए हैं। इसका एरिया लगभग न्यूयॉर्क के बराबर है। इसमें से सिर्फ 25 प्रतिशत इलाके में शिकार उपलब्ध है जबकि इसके 45 प्रतिशत इलाके में जानवरों के अलावा इंसान भी रहते हैं।
भारत में बाघों की आबादी
भारत में बाघों की आबादी 3,682 है। यह दुनिया भर में पाए जाने वाले बाघों का 75 प्रतिशत है। भारत में बाघों की आबादी बढ़ने की वजहें सरकारों के प्रयास, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की पहलें, राज्य सरकारों का सहयोग है। इसी के कारण इनकी संख्या में वृद्धि हुई है। भारत में बाघों की आबादी बढ़ने के बावजूद, कुछ क्षेत्रों में बाघों की आबादी कम हो रही है। देश के मिजोरम, नागालैंड, झारखंड, गोवा, छत्तीसगढ़, और अरुणाचल प्रदेश में बाघों की आबादी लगातार कम हो रही है। ये चिंता का विषय है। इंसानों द्वारा होने वाली शिकार इनकी कमी मे प्रमुख कारण है।
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