आज के समय में तलाक या अलगाव एक आम बात होती जा रही है। हर रोज इसको लेकर कोई न कोई खबर आती रहती है। कुछ समय पहले ही
युजवेंद्र चहल और धनश्री वर्मा की तलाक की अफवाहों से खबरों का बाजार काफी गर्म रहा। अभी हाल ही पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी
वीरेंद्र सहवाग की तलाक की खबर सुर्खियां बटोर रही हैं। इसके इतर अलग होने वाले जोड़े कभी ये नहीं सोचते कि इससे उनके बच्चों पर क्या असर होगा। शोधकर्ताओं ने इसको लेकर कुछ चौकाने वाले खुलासे किए हैं।
तलाकशुदा लोगों के बच्चों को स्ट्रोक का खतरा
शोधकर्ताओं ने बताया कि जिन बूढे लोगों के माता- पिता को बचपन में ही तलाक हो गया था, उनमें स्ट्रोक का खतरा अधिक पाया गया है। 65 साल से अधिक के 13,000 लोगों पर किए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि जिन लोगों के माता- पिता का तलाक उनकी 18 वर्ष की आयु से पहले हो गया था,उनमें 60 फीसदी अधिक स्ट्रोक का खतरा पाया गया है। जो लोग सामूहिक परिवार में पले- बढे उनमें इसका खतरा काफी कम पाया गया। वैज्ञानिकों ने बताया कि डिप्रेशन, मधुमेह और सामाजिक अलगाव से लोगों में स्ट्रोक का खतरा बढ़ रहा है।
कब बढ़ता है खतरा
किसी भी व्यक्ति में स्ट्रोक का खतरा तब होता है जब, दिमाग के किसी हिस्से में खून का संचालन बंद या कम हो जाता है। इससे दिमाग में खून की नली फट जाती है। इसकी वजह से पर्मानेंट डिसेबिलिटी भी हो सकती है। शोधकर्ताओं ने बताया कि इससे इंसान की जान भी जा सकती है।
स्ट्रोक के लक्षण-
- चेहरे, हाथ या पैर अचानक से सुन्न होना या कमजोरी
- बोलने में परेशानी, या या किसी बात को समझने में कठिनाई होना
- एक या दोनों आँखों से देखने में अचानक परेशानी होना
- अचानक चलने में परेशानी, चक्कर आना, बैलेंस होने में दिक्कत