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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
बरेली। बरेली के मेयर डॉ. उमेश गौतम पर पद का दुरुपयोग कर नगर निगम की संपत्ति को खुदबुर्द करके हजारों करोड़ की संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगा है। शासन से की गई शिकायत के बाद उनके खिलाफ जांच शुरू हो गई है।
किला थाना क्षेत्र में रहने वाले महेश पांडे ने प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक और उप्र शासन के मुख्य सचिव को पत्र भेजकर मामले की शिकायत की है। उनका आरोप है कि अवैध कमाई और धनबल के बलबूते मेयर डॉ. उमेश गौतम ने बरेली के शाहजहांपुर रोड के किनारे स्थित बेशकीमती जमीन पर कब्जा कर निर्माण करा लिया। इस निर्माण का मानचित्र भी स्वीकृत नहीं कराया गया।
राजनीति में आने के बाद इसकी आड़ मेयर डॉ. उमेश गौतम ने हजारों करोड़ की अवैध कमाई की। बता दें कि डॉ. उमेश गौतम लगातार दो बार से बरेली नगर निगम के मेयर हैं। वह भाजपा से जुड़े हुए हैं। मामले में मेयर डॉ. उमेश गौतम से उनका पक्ष जानने के लिए कई बार संपर्क किया गया लेकिन उनका फोन नहीं उठा। एडीएम सिटी सौरभ दुबे मामले की जांच कर रहे हैं।
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शिकायतकर्ता का आरोप है कि मेयर डॉ. उमेश गौतम वर्ष 1992-93 में महज एक छोटे लॉटरी के व्यापारी थे। वह बरेली कोतवाली के सामने लॉटरी का काउंटर लगाया करते थे। लॉटरी के जरिये अवैध रूप से संपत्ति अर्जित की और उसका प्रयोग करते हुए राजनीति में पैठ बनाकर जमीन कब्जाकर करोड़ों के मालिक बन गए।
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मेयर डॉ. उमेश गौतम मूलरूप से जनपद मथुरा के रहने वाले हैं। इनके पिता केके गौतम उत्तर प्रदेश पुलिस में उप निरीक्षक के पद पर तैनात रहे थे। बाद में डीएसपी के पद से रिटायर्ड हो गए। आरोप है कि मथुरा में इनके पास गांव में नाममात्र की संपत्ति है लेकिन आज की तारीख में मेयर और उनके परिजनों के नाम कई हजार करोड़ की संपत्ति है।
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शिकायत में आरोप है कि मेयर और उनके परिजनों के नाम पर करीब 15 करोड़ कीमत के लग्जरी वाहन हैं, जोकि बरेली, नोएडा और दिल्ली में पंजीकृत हैं। यही नहीं जिस इंवर्टिस यूनिवर्सिटी के मेयर मालिक हैं आज की तारीख में उसकी कीमत करीब दो हजार करोड़ रुपये है। इसके अलावा सिविल लाइंस में डाकखाने के सामने करोड़ों की कोठी, नोएडा के सेक्टर 36 और 71 में मेयर और उनके परिजनों के नाम संपत्ति है। इनकी कीमत भी कई करोड़ रुपये बताई जा रही है।
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मेयर पर सरकारी धन का बंदरबांट करके कई सौ करोड़ की संपत्ति अर्जित करने का भी आरोप लगा है। शिकायत में आरोप है कि मेयर ने अपने पद और अधिकारों का गलत इस्तेमाल कर सरकारी संपत्ति को भी खुर्दबुर्द किया। जोकि उनके आय के स्त्रोतों से कई सौ गुना अधिक है।