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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
बरेली। भूमि संरक्षण विभाग की वाटरशेड विकास घटक (डब्ल्यूडीसी) और किसान समृद्धि योजना (केएसवाई) योजना में दस करोड़ से ज्यादा के घपले की टीएसी जांच में फंसे कार्यवाहक बीएसए (कृषि) अब खुद पर कार्रवाई होने के डर से छटपटाने लगे हैं। पक्के और कच्चे कामों के भौतिक सत्यापन में भारी खामियां मिलने से घबराए कार्यवाहक बीएसए संजय सिंह बुधवार को जांच टीम पर दबाव बनाने के लिए फरीदपुर में अपने सजातीय विधायक से मिलने पहुंचे। इसके लिए कार्यवाहक बीएसए ने तिलकधारी फर्जी सजातीय किसान की मदद ली। सूत्रों के अनुसार दोनो ने मिलकर टीएसी जांच हल्की कराने के लिए विधायक से जेडीसी को फ़ोन करने के लिए कहा। विधायक से कार्यवाहक बीएसए को आश्वासन मिला कि चिंता मत करो। जांच हल्की करा देंगे। इसके बाद जब कार्यवाहक बीएसए (कृषि) संजय सिंह फरीदपुर से गदगद होकर लौटे। हालांकि विधायक के फोन करने का टीएसी टीम कितना दबाव मानेगी, यह तो भविष्य बताएगा। मगर, जांच में फंसने के डर से अब वह छटपटाने लगे हैं।
निर्माण कार्यों में घटिया ईंट का इस्तेमाल
मंगलवार को टीएसी टीम ने औषधि प्रशासक मदन यादव और टेक्निकल प्रमुख ग्रामीण अभियंत्रण राजेश कुमार के नेतृत्व में ब्लॉक आलमपुर जाफराबाद और मझगवां के गांव रामपुर बुजुर्ग, नौरंगपुर और कुंडरिया इकलाखपुर में जांच करने गई थी। इस जांच में खेत समतलीकरण कारण और मेडबंदी फर्जी तरीके से निर्धारित मानक के विरुद्ध की हुई पाई गई थी। रामपुर बुजुर्ग गांव के किसानों ने जांच टीम को बताया था कि मेडबंदी और खेत समतलीकरण ऐसे किसानों का कर दिया गया, जो उसे गांव में रहते ही नहीं। कोलाबा के निर्माण में पीला और दोयम दर्जे की घटिया ईट का इस्तेमाल किया गया था।
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निर्धारित मानक से कम थी गहराई
जांच टीम को पक्के निर्माण कार्यों में नींव गायब मिली। साथ ही पक्के निर्माण कार्यों में निर्धारित मानक से लंबाई चौड़ाई और गहराई भी कम थी। पक्के निर्माण कार्य में रेता और सीमेंट का इस्तेमाल भी निर्धारित मानक से बहुत कम किया गया था। तमाम जगहों पर कुलाबे ऐसी जगह बनाए गए, जहां पानी रोकने या निकालने में उनका कोई उपयोग नहीं है। सरकार के 22 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट का किसानों के लिए कोई फायदा नहीं हुआ। अधिकांश बजट का भूमि संरक्षण अधिकारी के नेतृत्व में भारी दुरूपयोग किया गया है। ऊपर नीचे ऊबड़ खाबड़ जमीन में पानी रोकने के लिए कोलाबा निर्माण में बड़ा घपला होने से करोड़ों रुपए के सरकारी बजट के दुरुपयोग की आशंका जांच टीम की ओर से जाहिर की गई थी।
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कार्यवाहक बीएसए ने नही दिए रिकार्ड
टीएसी जांच टीम जॉइंट डायरेक्टर एग्रीकल्चर राजेश कुमार और कार्यवाहक भूमि संरक्षण अधिकारी संजय सिंह को कई बार पत्र लिखकर वाटरशेड विकास घटक और किसान समृद्धि योजना में अब तक हुए कामों के अभिलेख, जिसमें काम की प्रोजेक्ट रिपोर्ट एमबी, पीवी और मैप मांग चुकी है। मगर, कार्यवाहक बीएसए कृषि संजय सिंह आधे अधूरे अभिलेख देकर जांच टीम को गुमराह करने में लगे हुए हैं। उनके जो काम भौतिक सत्यवान में घटिया स्तर के पाए गए हैं, उन कामों को प्रधान की अगुवाई में बनी कमेटी द्वारा फिर से सुधार करने की बात कह कर जांच टीम को गुमराह किया गया।
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गांव के एक फर्जी तिलकधारी किसान की मदद से मिलकर रखी बात
जांच टीम के प्रमुख और अधिशासी अभियंता ग्रामीण अभियंत्रण सेवा, राजेश कुमार ने जब कार्यवाहक भूमि संरक्षण अधिकारी संजय सिंह से पूछा कि आधे अधूरे काम को कौन पूरा कराएगा। इसके जवाब में संजय सिंह ने गुमराह करते हुए कहा कि वाटरशेड कमेटी गांव में प्रधान के नेतृत्व में बनी हुई है। ग्राम सभा की बैठक के बाद प्रधान इन अधूरे कामों को पूरा करेंगे। जबकि हकीकत यह है कि वाटर सेट विकास घटक और किसान समृद्धि योजना का बैंक खाते से सरकारी बजट निकालने का अधिकार केवल कार्यवाहक भूमि संरक्षण अधिकारी को ही है। कार्यभार भूमि संरक्षण अधिकारी अधिकांश बजट निकालकर पहले ही गोलमाल कर चुके हैं।
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जेडीसी से सिफारिश की लगाई गुहार
उनके पास तमाम कामों के रिकॉर्ड या तो उपलब्ध नहीं है या फिर वह जांच टीम को जानबूझकर वह रिकॉर्ड देना नहीं चाहते। कार्यवाहक बीएसए का सहयोग न मिलने की वजह से टीम को जांच करने में दिक्कतें आ रही हैं। भूमि संरक्षण विभाग के कच्चे और पक्के कामों से जुड़े अभिलेखों को मांगने के लिए टीएसी जांच टीम की तरफ से कार्यवाहक बीएसए को अंतिम पत्र भेजा जा रहा है। अगर इस अंतिम पत्र के बाद भी उन्होंने प्रोजेक्ट रिपोर्ट एमबी पीवी और मैप समेत अन्य पूरे रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं कराई तो जांच टीम कार्यवाहक बीएसए संजय सिंह पर कड़ा एक्शन ले सकती है।
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लखनऊ में जेई को पड़ी फटकार, भरी मीटिंग में खड़ा रखा
कार्यवाहक भूमि संरक्षण अधिकारी संजय सिंह के खास माने जाने वाले अवर अभियंता रामकृष्ण वर्मा बुधवार को लखनऊ में भूमि संरक्षण से जुड़े प्रोजेक्ट की प्रगति की जानकारी देने के लिए नोडल अधिकारी हीरालाल की मीटिंग में गए। सूत्रों के अनुसार वह नोडल अधिकारी हीरालाल के सवालों का जवाब नहीं दे पाए तो नोडल अधिकारी ने उनको भरी मीटिंग में खड़ा कर दिया और कड़ी फटकार लगाई। बरेली के भूमि संरक्षण के कामों में घोटाले होने और अपेक्षित प्रगति न होने से वाटरशेड विकास घटक के नोडल अधिकारी बहुत नाराज हैं। इस मामले में भूमि संरक्षण विभाग के अफसर, जेई और टेक्निकल स्टॉफ पर बड़ी कार्रवाई हो सकती है।