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बरेली, वाईबीएन नेटवर्क। दीपावली का पर्व आज मनाया जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, सूर्यास्त के बाद लगभग 2 घंटे का समय प्रदोष काल कहलाता है। यह समय दिन और रात के संधि काल के समान होता है। माना जाता है कि इस समय वातावरण में दिव्य ऊर्जा का प्रवाह बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। इस काल में की गई पूजा अत्यंत शुभ और फलदायी मानी जाती है। लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए पूजा स्थिर लग्न और प्रदोष काल में करना सबसे शुभ माना जाता है।
पूजन का समय
प्रदोष काल मुहूर्त (मुख्य) - शाम 07:08 PM से 08:18 PM तक 1 घंटा 10 मिनट
प्रदोष काल - शाम 05:46 PM से 08:18 PM तक
वृषभ काल (स्थिर लग्न) - शाम 07:08 PM से 09:03 PM तक
निशिता काल मुहूर्त रात 11:41 PM से 12:31 AM (21 अक्टूबर)
पूजन सामग्री
पूजा के लिए मां लक्ष्मी और गणेश जी की प्रतिमा और कलावा अवश्य रखें।
भगवानों के वस्त्र और शहद शामिल करें।
गंगाजल, फूल, फूल माला, सिंदूर और पंचामृत
बताशे, इत्र, चौकी और लाल वस्त्र के साथ कलश
शंख, आसन, थाली, चांदी का सिक्का।
कमल का फूल और हवन कुंड।
हवन सामग्री, आम के पत्ते और प्रसाद
रोली, कुमकुम, अक्षत (चावल), पान।
इस दौरान सुपारी, नारियल और मिट्टी के दीए संग रुई भी शामिल करें।
इन सभी सामग्रियों को एकट्ठा करने के बाद आप मां लक्ष्मी और गणेश जी पूजा कर घर में सुख सौभाग्य प्राप्त कर सकते है।
आचार्य पुरोहित से ही समय पूछकर करें पूजन
पंडित मुकेश मिश्रा का कहना है कि पूजा के लिए हमेशा शुभ मुहूर्त बहुत जरूरी है। हिंदू पंचाग का महत्व बहुत है। किसी सोशल मीडिया के माध्यम से नहीं अपने आचार्य पुरोहित से ही शुभ मुहूर्त को पूछकर अपने घर में पूजा करें। क्योंकि आजकल तमाम लोग सोशल मीडिया पर उल्टेसीधे समय दे रहे हैं। जबकि समय हमेशा स्थानीय सूर्योदय के मुताबिक होते हैं। जोकि आपके आचार्य ही स्थानीय समय के मुताबिक दे सकते हैं।
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