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एसआरएम्एस रिद्धिमा के प्रेक्षागृह में नाटक मंचन।
बरेली, वाईबीएन नेटवर्क। एसआरएम्एस रिद्धिमा के प्रेक्षागृह में रविवार (16 नवंबर 2025) शाम नाटक अलाना का मंचन हुआ। डॉ. शैलेन्द्र सिंह की कहानी पर आधारित नाटक अलाना का नाट्य रूपांतर डॉ. प्रभाकर गुप्ता और अश्वनी कुमार ने किया।
जबकि निर्देशन विनायक कुमार श्रीवास्तव ने। नाटक में मुख्य पात्र अलाना नाम की महत्वाकांक्षी लड़की की है, वो लग्जरी लाइफ जीना चाहती है और इसके लिए वह कुछ भी कर सकती है। अलाना अपनी सहेली शीन को बताती है कि उसे जिन्दगी में बड़ी सी नाव, हवाई जहाज ,पेरिस की सड़कें बहुत पसंद है और उसे ये सब उसे अपनी जिन्दगी में किसी भी हालत में चाहिए। उसकी जिन्दगी में बहुत अमीर दोस्त है, लेकिन अलाना कहती है, इन दोस्तों के साथ छुट्टी तो मना सकती है, लेकिन ये मेरी मज़िल नहीं है। अलाना की ज़िन्दगी में 65 वर्षीय भास्कर नाम का एक व्यक्ति आता है। जो अलाना की उम्मीद से ज़्यादा अमीर है। अलाना भास्कर से उसके घर पर मिल कर शादी का प्रस्ताव रखती है। भास्कर उसे अपनी उम्र और बीमारियों के बारे बताता है, लेकिन अलाना उसे कहती कि उसे उसकी उम्र और बीमारी से मतलब नहीं है। वो चाहती कि वो अपनी ऊर्जा और भास्कर के अनुभव से बिजनेस को बहुत ऊंचाई तक ले जाए। भास्कर शादी के लिए मान जाता है। शादी के बाद दोनों खुशहाल जीवन बिता रहे थे ,लेकिन अचानक अलाना की तबियत खराब हो जाती है। जांच में उसको बोनमैरो की प्रॉब्लम का बता चलता है। डॉ. कपूर बोलती है कि बोनमैरो ट्रांसप्लांट करना होगा। बहुत कोशिश के बाद भी बोनमैरो के लिए कोई डोनर नहीं मिलता। अलाना की हालत बिगड़ती जा रही थी। फिर भास्कर अपना बोनमैरो टेस्ट करवाता है, उसका बोनमैरो मैच हो जाता है। भास्कर अलाना को बोनमैरो डोनेट कर देता है। इससे अलाना स्वस्थ हो जाती है, लेकिन बोनमैरो डोनेट के दौरान उसे गंभीर घाव हो जाने से भास्कर बीमार हो जाता है। उसकी मृत्यु हो जाती है। तब अलाना को एहसास होता है कि वो कितनी गलत थी। भास्कर तो उसे बहुत प्यार करता था और उसने सिर्फ अधिक धन के कारण उससे शादी की। यही आत्मग्लानि और पश्चाताप अलाना की ज़िन्दगी बदल देता है। जिस धन के कारण उसने भास्कर से शादी की, उसी धन से अलाना को विरक्ति हो गयी। वो संन्यास ले लेती है। 15 साल संन्यास में रहने बाद भी अलाना को शांति नहीं मिलती है। तब वो एक महिला साध्वी यानि गुरु मां के पास जाती है और अपने अशांत मन की व्यथा सुनती है। गुरु मां कहती है कि तुम्हें संन्यास लेने के लिए किसने कहा, किसने कहा तुम कर्म मत करो। तुम्हे अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए। तुम कर्म से मुँह मत मोड़ो और कर्म करो। अलाना गुरु मां से प्रेरित होकर अपने पति के ऑफिस जाना शुरू कर देती है और अपनी कंपनी को ऊंचाई तक ले जाती है। उसे बिजनेस टाइकून का अवार्ड मिलता है। अंत में वो अवार्ड अपने पति भास्कर को समर्पित कर अवार्ड उसकी तस्वीर पास रख देती है। सही मायने में यही उसका प्रायश्चित है। नाटक में अलाना की भूमिका में हरीम फातिमा, भास्कर गौरव कुमार, शीन की भूमिका में कविता तिवारी, डा. कपूर की भूमिका में ऋषिता राज, गुरु मां की भूमिका में साक्षी गोयल ने अभिनय किया। सूत्रधार की भूमिका अनमोल मिश्रा ने निभाई। नाटक में वायलिन पर सूर्यकान्त चौधरी और की बोर्ड पर अनुग्रह सिंह रहे जबकि साउंड का संचालन हर्ष गौड़ एवं प्रकाश संचालन जसवंत सिंह ने किया। इस मौके पर एसआरएमएस ट्रस्ट के संस्थापक एवं चेयरमैन देव मूर्ति, आदित्य मूर्ति, आशा मूर्ति, उषा गुप्ता, डा. एमएस बुटोला, डा. प्रभाकर गुप्ता, डा. अनुज कुमार, डा.शैलेश सक्सेना, डा.आशीष कुमार, डा.रीता शर्मा सहित शहर के गण्यमान्य लोग मौजूद थे।
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