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राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से बरेली की पुष्पलता गुप्ता को मिला सम्मान

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की प्रेरणा से आज राजभवन में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देने वाली 120 महिलाओं को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।

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Sudhakar Shukla
anandi ben
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बरेली, वाईबीएन संवादाता

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बरेली। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की प्रेरणा से आज राजभवन में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देने वाली 120 महिलाओं को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। गवर्नर से सम्मानित होने वालों में बरेली की पुष्पलता गुप्ता भी हैं। वह 26 वर्ष से दिव्यांग बच्चों को समर्पित  हैं। इन बच्चों को शिक्षित करने के लिए बरेली में दिशा इंटर कॉलेज की स्थापना की थी। उनके सामाजिक कार्यों के लिए राज्यपाल की ओर से सम्मानित किया गया।

1998 में 2 बच्चों से हुई शुरुआत, अब 400 से अधिक विद्यार्थी

1998 से 02 बच्चों से शुरू हुई यह संस्था अब 400 से अधिक बच्चों को  शिक्षा देने वाली समर्पित संस्था है। महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड विश्वविद्यालय बरेली से संचालित यह संस्था अब डिग्री तक शिक्षा आरम्भ करने जा रही हैं। रोहिलखंड विश्वविद्यालय बरेली के कुलपति प्रो के पी सिंह समेत समस्त विश्विद्यालय परिवार ने पुष्पलता गुप्ता की इस उपलब्धि पर शुभकामनाएं प्रेषित की।

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राज्यपाल ने महिलाओं की उत्कृष्टता पर प्रकाश डाला

राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि महिलाओं में संवेदनशीलता और मानवता अधिक होती है।  यही कारण है कि वे हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं और उत्कृष्ट कार्य कर रही हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं में सेवा भाव भी प्रबल होता है, जो उन्हें जीवनभर कर्मशील बनाए रखता है। महिलाएं चाहे घर में हों या फिर कार्यालय में। वह किसी अन्य क्षेत्र में कार्यरत हों, वे सदैव ऊर्जा से भरपूर रहती हैं और स्वस्थ जीवन जीती हैं। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि महिलाएं आज घर और कार्यालय दोनों का प्रबंधन कुशलता से कर रही हैं। वे ही एक मकान को घर बनाती हैं और परिवार, परंपरा, संस्कृति, समाज तथा बच्चों को संभालने की जिम्मेदारी निभाती हैं।

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बेटों से भी सवाल पूछने पर दिया जोर

ज्यपाल ने इस अवसर पर बेटियों और बेटों की समान परवरिश पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि जैसे हम बेटियों से पूछते हैं कि वे कहां गई थीं और क्या कर रही थीं।  वैसे ही बेटों से भी यह पूछना चाहिए। इससे उनमें अनुशासन की भावना विकसित होगी और वे अधिक जिम्मेदार बनेंगे। इसके अलावा, उन्होंने इस बात की आवश्यकता बताई कि बेटों और बेटियों दोनों को घर के कार्यों में पारंगत किया जाए, जिससे वे अपनी पढ़ाई के साथ घर के कार्यों को भी सीख सकें।

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माता-पिता की सेवा और गोल्ड मेडल की उपलब्धि

राज्यपाल ने अपने राजनीतिक और पारिवारिक संघर्षों की प्रेरणादायक कहानी भी साझा की। महिलाओं और समाज की बेहतरी के लिए कुछ करने की इच्छाशक्ति ने उन्हें राजनीति की ओर प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि वे राजनीति में कैसे आईं। अपने परिवार और पढ़ाई को लेकर उन्होंने किन चुनौतियों का सामना किया। जीवन के कठिन समय में किस तरह उन्होंने अपने धैर्य और संकल्प को बनाए रखा। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे उन्होंने माता-पिता की सेवा करते हुए पढ़ाई में भी गोल्ड मेडल प्राप्त किया और समाज सेवा को सदैव अपनी प्राथमिकता में रखा।

माताओं से बच्चों को खेलों के लिए प्रोत्साहित करने की अपील

राज्यपाल ने खेलों के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि “जो खेलेगा, वही खिलेगा।“ उन्होंने माताओं से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों को खेलने के लिए प्रोत्साहित करें। उन्होंने बताया कि जब बच्चे अपने दादा-दादी के साथ खेलते हैं। उनका लगाव परिवार से और अधिक बढ़ता है। वे परिवार के महत्व को समझते हैं। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि बच्चों को प्रारंभ से ही संयुक्त परिवार की भावना सिखानी चाहिए, ताकि वे अपने बड़ों का सम्मान करें और समाज में अच्छे संस्कारों का प्रसार कर सकें।

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महिलाओं द्वारा आधुनिक तकनीक का उपयोग

राज्यपाल ने ड्रोन दीदी योजना की सराहना करते हुए कहा कि महिलाएं आधुनिक तकनीक का उपयोग कर किसानों की सहायता कर रही हैं। उनसे समाज और देश को व्यापक लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि महिलाएं देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। वे न केवल परिवार और बच्चों को संभाल रही हैं, बल्कि कार्यालयों का कार्यभार भी कुशलता से निभा रही हैं और राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका अदा कर रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जब कोई आपदा या संकट आता है तो महिलाएं आगे बढ़कर समाज और राष्ट्र के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य करती हैं।

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