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बडे़ बीजेपी नेता ने लखनऊ किया फोन... कृषि विभाग में हड़कंप... जानिए क्यों

एक बड़े भाजपा नेता ने कृषि विभाग के बाबू को रिलीव कराने के लिए लखनऊ कृषि निदेशालय के अफसर को फ़ोन किया। लखनऊ से बरेली फोन आया। उसके बाद तो कृषि विभाग में हड़कंप मच गया।

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Sudhakar Shukla
dharna
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

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बरेली। एक बड़े भाजपा नेता ने कृषि विभाग के बाबू को रिलीव कराने के लिए लखनऊ कृषि निदेशालय के अफसर को फ़ोन किया। लखनऊ से बरेली फोन आया। उसके बाद तो कृषि विभाग में हड़कंप मच गया। कृषि और कृषि रक्षा विभाग के दो बाबू शोले फिल्म के जय वीरू की तरह तत्काल लखनऊ पहुंच गए। किसी तरह से रिलीविंग रुकवा लें ताकि ऊपरी कमाई जारी रहे। 

22 साल से तैनात बाबू का तबादला, फिर भी रिलीव नहीं

कृषि विभाग में 22 साल से तैनात एक बाबू का शासन ने जून 2024 में तबादला कर दिया था। उसके बाद भी यह बाबू कृषि विभाग से अब तक रिलीव नहीं किए गए। इसकी वजह है खाद/बीज की दुकानों से होने वाली लाखों रुपए की ऊपरी कमाई। यह मामला अभी चल ही रहा था, कि एक दिग्गज बीजेपी नेता ने कृषि निदेशक को फोन करके बाबू को ट्रांसफर होने के बाद भी रिलीव न करने की वजह पूछ ली। यह बात जैसे ही कृषि विभाग में लीक हुई, वैसे ही जिला कृषि अधिकारी के दफ्तर में कार्यरत दोनों बाबू मिनिस्ट्रियल एसोसिएशन के धरना प्रदर्शन में हिस्सा लेने की बात कहकर कृषि निदेशालय में सेटिंग बिठाने के लिए लखनऊ पहुंच गए। 

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22 साल से एक ही पटल पर जमे बाबू का खेल

विकास भवन स्थित जिला कृषि अधिकारी ऋतुषा तिवारी के दफ्तर में कार्य बाबू अमित कुमार वर्मा बीते 22 साल से घूम फिर कर यही पटल देख रहे हैं। बीच में उनका एक दो बार ट्रांसफर हुआ भी तो भी ऊपरी कमाई के चक्कर में उन्होंने उसे जुगाड तिगाड़ करके खुद को रिलीव नही होने दिया। न ही ऊपरी कमाई वाला पटल नहीं छोड़ा। बीते साल 24 जून को भी शासन से अमित कुमार वर्मा का ट्रांसफर विकास भवन के ही कृषि रक्षा विभाग के कार्यालय में वरिष्ठ सहायक के पद पर हो गया।  कृषि रक्षा विभाग में कनिष्ठ सहायक के पद पर पहले ही एक मठाधीश बाबू कार्यरत हैं। दोनों के बीच ट्यूनिंग अच्छी है। एक बाबू की मोटी ऊपरी आमदनी खाद की दुकानों से है तो दूसरे बाबू की ऊपरी आमदनी बीज और कीटनाशक की दुकानों से है। दोनो में लाइसेंस निर्माण से लेकर नवीनीकरण में हर सीजन में लाखों रुपए की ऊपरी कमाई होती है।

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कृषि विभाग में बाबुओं की ऊपरी कमाई का खेल

सूत्रों के मुताबिक दोनों बाबू की ऊपरी कमाई में कृषि विभाग के स्थानीय अफसर से लेकर कृषि निदेशालय तक के अवसरों को भी मोटा हिस्सा पहुंचता है। इसके चलते घपलों में लिप्त बाबूओ के एक तो दशकों तक ट्रांसफर नहीं होते। बम मुश्किल किसी तरह ट्रांसफर हो भी जाए तो बाबू उसे सेटिंग और गेटिंग लगाकर रखवा लेते हैं।

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कृषि निदेशक से फोन पर हुई बात, मचा हड़कंप

सूत्रों के अनुसार कुछ किसान भाजपा के उच्च पद पर आसीन एक नेता के दफ्तर में पहुंचे। उन्होंने कृषि विभाग के बाबू अमित कुमार वर्मा के रिलीव न करने का मसाला उनको बताया। भाजपा के दिग्गज नेता ने इस मसले पर लखनऊ में कृषि विभाग के निदेशक  से फ़ोन पर बात की । सूत्रों का कहना है कि लखनऊ से जैसे ही कृषि विभाग के अधिकारियों से इस बारे में पूछा गया तो हड़कंप मच गया। इसके बाद कृषि और कृषि रक्षा विभाग के दोनों बाबू मिनिस्ट्रियल एसोसिएशन के धरना प्रदर्शन में हिस्सा लेने का बहाना बनाकर लखनऊ दौड़ पड़े। कृषि विभाग के सूत्रों का कहना है कि दोनों बाबू लखनऊ धरना प्रदर्शन की आड़ में कृषि निदेशालय से अपनी रिलीविंग रुकवाने की सेटिंग करने के लिए गए हैं। कृषि विभाग के बाबू पहले भी सेटिंग गेटिंग फार्मूले से अपनी रिलीविंग रुकवा चुके हैं। इसलिए उनको अपनी काबिलियत पर पूरा भरोसा है कि इस बार भी वह ऊपरी कमाई की धनराशि का कुछ हिस्सा लखनऊ में देकर अपनी रिलिविंग कुछ समय के लिए टलवा लेंगे ताकि खाद और बीज की दुकानों से ऊपरी कमाई का क्रम आगे भी जारी रहे।

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