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बरेली। भूमि संरक्षण विभाग के घपले वाले कामों की जबसे तक जांच शुरू हुई हैं, तबसे विभागीय अफसर और कर्मचारियों में बेचैनी का माहौल हैं। टीएसी जांच टीम को अब तक बीएसए (कृषि) दफ्तर की ओर से संपूर्ण अभिलेख उपलब्ध नहीं कराए गए थे जबकि जांच टीम ने 11 फरवरी को स्थलीय निरीक्षण के लिए पत्र जारी किया हैं। बीएसए दफ्तर में देर रात तक पत्रांक डालकर बैक डेट में आदेश और बी जैसे प्रपत्र तैयार किया जा रहे हैं ताकि गोलमाल उजागर न हो।
भूमि संरक्षण विभाग की डब्ल्यूडीसी और किसान समृद्धि योजना में दस करोड़ रुपए से ज्यादा के घपले की जॉच चल रही हैं। प्रथम चरण की जांच में पिछ्ले महीने टीएसी टीम ने ब्लॉक रामनगर के किटौना गांव का भौतिक सत्यापन किया था। उसमें कच्चे काम निर्धारित मानक से कम पाए गए थे। खेत समतलीकरण, मेडबंदी और कच्चा नाला निर्माण भी निर्धारित मानक के विरुद्ध जांच टीम को मौके पर मिला था। इसके अलावा पक्के निर्माण कार्यों में जांच टीम को पीला और दोयम दर्ज की घटिया ईट मिली थी। कोलाबा निर्माण में नीव गायब थी। गांव वालों ने जांच टीम को बताया था कि नीव में तीन रद्दए लगाकर 5 से 7 रद्दों का पेमेंट कराया गया। गांव के प्रधान नंदकिशोर वर्मा ने भी घपले की बात स्वीकार की थी। दोनों योजनाओं में ब्लाक रामनगर आलमपुर जाफराबाद और मझगामा के 104 गांव में पक्के और कच्चे काम चल रहे हैं अधिकांश कामों में भारी गड़बड़ और करोड़ों रुपए का गोलमाल हैं।
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सूत्रों के अनुसार कार्यवाहक भूमि संरक्षण अधिकारी संजय सिंह जांच टीम को गुमराह करने के लिए अपने स्टॉफ से पुराने कामों की एमबी अब बनाने में जुटे हैं। इसके लिए देर रात तक उनका दफ्तर खुला रहता है और कर्मचारी काम करते रहते हैं। कार्यवाहक बीएसए अपने जेई पर भी पुराने कामों की बी करने का दबाव बना रहे हैं ताकि उसे दिखा कर जांच टीम को गुमराह किया जा सके। जेई ने पुराने कामों की एमबी करने से इनकार कर दिया हैं। उससे खिसियाकर कार्यवाहक बीएसए ने जेई पर कार्रवाई करने की धमकी दी हैं।
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शासन के नियम अनुसार पक्के निर्माण कार्यों की पहले एमबी होती हैं। उसी एमबी के आधार पर ठेकेदार का पेमेंट होता है। मगर, भूमि संरक्षण विभाग के कार्यवाहक बीएसए संजय सिंह पहले दोनों योजना के कामों का मनमानी तरीके से पेमेंट निकल चुके हैं। अब उसी पेमेंट के आधार पर एमबी तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं जो कि सरासर गलत हैं।
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कार्यवाहक भूमि संरक्षण अधिकारी संजय सिंह जांच टीम को गुमराह करने के लिए डिस्पैच रजिस्टर में खाली जगह छोड़कर लिखा पड़ी कर रहे हैं, ताकि जांच के लिए बैक डेट पर में पत्र जारी कर सकें। इसके अलावा वह पुराने कामों की अपने स्टाफ से एमबी करने समेत अन्य अधूरे अभिलेख भी पूर्ण करने में जुड़े हैं ताकि जांच उनके पक्ष में हो सके मगर ऐसा होता दिख नहीं रहा हैं। क्योंकि अब तक टीएसी टीम को जांच में तमाम खामियां अब तक प्राप्त हो चुकी हैं। जांच टीम 11 फरवरी को फिर से भौतिक सत्यापन गांव में जाकर करेगी।
मेरी तरफ से जांच पूरी की जा चुकी हैं। मै आज बिजनौर में हूं। अब टीएसी टीम जांच कर रही हैं। वही इस बारे में बेहतर बता सकते हैं।
नीरजा सिंह, प्रभारी संयुक्त निदेशक कृषि बरेली मंडल बरेली