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Ayushman Yojana में फंसा अस्पताल संचालकों का करोड़ों रुपया, सड़क पर उतरे doctor, डीएम आवास घेरा

आयुष्मान योजना के तहत किए गए इलाज का करोड़ों रुपया निजी अस्पताल संचालकों को अब तक नहीं मिला है, इसे लेकर मंगलवार को बरेली के डॉक्टर सड़क पर उतर आए। उन्होंने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) कार्यालय से डीएम आवास तक पैदल मार्च निकालकर डीएम को ज्ञापन सौंपा।

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KP Singh
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

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बरेली। सरकार की ओर से गरीबों के मुफ्त इलाज के लिए चलाई गई आयुष्मान योजना में निजी अस्पताल संचालकों के करोड़ों रुपये फंस गए है। कई बार मांग करने के बाद भी भुगतान न होने पर मंगलवार को आईएमए के डॉक्टर सड़क पर उतर आए। डॉक्टरों ने आईएमए हॉल से डीएम आवास तक पैदल मार्च किया। इसके बाद डीएम आवास का घेराव किया।

बड़ी तदाद में डॉक्टरों के डीएम आवास के बाहर इकट्ठा होने पर सुरक्षाकर्मियों में खलबली मच गई। आननफानन डीएम आवास का गेट बंद कर दिया गया। इसके बाद आईएमए अध्यक्ष डॉ. आरके सिंह, सचिव डॉ. रत्नपाल गंगवार समेत कुछ डॉक्टरों को डीएम के कैंप कार्यालय जाने की अनुमति दी गई। जहां उन्होंने डीएम को ज्ञापन सौंपा और योजना के तहत लंबित भुगतान कराने के लिए साथ ही समस्याओं के समाधान की मांग की। 

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योजना को सराहा, कई मुद्दों पर की आलोचना

ज्ञापन में आईएमए ने आयुष्मान योजना को गरीब तबके के लिए क्रांतिकारी करार दिया लेकिन उसमें कुछ त्रुटियां भी गिनाईं। उन्होंने वे सुझाव भी ज्ञापन के माध्यम से दिए जिन्हें सुधारने की जरूरत है। पहला मुद्दा उन्होंने भुगतान का ही उठाया। कहा कि भुगतान एक वर्ष से अधिक समय तक लंबित रहता है। भुगतान का दावा निपटाने के लिए एक समयसीमा निर्धारित की जानी चाहिए। मांग की कि पिछले साल के 31 दिसंबर तक के भुगतान तत्काल किए जाएं। 

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पुराने मामलों की हो समीक्षा, बार-बार न पूछे जाएं बेकार के सवाल

डॉक्टरों ने निरस्त किए गए पुरानों मामलों की समीक्षा किए जाने की मांग भी की। साथ ही कहा कि बार-बार अनावश्यक प्रश्न उठाए जाने से प्रक्रिया में देरी होती है। कहा कि रोगी के डिस्चार्ज होने के बाद पोस्ट ऑपरेटिव जांच और फोटोग्राफ की मांग नहीं की जानी चाहिए। साथ ही एक बार स्वीकृत होने के बाद भुगतान में देरी या इन्कार नहीं होना चाहिए।

70 वर्ष से अधिक आयु के मरीजों का मिले तीन गुना पैकेज

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आईएमए ने कहा कि 70 वर्ष से ऊपर के मरीजों में जटिल बीमारियां होती है। उनका इलाज भी मुश्किल होता है और उसमें खर्च भी ज्यादा आता है। ऐसे में इन मरीजों का आयुष्मान योजना के तहत सामान्य मरीज की तुलना में तीन गुना पैकेज किया जाए। इसके साथ ही मानवीय लिपिकीय गलतियों पर भुगतान के दावे को अस्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।

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बारबार आने वाले दिशा-निर्देशों से पैदा होता है भ्रम

आईएमए की ओर से कहा गया कि बारबार आने वाले दिशा-निर्देशों से भ्रम की स्थिति पैदा होती है और कागजी कार्रवाई भी बढ़ती है। इसके लिए स्थिर और पूर्वानुमानित ढांचे की आवश्कता है। इसके अलावा प्रश्नों के उत्तर देने के लिए महज 24 घंटे का समय देना भी अव्यावहारिक है।

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आयुष्मान योजना के क्रियान्वयन में आ रही समस्याओं को लेकर आईएमए हॉल में इकट्ठा हुए डॉक्टर।

 

देरी से भुगतान पर दिया जाए ब्याज

आईएमए ने देरी से किए जाने वाले भुगतान पर ब्याज की मांग की। कहा कि अस्पतालों को समय पर भुगतान नहीं किया जाता है तो ब्याज का प्रावधान होना चाहिए। कई बार ऐसा होता है कि तकनीकी कारणों से भुगतान रिजेक्ट कर दिया जाता है, जबकि अस्पताल इलाज का खर्च उठा चुका होता है। इसके साथ ही यदि किसी मरीज के इलाज का अनुमोदन मिल चुका होता है और उसे डिस्चार्ज किया जा चुका होता तो तकनीकी खामियां निकालकर भुगतान न रोका जाए।

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आयुष्मान रोगियों की हों केवल जरूरी जांचें

आईएमए ने आयुष्मान योजना के तहत आने वाले रोगियों के लिए केवल आवश्यक जांचें ही कराए जाने की मांग की। उन्होंने तर्क दिया कि सर्जिकल पैकेज में नाममात्र की दरें होने की वजह से अस्पतालों पर वित्तीय बोझ बढ़ता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यूपीएमसी अतिरिक्त योग्यता के पंजीकरण के कारण कई वरिष्ठ डॉक्टरों का भुगतान रोक रही है, जबकि एनएमसी राष्ट्रीय चिकिस्ता रजिस्टर तैयार करा रही है इसलिए इस नियम को पूर्वव्यापी रूप से लागू नहीं किया जाना चाहिए। 

प्रदर्शन में ये डॉक्टर रहे मौजूद

प्रदर्शन में कोषाध्यक्ष डॉ. शिवम, उपाध्यक्ष डॉ. डीपी गंगवार, डॉ. प्रमेंद्र महेश्वरी, डॉ. गौरव गर्ग, डॉ. शालिनी महेश्वरी, आयुष्मान टास्क फोर्स के अध्यक्ष डॉ. महेंद्र गंगवार, डॉ. शरद, डॉ. अजय अग्रवाल, डॉ. अजय भारती, डॉ. निकुंज गोयल, डॉ. राजीव गोयल, डॉ. अतुल श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे।

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