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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
बरेली। महिला सशक्तिकरण। वैसे तो यह केवल राजनीतिक नारा है। लेकिन इस नारे को सही मायने में जमीन पर उतारने में जुटी हैं शक्ति फाउंडेशन की डॉ रिचा दीक्षित।
उनका मानना है कि महिलाएं केवल आर्थिक, सामाजिक, और शैक्षिक विकास तक सीमित नहीं है। उनका विकास मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति से भी जुड़ा हुआ है। धर्म और आध्यात्मिकता महिलाओं के लिए आत्मबल, मानसिक शांति, और सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत है। आज के व्यस्त और तनावपूर्ण जीवन में, आध्यात्मिकता महिलाओं को आंतरिक संतुलन, आत्मनिर्भरता, और आत्म-सम्मान विकसित करने में मदद करती है।
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डॉ रिचा दीक्षित के अनुसार महिलाओं को सुदृढ़ बनाने के लिए शक्ति फाउंडेशन की स्थापना 2021 में पुणे महाराष्ट्र में की गई थी। पिता और माता के संस्कार उनको बचपन से मिले। धर्म का पालन, गरीब बच्चियों की शादी , मंदिरों के निर्माण में सहयोग देना...। यह सब उनके संस्कारों में शामिल हैं। डॉ रिचा दीक्षित बताती हैं कि वह बचपन से ही अपने आप को एक देवी के रूप में देखती थी। हर एक महिला देवी ही होती है। हम सब उस परम पिता परमेश्वर का अंश हैं। उन्होनें अपने ngo का मुख्य उद्देश्य महिला शशक्तिकरण और बच्चों का कल्याण रखा.. क्योंकि इस दोनों चीजों पर काम कर लिया गया तो हमारा देश भारत बहुत मजबूत होगा।
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डॉ रिचा का कहना है कि अभी तक हमने underprivileged व orphanage के बच्चों की शिक्षा पर काम किया है। अब महिलाओं की सुरक्षा को लेके बड़ा सवाल है। हर एक परिस्थिति की जिम्मेदार बाहरी और आंतरिक शक्तियां होती हैं। जिसका समाधान सिर्फ एक उस ईश्वरीय शक्ति से जुड़ना है, जो इस पूरे जगत का पालनहार है।...ये उनको तब समझ आया, जब श्री जी , भगवान महादेव और हनुमान जी ने कृपा की ओर उनको एक उद्देश्य मिला। वह यह कि धर्म के द्वारा ज्ञान एक ऐसी नींव है, जो बचपन से अगर हर एक बच्चे के मन में डाली जाए तो पापों का जन्म भी कम होगा। हम सब जिसकी तलाश में है, वह शांति और आनंद उसकी भी अनुभूति कर पाएंगे।
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1. मानसिक और भावनात्मक शांति
आज की महिलाएं पारिवारिक, सामाजिक और व्यावसायिक जिम्मेदारियों के बोझ तले दब जाती हैं। आध्यात्मिकता उन्हें ध्यान (Meditation), प्रार्थना, और योग के माध्यम से तनाव कम करने और मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद करती है।
2. आत्मबल और आत्मनिर्भरता
धर्म और आध्यात्मिकता महिलाओं में आत्म-विश्वास और आत्मनिर्भरता विकसित करने में मदद करते हैं। जब महिलाएं धार्मिक और आध्यात्मिक ग्रंथों का अध्ययन करती हैं, तो वे जीवन की गहरी समझ प्राप्त करती हैं और आत्म-निर्णय लेने में सक्षम होती हैं।
3. सकारात्मक सोच और धैर्य
धार्मिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शन महिलाओं को सकारात्मक सोच, सहनशीलता, और धैर्य विकसित करने में मदद करता है। यह उन्हें जीवन की कठिनाइयों से डटकर मुकाबला करने की शक्ति प्रदान करता है।
4. करुणा और समाज सेवा का भाव
धर्म महिलाओं में करुणा, दया और सेवा भाव विकसित करता है। कई महिलाएं धार्मिक संगठनों और आध्यात्मिक संस्थानों के माध्यम से गरीबों, अनाथों और जरूरतमंदों की सेवा करती हैं। इससे उन्हें आत्मिक संतोष और समाज में योगदान करने का अवसर मिलता है।
5. नैतिकता और पारिवारिक संतुलन
आध्यात्मिकता महिलाओं को सद्गुण, नैतिकता और जीवन मूल्यों को बनाए रखने में मदद करती है। यह उन्हें परिवार में सामंजस्य और प्रेम बनाए रखने का मार्गदर्शन देती है, जिससे उनका पारिवारिक जीवन सुखमय बनता है।