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डीएम को ज्ञापन देने कलक्ट्रेट पहुंचे पेंशनर्स।
बरेली, वाईबीएन संवाददाता
बरेली। EPS 95 Pensioners कमेटी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बरेली के डीएम रविंद्र कुमार के माध्यम से पत्र भेजकर 1170 रुपये की जगह नियमानुसार 7500 रुपये पेंशन दिए जाने की मांग की है। उनका कहना है कि 1170 रुपये पेंशन मिलने के साथ मेडिकल सुविधा के अभाव में वे अत्यंत दयनीय अवस्था में जीवन यापन कर रहे है।
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ईपीएस 95 राष्ट्रीय संघर्ष समिति के बरेली जिलाध्यक्ष सुशील कुमार सक्सेना की ओर से भेजे गए ज्ञापन में कहा गया कि राज्य व केंद्र सरकार के ईपीएस 95 पेंशनर्स की संख्या करीब 78 लाख है। रोडवेज बिजली बोर्ड, सहकारी बैंक, क्रेडिट सोसायटी, कारखाने, धागा मिल, बीड़ी उद्योग, एमआईडीसी, कृषि उद्योग, विकास निगम, खाद्य एवं वस्त्र निगम आदि सहित देश के विभिन्न 186 उद्योगों में काम करने वाले श्रमिकों ने अपनी सेवा के दौरान पेंशन निधि में प्रति माह 417, 541, 1250 रुपये का योगदान दिया है।
योगदान के कारण ईपीएस 95 योजना और एनपीएस दोनों अलग-अलग हैं। उन्हें मासिक औसतन पेंशन राशि 1170 रुपये मिल रहे हैं। मेडिकल सुविधा के अभाव में अत्यंत दयनीय अवस्था में जीवन जी रहे हैं। संगठन ने पिछले 8 वर्षों तहसील से राष्ट्रीय स्तर तक अनेक आंदोलन किए और संघर्ष अब भी जारी है, तमाम सांसदों ने यह मुद्दा सदन में भी उठाया है।
2013 में गठित समिति ने की 3000 पेंशन की सिफारिश
2013 में सांसद भगत सिंह कोश्यारी की अध्यक्षता में गठित समिति ने न्यूनतम पेंशन 3,000 रुपये करने और इसे मुद्रास्फीति सूचकांक से जोड़ने की सिफारिश की थी। हालांकि 01 सितंबर 2014 से न्यूनतम पेंशन केवल 1000 रुपये दिया गया है। पिछले 10 वर्षों में बढ़ती मुद्रास्फीति सूचकांक को ध्यान में रखते हुए ईपीएस 95 के तहत न्यूनतम पेंशन 1000 से बढ़कर 7500 रुपये कर दी जानी चाहिए थी। ईपीएस 95 पेंशनर्स न्यूनतम पेंशन 7500 महीना और मंहगाई भत्ता, पति-पत्नी को मुफ्त चिकित्सा सुविधा की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार पिछले 8 वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं।
छह साल से भूख हड़ताल पर बैठे हैं पेंशनर्स
सुलढाणा में संगठन के मुख्यालय पर 2018 से जिला कलेक्टर कार्यालय के सामने क्रमिक भूख हड़ताल चल रही है। आज इस भूख हड़ताल को छह साल हो गए हैं। पत्र में कहा कि प्रधानमंत्री स्वयं दो बार संगठन के प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दे चुके हैं। श्रम मंत्री ने भी भरोसा दिया लेकिन इसके बाद भी मांगें स्वीकृत नहीं हुई। इससे पेंशनर्स के समक्ष जीवन-मरण की स्थिति उत्पन्न होने से पेंशनर्स में रोष है। उन्होंने प्रधानमंत्री से मांगे पूरी किए जाने की मांग की।