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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
बरेली। कृषि विभाग के बाबू द्वारा पांच हजार रुपये रिश्वत मांगने का मुद्दा बुधवार को विकास भवन सभागार में आयोजित किसान दिसव में गूंजा। किसानों ने एडीएम सिटी को शिकायती पत्र के साथ साक्ष्य देकर मामले में कार्रवाई की मांग की। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर 15 दिन में बाबू पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो किसान संगठन बड़े स्तर पर अनिश्चितकालीन धरना करेंगे। इस पर एडीएम सिटी ने किसानों को कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
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बुधवार को एडीएम सिटी सौरभ दुबे की अध्यक्षता में विकास भवन सभागार में किसान दिवस का आयोजन किया गया। इसमें किसान नेता प्रताप सिंह ने एडीएम सिटी को ज्ञापन देकर रोटावेटर की सब्सिडी जारी करने के एवज में किसान से पांच हजार रुपये रिश्वत मांगने के आरोपी बाबू के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। साथ ही चेतावनी दी कि अगर 15 दिन के अंदर बाबू के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो किसान संगठन अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन करेगा।
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भाकियू शंकर के जिलाध्यक्ष प्रताप सिंह ने बताया कि संगठन की ओर से पहले भी अधिकारियों को ज्ञापन देकर कृषि विभाग में व्याप्त भ्रष्ट कर्मचारियों और अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब 15 दिन के अंदर आरोपी बाबू पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो किसान धरने पर बैठने को बाध्य होंगे।
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इसके अलावा बैठक में चीनी मिलों पर बकाया गन्ना मूल्य भगुतान, ग्रामीण क्षेत्रों में झूलते बिजली के तार और स्वयं सहायता समूह के भुगतान का मुद्दा उठा। किसान दिवस में उप कृषि निदेशक अभिनंदन सिंह, लीड बैंक मैनेजर वीके अरोड़ा, डिप्टी आरएमओ, परियोजना निदेशक डीआरडीए, जिला उद्यान अधिकारी, विद्युत विभाग, सिंचाई विभाग, नलकूप विभाग, गन्ना विभाग आदि अधिकारी मौजूद रहे।
अनुदान जारी करने के एवज मांगे थे 5000
बरेली के मझगंवा ब्लॉक के गांव शिवनगर नौगवां में रहने वाले किसान चैतन्य प्रकाश ने कृषि यंत्रीकरण योजना के तहत रोटावेटर खरीदा था। पिछले साल 28 दिसंबर को सत्यापन का कार्य पूरा होने के बाद कृषि विभाग की ओर से सब्सिडी जारी नहीं की गई।
किसान के मुताबिक वह कृषि विभाग कार्यालय में गए तो वहां तैनात बाबू प्रखर सक्सेना ने पांच हजार रुपये रिश्वत की मांग की। इस मामले की उन्होंने उप निदेशक कृषि से शिकायत की लेकिन उन्होंने बाबू के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, बल्कि उनसे ही स्पष्टीकरण मांग लिया। उन्होंने डीएम से शिकायत की तो उल्टा कृषि विभाग के अफसर उनको ही धमकाने लगे।