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" चिर शाश्वत ही सनातन है " :डाॅ सुरेश बाबू मिश्रा

अखिल भारतीय साहित्य परिषद ब्रज प्रान्त के तत्वावधान में एक विचार गोष्ठी का आयोजन प्रभात नगर स्थित बरिष्ठ साहित्यकार निरूपमा अग्रवाल के आवास पर देर रात किया गया।

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Sudhakar Shukla
Dr. Suresh Babu Mishra
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

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बरेली। अखिल भारतीय साहित्य परिषद ब्रज प्रान्त के तत्वावधान में एक विचार गोष्ठी का आयोजन प्रभात नगर स्थित बरिष्ठ साहित्यकार निरूपमा अग्रवाल के आवास पर देर रात किया गया । विचार गोष्ठी की अध्यक्षता साहित्य परिषद के अध्यक्ष ब्रजेश कुमार शर्मा ने की । संचालन जनपदीय मंत्री विमलेश दीक्षित ने किया।

सनातन संस्कृति की प्रासंगिकता हर युग में बनी रहेगी

गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए प्रांतीय अध्यक्ष डाॅ सुरेश बाबू मिश्रा ने कहा कि जो शास्वत है। वही सत्य है। जो सार्वभौमिक है, बही सनातन है।  सनातन संस्कृति आदिकाल से चली आ रही है और अनादिकाल तक चलती रहेगी। यह विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति है। सनातन संस्कृति गतिशील है। इसलिए हर युग में इसकी प्रासंगिकता बनी रहेगी। वर्तमान समय में सनातन संस्कृति का जय घोष पूरे विश्व में गूंज रहा है।

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महाकुंभ हमारी आस्था की जीत का प्रतीक: निर्भय सक्सेना

पूर्व राजभाषा अधिकारी प्रभाकर मिश्रा ने कहा कि हम सब सनातन संस्कृति की परम्पराओं ,आदर्शो एवं जीवन मूल्यों का पालन सबसे पहले अपने परिवार में कराएं तभी इसका प्रचार प्रसार हमारे देश और पूरे विश्व में होगा। पत्रकार निर्भय सक्सेना ने कहा कि प्रयागराज महाकुम्भ ने पूरे विश्व को एकता एवं शांति का संदेश दिया है ।यह हमारी आस्था की जीत है।

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शिवलिंग और देवालयों के रूप में आज भी जीवंत है सनातन संस्कृति

अध्यक्षीय सम्बोधन में डाॅ ब्रजेश कुमार शर्मा ने कहा कि सनातन संस्कृति का उदय सृष्टि के निर्माण के साथ ही हो गया था । इसलिए यह पूरे विश्व में ब्याप्त थी । आज भी विश्व के अधिकांश देशों में सनातन संस्कृति के अवशेष मंदिरों, देवालयों और शिवलिंग के रूप में देखने को मिलते हैं। गोष्ठी में संजीव शंखधार, गुरविंदर सिंह, प्रभाकर मिश्रा और निर्भय सक्सेना ने भी विचार ब्यक्त किए । उमेश चन्द्र गुप्ता ,विमलेश दीक्षित ,निरूपमा अग्रवाल और रितेश साहनी ने सनातन संस्कृति से जुड़ी रचनाएं प्रस्तुत कर सबको मन्त्रमुग्ध कर दिया।

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इस अवसर पर सुरेश बाबू मिश्रा ,ब्रजेश कुमार शर्मा ,निरुपमा अग्रवाल, उमेश चन्द्र गुप्ता ,  प्रभाकर मिश्रा , निर्भय सक्सेना ,सरदार गुरुविन्दर सिंह, विमलेश दीक्षित  ,संजीव शंखधार एवं रितेश साहनी आदि मौजूद रहे। गोष्ठी के अंत में गोष्ठी की संयोजक निरूपमा अग्रवाल ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।

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