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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
बरेली। महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड विश्वविद्यालय (MJPRU) के इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग द्वारा द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया), बरेली लोकल सेंटर के सहयोग से "नेक्स्ट जनरेशन एआई एप्लिकेशंस इन इलेक्ट्रॉनिक्स, कम्युनिकेशन एंड एंबेडेड सिस्टम्स" विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी आयोजित की गई। कार्यक्रम का आयोजन इलेक्ट्रॉनिक्स और टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग डिवीजन, आईईआई कोलकाता के तत्वावधान में किया गया।
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संगोष्ठी में एमजेपीआरयू और अन्य महाविद्यालयों से 50 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कम्युनिकेशन तथा एंबेडेड सिस्टम्स में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की भूमिका पर अपने शोध प्रस्तुत किए। इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रोफेसर शोभना सिंह थीं। क्वालकॉम, सैन डिएगो, यूएसए के वरिष्ठ प्रबंधक विवेकानंद ने मुख्य वक्ता के रूप में भविष्य में एआई के अनुप्रयोगों की संभावनाओं पर विस्तृत जानकारी साझा की।
कार्यक्रम में द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स के अध्यक्ष प्रो. पंकज कुमार शर्मा, इंजीनियर एच.सी. गुप्ता, इंजीनियर एम. ज़द खान, प्रो. एस.के. तोमर, प्रोफेसर मनीष राय (विभागाध्यक्ष), डॉ. सुमित श्रीवास्तव, डॉ. अख्तर हुसैन और डॉ. जनक कपूर ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। संगोष्ठी की आयोजन सचिव डॉ. छवि शर्मा थीं, जबकि डॉ. इंदरप्रीत कौर और डॉ. सौरभ पाठक ने सफलतापूर्वक कार्यक्रम का संचालन किया। अंतिम तकनीकी सत्र का समापन डॉ. हरि कुमार सिंह ने किया।
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संगोष्ठी के दौरान प्रस्तुत सभी शोधपत्रों का मूल्यांकन डॉ. मुकुल कुमार गुप्ता और डॉ. वरुण कुमार द्वारा किया गया। प्रस्तुतिकरण प्रतियोगिता में एम.जे.पी.आर.यू. के प्रतिभागी मिस प्रबलिन कौर और अभि त्यागी ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। प्रबलिन कौर ने 'एआई असिस्टेड एरर करेक्टर फॉर UART' विषय पर अपना प्रस्तुतीकरण दिया। द्वितीय स्थान इमरान और दिव्याक्षी (इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग, एम.जे.पी.आर.यू.) ने प्राप्त किया। राजश्री इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी के श्री शुभम को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। सभी प्रतिभागियों को सहभागिता और प्रस्तुति प्रमाण पत्र प्रदान किए गए।
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इस संगोष्ठी का उद्देश्य एआई तकनीक की बढ़ती उपयोगिता को समझना। इसे इलेक्ट्रॉनिक्स, कम्युनिकेशन और एंबेडेड सिस्टम्स में कैसे प्रभावी रूप से लागू किया जा सकता है। इस पर प्रकाश डालना था। इसके माध्यम से प्रतिभागियों को न केवल तकनीकी ज्ञान प्राप्त हुआ। बल्कि उन्होंने व्यावहारिक दृष्टिकोण से एआई के भविष्य और इसके औद्योगिक उपयोग पर भी चर्चा की।