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किसान कार्यशाला : सूखा प्रतिरोधी होता है मोटा अनाज, सिंचाई की भी कम होती है जरूरत

बरेली स्थित आईवीआरआई में आयोजित कार्यशाला में किसानों को मोटे अनाज के उत्पादन और उसके फायदे बताए गए। इस दौरान बिहार में आयोजित प्रधानमंत्री का किसान सम्मान निधि जारी करने के कार्यक्रम का लाइव प्रसारण दिखाया गया।

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KP Singh
किसान कार्यशाला
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

बरेली। आईवीआरआई में कृषि विज्ञान केंद्र पर दोपहर 12 बजे प्रधानमंत्री के बिहार के भागलपुर में आयोजित पीएम सम्मान निधि की 19वीं किस्त जारी किए जाने वाले कार्यक्रम का लाइव प्रसारण किसानों को दिखाया गया। इसके साथ ही एक दिवसीय जनपद स्तरीय कृषक कार्यशाला का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि सांसद छत्रपाल सिंह गंगवार और जिला पंचायत अध्यक्ष रश्मि पटेल ने कार्यशाला का शुभारंभ किया। 

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उप कृषि निदेशक अभिनंदन सिंह ने मोटे अनाज के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि मोटे अनाज सूखा प्रतिरोधी होते है और कम पानी की आवश्यकता रखते हैं, इन्हें विभिन्न प्रकार की मृदा और जलवायु में भी उगाया जा सकता है, जिससे किसानों के लिए यह एक बहुमुखी फसल विकल्प हैं। मोटे अनाज को कम पोषक मृदा दशाओं में भी आसानी से उगाया जा सकता है। 

कार्यशाला में वैज्ञानिकों ने कृषि यंत्रीकरण, दलहन-तिलहन उत्पादन, फसल बीमा, पॉली हाउस से खेती, पराली से कंपोस्ट बनाना, मिक्स खेती, जैविक खेती, प्राकृतिक खेती, पशुपालन व पराली जलाने के दुष्प्रभाव के बारे में विस्तार से बताया। प्रगतिशील किसानों ने भी खेती से संबंधित अपने अनुभव साझा किए। गोष्ठी में बरेली के लगभग 200 किसानों ने हिस्सा लिया। प्रगतिशील किसान संजय कुमार सक्सेना ने अन्नदाताओं से मोटा अनाज उगाने की अपील की। 

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खेती और पशुपालन एक दूसरे के पूरक

कार्याशाला में किसानों से अपील की गई कि खेती और पशुपालन एक दूसरे के पूरक हैं। खेती करने के साथ ही पशुपालन को बढ़ावा देने और अच्छी नस्लों के पशु पाले जिसके लिए सरकार उत्तम नस्ल के सर्टिफाइड सीमन कम दामो में सरकारी पशु चिकित्सालयों में उपलब्ध करा रही है। खेती और पशुपालन से किसान अपनी आय को दोगुना कर सकते हैं। 

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सांसद ने समस्याओं के निस्तारण का दिया आश्वासन

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कार्यशाला में सांसद छत्रपाल सिंह गंगवार ने किसानों की समस्याएं सुनकर उनके निराकरण करने का आश्वासन दिया। साथ ही अधिकारियों को निर्देशित किया कि सरकार की ओर से विभागों में चल रही योजनाओं का प्रचार-प्रसार युद्ध स्तर पर धरातल पर कराते हुए किसानों को इसका लाभ उपलब्ध कराया जाए। 

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