Advertisment

IVRI में शूकर पालन पर पांच दिवसीय कार्यक्रम

भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के एग्री बिजनेस इन्क्यूबेशन केन्द्र एवं पशुधन उत्पादन और प्रबंधन अनुभाग द्वारा किसानों एवं शूकर पालकों के उद्यमिता विकास हेतु 5 दिवसीय ” शूकर पालन“ कार्यक्रम का प्रारंभ हो गया।

author-image
Sudhakar Shukla
IVRI
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

बरेली, वाईबीएनसंवाददाता

बरेली। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के एग्री बिजनेस इन्क्यूबेशन केन्द्र एवं पशुधन उत्पादन और प्रबंधन अनुभाग द्वारा किसानों एवं शूकर पालकों के उद्यमिता विकास हेतु 5 दिवसीय ” शूकर पालन“ कार्यक्रम का प्रारंभ हो गया। इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के विभिन्न  जिलों  से आये हुए 30 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं ।

वैज्ञानिक विधि से किसान शूकर पालन करें तो दोगुना होगी आय

इसमें संयुक्त निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ रूपसी तिवारी ने बताया कि वैज्ञानिक तरीके से शूकर पालन से कम लागत में अधिक मुनाफा प्राप्त किया जा सकता है। इस व्यवसाय में रोजगार की  असीम संभावनाएँ हैं ।  डॉ तिवारी ने उधमिता विकास पर सरकार द्वारा चलाई गई विभिन्न योजनाओं के बारे में जानकारी दी।

इसे भी पढ़ें-लोकसभा में उठा Ramnagar-Agra Fort Exp के प्रतिदिन संचालन का मुद्दा

जानिए बबलू कुमार ने

एबीआई परियोजना के प्रधान अन्वेषक डा. बबलू कुमार ने बताया कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य शूकर उत्पादन के क्षेत्र में कौशल विकास द्वारा उद्यमिता विकास करना तथा किसानों, युवाओं एवं उद्यमिओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित करना है। डा. बबलू कुमार ने संस्थान के एबीआई केन्द्र के बारे में जानकारी देते हुए बताया की अभी तक इस केंद्र द्वारा 814  लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुका है जिसमें से कई लोगों ने यहाँ से मिलने वाली जानकारी का लाभ उठाकर अपना व्यवसाय सफलतापूर्वक शुरू किया है ।  इसके अतिरिक्त उन्होंने आरकेवीवाई रफ्तार तथा नवोन्मेषी और नवाचार को बढ़ावा देने वाली अन्य योजनाओं के बारे में भी बताया।

Advertisment

इसे भी पढ़ें-धमाके से फिर दहला Bakarganj, पूरे इलाके में दहशत, कुछ दिन पहले भी हुआ था विस्फोट

अधिक लाभ प्राप्त करने की कही बात।

पशुधन उत्पादन तथा  प्रबंधन अनुभाग के प्रभारी डा. मुकेश सिंह ने बताया कि शूकर पालन में रोजगार की अनेक संभावनायें हैं।  अन्य पशुओं की तुलना में इनकी प्रजनन क्षमता अधिक है।  इनके लिए फीड की जरूरत भी कम है। इसके अतिरिक्त शूकरों की ड्रेसिंग से 70 से 80 प्रतिशत तक मांस प्राप्त होता है। उन्होंने व्यवसायिक शूकर पालन कर अधिक लाभ प्राप्त करने की बात कही। इसके अतिरिक्त शूकर की उन्नत नस्लों, रोग एवं बचाव, शूकर आवास इत्यादि के बारे में भी जानकारी प्रदान की।

इसे भी पढ़ें-जहरीला पानी पीने से पशुओं की मौत, पशुपालन मंत्री ने दिए जांच के आदेश

शूकर पालन की बहुत मांग है।

Advertisment

शूकर फार्म के प्रभारी डा. अमित कुमार  ने बताया कि शूकर पालन की बहुत मांग है और यदि हम शूकर पालन को वैज्ञानिक विधियों के साथ करेंगे तो शूकर मांस उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा तथा रोजगार के नये अवसरों का सृजन होंगे।

कार्यक्रम का संचालन डा. बबलू कुमार और जबकि धन्यवाद ज्ञापन डा. सागर चन्द द्वारा दिया गया।  संस्थान के डा. हरिओम पाण्डे, डा. एम. के. सिंह सहित अधिकारी एवं कर्मचारीगण उपस्थित थे।

Advertisment
Advertisment