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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
रोटावेटर की सब्सिडी जारी करने के एवज में किसान से पांच हजार रुपये की रिश्वत मांगने के आरोपी कृषि विभाग के बाबू के खिलाफ एक और जांच बैठ गई है। इस बार कृषि निदेशालय ने संयुक्त कृषि निदेशक को जांच के आदेश देते हुए तत्काल आख्या शासन को भेजने के लिए कहा है लेकिन सवाल यह है कि क्या अफसर इस बार भी बाबू का बचा ले जाएंगी, जैसा कि पहले हुई जांचों में हुआ या फिर इस बार बाबू के खिलाफ कार्रवाई की होगी।
बरेली के मझगंवा ब्लॉक के गांव शिवनगर नौगंवा में रहने वाले किसान चेतन्य प्रकाश ने कृषि विभाग में रोटावेटर के लिए आवेदन किया था। चयन होने के बाद उन्होंने रोटावेटर खरीद लिया लेकिन काफी समय बाद भी उन्हें अनुदान नहीं मिला तो उन्होंने उप कृषि निदेशक कार्यालय से संपर्क किया। किसान का आरोप है कि कार्यालय के बाबू प्रखर सक्सेना ने उनसे अनुदान जारी करने के एवज में पांच हजार रुपये रिश्वत की मांग की। उन्होंने मामले की शिकायत विभागीय अफसरों से की तो उन्होंने भी बाबू का ही पक्ष लिया।
किसान चेतन्य प्रकाश ने रिश्वत मांगे जाने की शिकायत डीएम से की तो वहां से जांच के आदेश हुए। इस पर कृषि विभाग के एक अफसर ने कर्मचारी के जरिये शाम को किसान के घर नोटिस भिजवाकर अगले दिन जवाब दाखिल करने को कहा। किसान को धमकाया भी गया। हालांकि किसान अपना जवाब भेज दिया लेकिन कार्रवाई फिर भी नहीं हुई।
मामले में कोई कार्रवाई न होने पर किसान ने शपथ पत्र देकर डीएम से दोबारा शिकायत की। इस पर डीएम ने संयुक्त कृषि निदेशक राजेश कुमार को मामले की जांच कराने के निर्देश दिए मगर मामले की जांच फिर उसी अफसर को सौंप दी गई, जिसने किसान को धमकाया था और बाबू को क्लीन चिट दे दी थी। मामले में संयुक्त कृषि निदेशक राजेश कुमार ने बताया कि किसान को धमकाने वाली बात जानकारी में नहीं है। फिर भी मामले की जांच कराई जा रही है। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
मार्च में एडीएम सिटी सौरभ दुबे की अध्यक्षता में विकास भवन सभागार में हुए किसान दिवस में भी किसान संगठनों ने यह मुद्दा उठाया था। किसानों ने शिकायती पत्र के साथ साक्ष्य देकर इस मामले में कार्रवाई की मांग की थी। 15 दिन के अंदर कार्रवाई न होने पर होने पर आंदोलन की चेतावनी दी थी लेकिन इसके बाद भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई।
प्रमुख सचिव कृषि के आदेश पर कृषि निदेशक डॉ. जितेंद्र कुमार तोमर ने इस मामले की जांच संयुक्त कृषि निदेशक राजेश कुमार को सौंपी है। शासन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल जांच कर आख्या प्रेषित करने के निर्देश दिए हैं लेकिन सवाल यह है कि क्या इस बार बाबू के खिलाफ कार्रवाई हो पाएगी या फिर पहले की जांचों की तरह लीपापोती कर दी जाएगी। सूत्रों के मुताबिक आरोपी बाबू कृषि विभाग के एक अफसर का मुंह लगा है। यही वजह है कि उसके खिलाफ अब तक जितनी भी जांचें आई, उनमें लीपापोती कर उसे बचा लिया गया। इन्हीं अफसर पर किसान ने धमकाने का आरोप भी लगाया है।
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