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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
बरेली। उप निदेशक कृषि के दफ्तर में किसान से पांच हजार रुपये रिश्वत मांगने के मामले में डीएम रविंद्र कुमार ने दोबारा संयुक्त निदेशक को जांच कराने के आदेश दिए लेकिन यह जांच फिर उसी अफसर को सौंप दी गई है, जिस पर किसान ने उसे धमकाने का आरोप लगाया था।
बरेली के मझगंवा ब्लॉक के गांव शिवनगर नौगंवा में रहने वाले किसान चेतन्य प्रकाश ने कृषि विभाग में रोटावेटर के लिए आवेदन किया था। आवेदन पत्र की जांच के बाद उनका चयन भी हो गया, इस पर उन्होंने रोटावेटर खरीद लिया लेकिन अब तक इस पर मिलने वाला अनुदान उन्हें नहीं मिला है।
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अनुदान के लिए चेतन्य प्रकाश ने उप कृषि निदेशक के दफ्तर के चक्कर लगाए तो वहां तैनात एक कर्मचारी ने कॉल करके किसान को दफ्तर बुलाया। दफ्तर पहुंचने पर किसान से कार्यालय में तैनात बाबू से मिलने को कहा गया। किसान का आरोप है कि कार्यालय के बाबू प्रखर सक्सेना ने उनसे अनुदान जारी करने के एवज में पांच हजार रुपये रिश्वत की मांग की। उन्होंने मामले की शिकायत विभाग के अफसर से की तो उन्होंने भी बाबू का ही पक्ष लिया।
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किसान चेतन्य प्रकाश का आरोप है कि जब उन्होंने रिश्वत मांगे जाने की शिकायत डीएम से की तो कृषि विभाग के एक अफसर ने कर्मचारी के जरिये शाम को उनके घर नोटिस भिजवाकर अगले दिन जवाब दाखिल करने को कहा। हालांकि उन्होंने जवाब दे दिया लेकिन इसके बाद भी कार्रवाई नहीं हुई। किसान ने कृषि विभाग के अफसर पर उन्हें धमकाने का आरोप भी लगाया।
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मामले में कोई कार्रवाई न होने पर किसान ने शपथ पत्र देकर डीएम से दोबारा शिकायत की। इस पर डीएम ने संयुक्त कृषि निदेशक राजेश कुमार को मामले की जांच कराने के निर्देश दिए मगर मामले की जांच फिर उसी अफसर को सौंप दी गई, जिसने किसान को धमकाया था और बाबू को क्लीन चिट दे दी थी। मामले में संयुक्त कृषि निदेशक राजेश कुमार ने बताया कि किसान को धमकाने वाली बात जानकारी में नहीं है। फिर भी मामले की जांच कराई जा रही है। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।