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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
बरेली। किसानों को अपनी आमदनी दोगुनी करने और आधुनिक तकनीक से खेती करने के लिए मोदी और योगी सरकार तमाम प्रयास कर रही है। मगर, कृषि विभाग के अफसर और बाबुओं ने सरकार की इस मंशा पर पूरी तरह से पानी फेर दिया है। दो साल पहले डिप्टी डायरेक्टर कृषि कार्यालय बिलवा के दो बाबूओ ने किसानो के प्रशिक्षण के लिए शासन से प्राप्त लाखों की रकम उनको ट्रेनिंग न देकर अपने निजी खाते में ट्रांसफर कर ली। प्रशासनिक जांच में ये बाबू दोषी भी पाए गए । इसके दो साल बाद भी दोनों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई । अब शासन ने अंतिम चेतावनी पत्र कृषि विभाग को जारी किया है। इसमें कहा गया है कि प्रशासनिक जांच में दोषी करार दिए गए बाबूओं पर 3 दिन के कार्रवाई करके अवगत कराया जाए। ऐसा न होने की स्थिति में डिप्टी डायरेक्टर कृषि समेत अन्य अफसरों पर कार्रवाई की जाएगी।
कृषि विभाग में बरेली से लखनऊ तक बाबुओं का गैंग सक्रिय, दबा देते हैं कार्रवाई के आदेश
कृषि विभाग में भ्रष्टाचार की जड़े बहुत गहरी हैं। बरेली से लखनऊ कृषि निदेशालय तक बाबुओं ने पूरा गैंग बना रखा है। बाबुओं का यह गैंग अफसर के कार्रवाई आदेश के पत्रों को 6 महीने से एक साल या कभी-कभी 2 साल तक दबाकर रखता है। इससे बाबुओं पर आसानी से कार्रवाई नहीं हो पाती है।
दो बाबूओ ने किसानों की ट्रेनिंग का लाखों रुपए ऑनलाइन अपने निजी खाते में कर लिया ट्रांसफर
पूर्व में बरेली के अंदर डिप्टी डायरेक्टर कार्यालय कृषि में लंबे समय से तैनात बाबू शिवकुमार उर्फ बुलेट राजा और तकनीकी सहायक नृपेंद्र कुमार ने किसानों के प्रशिक्षण के लिए प्राप्त 10 लाख से अधिक की धनराशि अपने निजी खातों में ट्रांसफर कर ली और यह पूरी धनराशि पूरी तरह से हड़प कर गए। किसानों को प्रशिक्षण देकर सूक्ष्म जलपान करने में इस धनराशि का गबन कर लिया गया। बाद मे यह धनराशि खर्च करना कागजों में दर्शा दिया गया। दो साल पूर्व इस मामले की जांच मनरेगा समन्वयक गंगाराम और एसडीएम बहेड़ी की अध्यक्षता में बनी प्रशासनिक कमेटी की देखरेख में हुई थी। इसमें बाबू शिवकुमार उर्फ बुलेट राजा और तकनीकी सहायक नृपेंद्र कुमार को दोषी करार दिया गया था। इसके बावजूद दोनों शिवकुमार उर्फ बुलेट राजा पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। शासन ने इसके लिए कई पत्र जारी किए। मगर, कृषि विभाग के अफसरों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
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बाबुओं को बचाने के लिए अफसरों ने पार की सारी हदें
कृषि विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर एग्रीकल्चर राजेश कुमार और डिप्टी डायरेक्टर अभिनंदन सिंह समेत अन्य अधिकारियों ने वर्तमान में भूमि संरक्षण विभाग में कार्यरत बाबू शिवकुमार उर्फ बुलेट राजा और डिप्टी डायरेक्टर कृषि कार्यालय में कार्यरत तकनीकी सहायक नृपेंद्र कुमार को बचाने के लिए तमाम नियम कानून को दरकिनार कर दिया है। जब भी शासन से कोई पत्र इन बाबुओं पर कार्रवाई के लिए आता है, तो जेडीए एग्रीकल्चर उसे डिप्टी डायरेक्टर को मार्क करके अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। डिप्टी डायरेक्टर कृषि अभिनंदन सिंह उस पत्र को बीएसए कृषि को मार्क करके खानापूरी कर देते हैं। आखिर में ये सब मिलकर फिर शासन को घुमावदार पत्र भेज देते हैं कि आप कार्रवाई करें। उसके बाद फिर से शासन से इनको पत्र भेजा जाता है कि दोषी बाबुओं पर कार्रवाई करो। कार्रवाई का यह पत्र पेंडुलम की तरह दोनो बाबुओं पर कार्रवाई का पत्र डेढ़ साल से इधर से उधर घूम रहा है। एक बार तो डिप्टी डायरेक्टर कृषि और ज्वाइन डायरेक्टर एग्रीकल्चर को प्रतिकूल प्रविष्टि की भी चेतावनी भी शासन से मिल चुकी है। लेकिन इससे दोनों की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा।
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प्रशासनिक जांच में दोषी पाए जा चुके हैं कृषि विभाग के दोनों बाबू
कृषि विभाग के अफसर कभी एक दूसरे पर तो कभी निदेशलय पर कार्रवाई की जिम्मेदारी डालकर दोनों भ्रष्ट बाबुओं को बरेली में 22 साल से एक ही पटल पर काम करने का मौका दे चुके हैं। सूत्रों के अनुसार दोनों बाबू को बचाने की वजह यह है कि यह मलाईदार पटल पर वर्षों से काबिज हैं, जो खुद ऊपरी मोटी कमाई करके अफसरों को भी हर महीने बड़ी रकम पहुंचाते हैं। इसलिए इन पर न कृषि निदेशालय से कार्रवाई हो रही है, न हीं बरेली के स्तर पर। अब शासन का अंतिम पत्र कार्यवाहक जेडीए एग्रीकल्चर नीरजा सिंह के पास आया है। उन्होनें इस पर कार्रवाई के लिए डिप्टी डायरेक्टर कृषि अभिनंदन सिंह को लिखकर एक बार फिर से खानपुरी कर दी है। डिप्टी डायरेक्टर कृषि कार्यालय से इस पत्र को कार्रवाई के लिए कार्यवाहक भूमि संरक्षण अधिकारी के पास भेजा गया है। फिलहाल दोनों भ्रष्ट बाबूओ पर कार्यवाही के आदेश एक पटल से दूसरे पटल पर पिछले डेढ़ साल से घूम रहा है। भ्रष्ट तंत्र की मजबूती के चलते बरेली स्तर से अब भी इन पर कार्रवाई होने की उम्मीद कम ही है।
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बरेली कृषि विभाग में ट्रांसफर के बावजूद जमे भ्रष्ट बाबू, सरकारी खाद की हो रही कालाबाजारी
यही हाल विकास भवन के जिला कृषि अधिकारी का भी है। यहां जिला कृषि अधिकारी ऋतुषा तिवारी ने अपने खास चहेते बाबू अमित कुमार वर्मा को 22 साल जमे रहने के बाद भी बमुश्किल शासन से ट्रांसफर होने के बाद भी रिलीव नहीं किया। जेडीए एग्रीकल्चर राजेश कुमार ने डीएओ को पत्र लिखकर इस केस में उनसे स्पष्टीकरण भी मांगा। मगर, जिला कृषि अधिकारी ने जेडीए के स्पष्टीकरण को कूड़ेदान में फेंक दिया और दो दशक से जमे भ्रष्ट बाबू अमित कुमार को अपने ऑफिस में वरिष्ठ सहायक बनाए रखा। सूत्रों की माने तो जिला कृषि अधिकारी के चहेते बाबू रामपुर रोड स्थित मथुरापुर के पास एक निजी खाद की दुकान पर सरकारी खाद की रैक उतरवाते हैं। फिर रबी और खरीफ की सीजन में उस खाद की कालाबाजारी होती है।
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कृषि विभाग में अवैध कमाई का खेल: बिना लाइसेंस चल रही हजारों खाद की दुकानें
इसके बदले निजी दुकान से लाखों रुपए की कृषि विभाग को अवैध कमाई होती है। इतना ही नहीं, बरेली में 10 हजार से अधिक अवैध खाद की दुकानें हैं। इन दुकानदारों ने कृषि विभाग से खाद बेचने के लिए लाइसेंस नहीं लिया है। इसके बाद भी यह दुकाने कृषि विभाग के बाबू की सरपरस्ती में ही चल रही हैं। प्रत्येक दुकान से सीजन में पांच से दस हजार रुपए बंधे हैं। उनसे करोड़ों रुपए की कमाई कृषि विभाग के अफसर और बाबुओं को होती है। इस रकम की वसूली वित्तीय वर्ष के आखिरी तीन महीने में की जाती है। तभी खाद की दुकानों पर छापे पड़ते हैं। कुल मिलाकर कृषि विभाग में अफसर और बाबू का गठजोड़ सरकार की किसान हित की योजनाओं पर काम ना करके सिर्फ अपनी ऊपरी कमाई करने में लगा है।
मै लंबे अवकाश पर हूं। ये मेरी जानकारी में नहीं है। शासन से अगर कोई पत्र कार्रवाई के लिए आया है तो उस पर नियमानुसार अमल होगा।