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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
बरेली। श्रीराम मूर्ति स्मारक रिद्धिमा में रविवार (9 मार्च 2025) को गायन, कथक और भरतनाट्यम की त्रिवेणी से फाल्गुन के रंग निकले। तीनों विधाओं के गुरुओं ने होली गीतों को अपनी- अपनी विधाओं में प्रस्तुत किया। इसमें गायन के विद्यार्थियों और इंस्ट्रूमेंट गुरुओं ने भी उनका साथ दिया और श्रोताओं व दर्शकों को होली के रंगों से भिगोने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
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कार्यक्रम ‘फाल्गुन के रंग’ का आरंभ रिद्धिमा के गायन के विद्यार्थियों ने किया। विद्यार्थियों ने होली गीत रसिया को नार बनाओरी और पिचकारी न चलाओ गिरधारी ललना को अपने सुमधुर स्वरों में प्रस्तुत कर श्रोताओं को रंगों में भिगोना शुरू किया। दोनों होली गीतों को अपर्णा मिश्रा, अंशुमा अग्रवाल, अर्चना त्यागी, सोनम ग्वाल, आर्या राजगढ़िया, त्रिषिका बिष्ट, अर्नव कन्नौजिया, रियांश अग्रवाल, सार्थक कठेरिया, विव्यान गुप्ता और अश्वथ कपूर ने आवाज दी। गायन गुरु शालिनी पांडेय ने होली कनक भवन में खेलत सिया रघुवीर, गुरु प्रियंका ग्वाल ने बौरी है अम्बुवा की डाल गीत फूटे फागुन के, इंदू परडल ने पिया तोसे नैना लागे रे गाकर श्रोताओं पर फाल्गुन रंगत और चढ़ाई।
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गुरु तनाया भट्टाचार्य ने भरतनाट्यम के जरिये बसंत की खुशबू बिखेरी तो गुरु अंशु शर्मा ने खेले बृज में होली को कथक के जरिये प्रस्तुत किया।गुरु रोबिन ए ने महाकवि जयदेव रचित अष्टपदी हरि रिहा मुग्धा वादु को भरनाट्यम के जरिये प्रस्तुत किया। गुरु रियाश्री चटर्जी ने बैठकी राग में मैं तो खेलूंगी उनही से होरी गुंइयां को प्रीत रंग में और गुरु देवज्योति नस्कर ने खेलत होली मदनगोपाल को कथक में प्रस्तुत कर दर्शकों को होली के रंगों से सराबोर कर दिया।
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कार्यक्रम में उमेश मिश्रा (सारंगी), अमर नाथ और सुमन बिस्वास (तबला व ढोलक), अनुग्रह सिंह (ड्रम व कीबोर्ड), टुकु मनी सेन (हारमोनियम), विशेष सिंह (गिटार) और जोशुना मैसी (कीबोर्ड) ने अपने वाद्ययंत्रों से फाल्गुन के रंग बिखेरने में मदद की। इस मौके पर ट्रस्ट के संस्थापक व चेयरमैन देव मूर्ति जी, आशा मूर्ति जी, आदित्य मूर्ति जी, उषा गुप्ता जी, डा. रजनी अग्रवाल, सुभाष मेहरा, डा. प्रभाकर गुप्ता, डा.अनुज कुमार, डा.शैलेश सक्सेना, डा. रीटा शर्मा सहित शहर के गणमान्य लोग मौजूद थे।