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खेती में drones का इस्तेमाल कैसे करें किसान... वैज्ञानिकों ने समझाया

आकाशवाणी प्रांगण में शनिवार को रेडियो किसान दिवस के अवसर पर किसान और कृषि विशेषज्ञों के साथ कृषि गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें किसानों को ड्रोन का प्रदर्शन करके कृषि कार्य में उसके प्रयोग और महत्व के बारे में समझाया गया।

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Sudhakar Shukla
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

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बरेली। आकाशवाणी प्रांगण में शनिवार को रेडियो किसान दिवस के अवसर पर किसान और कृषि विशेषज्ञों के साथ कृषि गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें किसानों को ड्रोन का प्रदर्शन करके कृषि कार्य में उसके प्रयोग और महत्व के बारे में समझाया गया।

आकाशवाणी बरेली में रेडियो किसान दिवस पर गोष्ठी

कार्यक्रम प्रमुख डा विनय वर्मा ने इस दिन के महत्व के बारे में बताया कि कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से किसान वाणी कार्यक्रम का आकाशवाणी से प्रसारण 15 फरवरी को ही शुरू हुआ था। उसी उपलक्ष्य में हम हर साल इस दिन की रेडियो किसान दिवस के रूप में मनाते है।  किसान अब पहले से काफी समझदार है। इसमें  रेडियो की बड़ी भूमिका है। रेडियो के माध्यम से हम किसानों को कृषि विशेषज्ञों से समय समय पर जानकारी उपलब्ध कराते हैं। साथ ही प्रत्येक मंगलवार को हेलो किसान सेगमेंट में किसानों की समस्याएं फोन कॉल्स के माध्यम से लेते हैं। किसानों को विशेषज्ञों के जरिए समाधान भी बताते हैं।

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जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वैज्ञानिकों की सलाह

वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. रंजीत सिंह में ने बताया कि इस समय किसान जलवायु परिवर्तन से जूझ रहा है। इसका प्रमुख कारण है फसल चक्र को न अपनान और फसल अवशेष को जल देना। पर्याप्त वर्षा नहीं हो रही है। सूक्ष्म जीव कम हो गए हैं।इस वर्ष गेंहू समेत अन्य फसलों का उत्पादन कम होने की आशंका है। उन्होनें सलाह दी कि गेहूं की फसल में 05234 का स्प्रे कर दें। दाना भरने के समय पोटैशियम सल्फेट का छिड़काव करें। सरसों में 5x10 की क्यारी बनाएं। दूसरे खेत का पानी अपने खेत में न आने दें। इंटरक्रॉप खेती करें। हमें संवेदनशील और समझदार बन कर इको फ्रेंडली कृषि करें।

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कुक्कुट पालन से बढ़ेगी किसानों की आय, देसी मुर्गियों का पालन है बेहतर विकल्प

केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डा. दिव्या चौहान ने कहा कि सरकार ने किसानो की आय दुगुनी करने की मुहिम चलाई है। इसमें कुक्कुट पालन एक अच्छा विकल्प है। सबसे अच्छा है देसी मुर्गियों का पालन। केरी श्यामा, केरी हितकारी, उपकारी आदि प्रजाति की मुर्गियों का पालन करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इनसे बड़े और पौष्टिक अंडों का उत्पादन होता है और ज्यादा होता है। इनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता भी ज्यादा होती है।

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कृषि में नैनो टेक्नोलॉजी: एक नई क्रांति

नैनो वैज्ञानिक डा इंद्रा राठौर ने नैनो टेक्नोलॉजी के कृषि में उपयोग के बारे में किसानों को जागरूक करते हुए बताया कि कृषि में नैनो टेक्नोलॉजी का प्रयोग एक क्रांति है। इसमें नैनो यानी बेहद सूक्ष्म कणों पर तकनीकी का इस्तेमाल  करते हैं। कृषि पर बढ़ती ग्रीन हाउस गैसों का दुष्प्रभाव पड़ रहा है।

अंधाधुंध यूरिया का उपयोग मिट्टी की सेहत के लिए घातक

जलवायु परिवर्तन के कारण जैव विविधता कम हो रही है। इसलिए किसी भी चीज की अधिकता बुरी है, इसलिए पानी हो या यूरिया उचित मात्रा में ही डालना चाहिए। अंधाधुंध यूरिया के उपयोग से मृदा में सूक्ष्मजीवों की संख्या कम होती जा रही है। इसलिए ऑर्गेनिक उर्वरक का प्रयोग करना चाहिए। इसी क्रम में नैनो यूरिया का भी उपयोग कर सकते हैं जिसमें हानिकारक तत्वों की मात्रा बेहद कम रखी गई है।

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एकीकृत कृषि प्रणाली अपनाकर बढ़ाएं आय

कृषि विज्ञान केंद्र बरेली के वैज्ञानिक अमित पिप्पल ने किसानों को एकीकृत कृषि प्रणाली अपनाने को प्रेरित किया। उन्होनें बताया कि मिट्टी की जांच करवाना बहुत जरूरी हैं। अच्छी फसल के लिए समय समय पर  गोबर की खाद डालना चाहिए। आजकल मौसम विपरीत है। इसके लिए हमें खुद को अपने खेत को तैयार करना होगा। इसलिए फसल अवशेष प्रबंधन बहुत आवश्यक है। फसल के अवशेष को जलाएं नहीं। पूसा वेस्टइडी कंपोजर से फसल अवशेष को गला सकते है। एकीकृत कृषि प्रणाली को अपनाएं। किसान अपनी आय दुगुनी करने के लिए कृषि के साथ साथ मुर्गी पालन, बकरी पालन, मछली पालन आदि कार्य सकते है। हरे चरे के लिए सुपर नेपियर लगा सकते हैं। इससे वर्ष भर हरा चारा के सकते है। बकरी पालन के लिए जीजुआ घास लगा सकते हैं।

ड्रोन तकनीक से किसानों को मिलेगा नया समाधान

इफको आंवला के जन संपर्क अधिकारी विनीत शुक्ला ने किसानों से अपील की कि सबसे पहले किसान अपनी मिट्टी की जांच अवश्य कराएं। आपको पता चले आपके खेत की मिट्टी को कितने खाद की जरूरत है। किन किन पोषक तत्वों की आवश्यकता हैं। हमें नई कृषि तकनीकों के माध्यम से उन्नत, आधुनिक और वैज्ञानिक खेती करनी होगी। आज हम इस कार्यक्रम में  ड्रोन लेकर आए हैं। सरकार ने इसके माध्यम से आधुनिक और सशक्त भारत के निर्माण का प्रशस्त किया है। इस ड्रोन में दस लीटर का टैंक है जिससे ये एक बार में दो तीन एकड़ खेत में खाद का छिड़काव कर देता है। इस मौके पर इफको की टीम ने ड्रोन और नैनो यूरिया का महत्व को समझाया। साथ ही किसानों को ड्रोन का संचालन करके भी प्रदर्शित किया गया।

आईवीआरआई विशेषज्ञ का किसानों को आह्वान

आईवीआरआई बरेली में मत्स्य पालन के विशेषज्ञ दुर्गा दत्त शर्मा ने किसानों से कृषि के साथ  मत्स्यपालन अपनाने का भी आह्वान किया। उन्होंने बताया कि इसके सबसे पहले ट्रेनिंग ले। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का फायदा उठाते उठाएं। इसमें छोटे किसानों के लिए लाभ उठाने के बहुत अवसर हैं। 

 अतिथियों एवं किसानों का धन्यवाद ज्ञापन प्रसारण अधिशासी मिथिलेश श्रीवास्तव और संचालन अमृता सिंह ने किया।  प्रसारण अधिशासी गौरव सक्सेना, वरिष्ठ अभियांत्रिकी सहायक परितोष कुमार एवं किसानवाणी कार्यक्रम के प्रेजेंटर उपस्थित थे।

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