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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
बरेली। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई), में "वैक्सीन और डायग्नोस्टिक्स के विकास के लिए जीनोम एडिटिंग टेक्नोलॉजी की उपयोगिता " विषय पर एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आरंभ किया। यह कार्यक्रम भारतीय क़ृषि अनुसन्धान परिषद द्वारा जीनोम एडिटिंग परियोजना के अंतर्गत आयोजित किया गया। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों और पशु चिकित्सा पेशेवरों को अत्याधुनिक जीनोम एडिटिंग तकनीकीयों से परिचित कराना है।
कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ. अमरेश कुमार, महानिदेशक, केसीएमटी और अध्यक्षता आईवीआरआई के निदेशक-सह-कुलपति डॉ. त्रिवेणी दत्त ने की। इस अवसर पर संस्थान के संयुक्त निदेशक (अनुसंधान) डॉ. एस. के. सिंह, संयुक्त निदेशक (कैडराड ) डॉ. सोहिनी डे सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
कार्यक्रम की शुरुआत में डॉ. बबलू कुमार ने गणमान्य व्यक्तियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत किया। मुख्य अतिथि डॉ. अमरेश कुमार तथा डॉ. त्रिवेणी दत्त का धन्यवाद किया। उन्होंने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए इसे पशु चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में क्रांतिकारी बताया।
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समन्वयक एवं पाठ्यक्रम निदेशक डॉ. पी. के. गुप्ता ने एनपी-जीईटी परियोजना के उद्देश्यों की रूपरेखा प्रस्तुत की और देशभर से आए प्रतिभागियों का स्वागत किया। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 28 फरवरी 2025 तक चलेगा, जिसमें आईवीआरआई के इज्जतनगर, मुक्तेश्वर एवं बेंगलुरु परिसरों के विशेषज्ञ संकाय सदस्यों द्वारा व्याख्यान और प्रायोगिक सत्र आयोजित किए जाएंगे।
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अपने संबोधन में आईवीआरआई के निदेशक, डॉ. त्रिवेणी दत्त ने संस्थान के पशु चिकित्सा अनुसंधान में योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने वैक्सीन और डायग्नोस्टिक्स के विकास में जीनोम एडिटिंग की भूमिका पर चर्चा करते हुए इसे पशु चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में परिवर्तनकारी तकनीक बताया। उन्होंने इस महत्वपूर्ण प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजन के लिए एनपी-जीईटी टीम को बधाई दी। डॉ दत्त ने प्रतिभागियों को अवगत कराया की इस नेटवर्क परियोजना की कुल आवंटित राशि करीब 38 करोड़ है। आईसीएआर के 13 संस्थान इसमें शामिल हैँ। इस परियोजना को संचालित करने की जिम्मेदारी भारतीय पशु चिकित्सा अनुसन्धान संस्थान की है।
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कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. अमरेश कुमार ने उद्घाटन भाषण में आईवीआरआई की सराहना करते हुए कहा कि जीनोम एडिटिंग जैसी अत्याधुनिक तकनीकों में क्षमता निर्माण गतिविधियां पशु चिकित्सा विज्ञान के भविष्य को नया आयाम देंगी। उन्होंने प्रतिभागियों को इस प्रशिक्षण का अधिकतम लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया और ब्लूफिन मछली में जीनोम एडिटिंग के एक सफल उदाहरण की चर्चा की। उन्होने भारतीय पशु चिकित्सा अनुसन्धान संस्थान द्वारा आधुनिक युग के तकनिकी जैसे जिनोम एडिटिंग पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने के लिए सराहना की।
कार्यक्रम के अंत में डॉ. सोनालिका महाजन ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का समन्वय डॉ. आई. करुणा देवी ने किया। विभिन्न विभागों के प्रमुखों और प्रशिक्षण कार्यक्रम के संकाय सदस्यों ने भाग लिया।