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International Women's Day : राजनीतिक और वित्तिय संस्थानों में महिलाओं को मिले आरक्षण

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर बरेली स्थित रुहेलखंड विश्वविद्यालय में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान राजीतिक और वित्तिय संस्थानों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए आरक्षण का मुद्दा उठाया गया।

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KP Singh
महिला दिवस रुविवि

Photograph: (मीडिया सेल, रुविवि)

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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

बरेली। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर बरेली स्थित एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय के विधि विभाग में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान राजीतिक और वित्तिय संस्थानों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए आरक्षण का मुद्दा उठाया गया। साथ ही महिलाओं को सशक्त करने और आगे बढ़ाने के लिए मानवीय मूल्यों पर जोर देने की बात कही गई।

अभियोजन अधिकारी विपर्णा गौर ने कहा कि लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्प बहुत जरूरी है। अच्छी शिक्षा और कठिन परवरिश बहुत जरूरी है ताकि महिलाएं अपने अधिकारों के लिए लड़ सके और उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठा सकें।

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अतिथि डॉ. शशि देवी शर्मा ने अपने वक्तव्य की शुरुआत नारी तू कोमल है कमजोर नहीं से की। उन्होंने कहा कि महिलाओं को सशक्त करने और आगे बढ़ाने के लिए मानवीय मूल्य का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। मानवता के आधार पर ही महिलाओं की स्थिति में सुधार कर सकते हैं। भगवान शंकर को भी अर्धनारीश्वर कहा जाता है इसलिए नारी और पुरुष के समान अधिकार हैं। नैतिक मूल्य और शलीन व्यवहार से ही नारियों के अधिकारों को उजागर किया जा सकता है।

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एडवोकेट सोनी मालिक ने कहा कि महिला सशक्तीकरण से ही देश सशक्त हो सकता है। उन्होंने समाज के रूढ़िवादी विचारों को दूर करने की बात कही। कहा- महिलाओं का कार्यस्थल पर होने वाला उत्पीड़न इसी असमानता और रूढ़िवादी सोच का उदाहरण है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो केपी सिंह ने की। इस दौरान बीके राय, सहायक प्रवक्ता डॉ. शहनाज अख्तर, डॉ. अनुराधा यादव, असिस्टेंट प्रोफेसर जूही नसीम, रिसर्च स्कॉलर शैलेंद्र सिंह, श्रद्धा स्वरूप, राष्ट्र वर्धन, शिक्षक डॉ. लक्ष्मी देवी, अमित कुमार सिंह, डॉ. लक्ष्यलता प्रजापति, नईमुद्दीन, प्रेक्षा सिंह, प्रियदर्शिनी रावत, कर्मचारी गुलाब सिंह, राम वचन, मोहित आदि उपस्थित रहे।

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कई क्षेत्रों में महिला और पुरुषों की भागीदारी में लंबा फासला

विधि विभागाध्यक्ष डॉ. अमित सिंह ने कहा कि आज महिलाएं हर मामले में आगे हैं, उनके सशक्तीकरण और संघर्ष की लंबी कहानी है लेकिन राजनीतिक रूप से निर्णय, निर्माण अथॉरिटी में पुरुष और महिलाओं के बीच लंबा दायरा देखने को मिलता है। वित्तीय संस्थानों में भी उनकी भागीदारी कम है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को रिजर्वेशन की जरूरत है ताकि उनकी भागीदारी राजनीतिक क्षेत्र और वित्तीय संस्थानों में भी सुनिश्चित की जा सके। कृषि सेक्टर में महिलाओं के श्रम की चोरी समाज में असमानता को दर्शाती है। डॉ. ज्योति पांडे ने महिला दिवस की बधाई दी।

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