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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
बरेली। भूमि संरक्षण विभाग की वाटरशेड विकास घटक (डब्ल्यूडीसी) और पंडित दीनदयाल किसान समृद्धि योजना के घपले की जांच करने के लिए टीएसी टीम आलमपुर जफराबाद ब्लॉक के गांव नौरंगपुर, रामपुर बुजुर्ग, कुंडरिया इखलासपुर और मिलक मंशाराम पहुंची। इन गांवो में जांच टीम ने पक्के निर्माण कार्यों की खुदाई कराकर माप ली। साथ ही कच्चे निर्माण कार्यों की गुणवत्ता के बारे में गांव के किसानों से पूछताछ की। टीएसी जांच टीम को भौतिक सत्यापन में अनगिनत खामियां मिली। भूमि संरक्षण अधिकारी संजय सिंह को कई रिमाइंडर देने के बाद भी पूरे रिकार्ड न देने के लिए टीएसी टीम के प्रमुख राजेश कुमार ने फटकार भी लगाई।
पक्के और कच्चे कामों में टीएसी टीम को मिली अनगिनत खामियां
टीएसी टीम ने डब्ल्यूडीसी और किसान समृद्धि योजना के पक्के निर्माण और कच्चे कामों के भौतिक सत्यापन के लिए भूमि संरक्षण अधिकारी संजय सिंह से कुछ दिन पहले ही पत्र भेजकर अभिलेख मांगे थे। साथ ही उनसे 10 और 11 फरवरी को दो से तीन गांवों में जाने की सूचना दी थी। मगर, भूमि संरक्षण अधिकारी ने टीम को आधे अधूरे अभिलेख उपलब्ध कराए। मंगलवार को लखनऊ में मीटिंग होने की बात कहकर भौतिक सत्यापन में सहयोग न करने का बहाना बनाया। जब जेडीसी प्रदीप कुमार की ओर से सख्ती की गई तब भूमि संरक्षण अधिकारी अपने विभागीय कर्मचारियों के साथ 12:00 के बाद जेडीसी दफ्तर पहुंचे। यहां भी उनकी ओर से उनके कामों की जांच को लेकर टीएसी टीम के सदस्यों के साथ घंटों बहस की गई। लंबी बहस के बाद वह 1:30 बजे टीएसी टीम को लेकर नवरंगपुर गांव गए।
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साहब, कुलाबे में पीला ईंट लगवाई , मेडबंदी भी आधी अधूरी
जांच टीम ने रामपुर बुजुर्ग में खसरा नंबर 514 और एमबी संख्या 61 की जांच की। उसमें रामपुर बुजुर्ग गांव के रहने वाले राजाराम, बेनीराम और रामपाल के खेत की मेड़बंदी की गई थी। मौके पर आधी अधूरी मेडबंदी पाई गई। किसी का नाम गायब था तो कोई किसान गांव में नही रहता मिला। कच्चे कामों में खेत समतलीकरण और मेडबंदी में फर्जी किसानों के नाम एमबी और नक्शे में चढ़े हुए पाए गए। नौरंगपुर के किसान सुरेंद्र सिंह ने बताया कि एक साल पहले गांव के पश्चिम में पक्के कुलाबे के निर्माण में पीला ईंट लगाई गई। जांच टीम ने नरेशपाल के खेत के कुलाबे की खुदाई कराई। उसमे लंबाई चौड़ाई मोटाई और गहराई निर्धारित मानक से कम निकली। कुलाबे की नीव गायब थी। मिट्टी पर ईंटे रखकर सीमेंट और रेत से जोड़ी गई थी। उसमे भी सीमेंट नाममात्र का था। रेत ही रेत अधिक दिखी।
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जाटव का खेत था, पंडित का बता दिया
गांव नौरंगपुर और रामपुर बुजुर्ग में जांच टीम जब 1500 मीटर का बंधा भूमि संरक्षण अधिकारी संजय सिंह की ओर से बनाना बताया गया। खसरा नंबर 601 और पीवी/25 की गहराई, मोटाई और ऊंचाई नापी। यह भी मानक से कम पाई गई। उसमे निर्माण सामग्री भी घटिया गुणवत्ता की और मानक से कम निकली। जांच टीम ने जब खेत मालिक का नाम पूछा तो भूमि संरक्षण विभाग के स्टॉफ ने खेत किसी पंडित जी का बताया जबकि मौके पर मौजूद किसान सगीर अहमद का कहना था कि खेत जाटव का है। मतलब, जिस खेत की मेड़बंदी की गई। उस खेत मालिक का नाम भूमि संरक्षण विभाग को पता नहीं था। मतलब मेडबंदी और खेत समतलीकरण के ज्यादातर काम फर्जी पाए गए।
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जिनके खेत में मेडबंदी, वो गांव में रहते ही नहीं
गांव कुंडारिया इखलाखपुर और मिलक मंशाराम में टीएसी टीम ने एमबी नंबर 09 और खसरा नंबर 342, 358, 260 में जांच की तो मौके पर आधी अधूरी मेडबंदी पाई गई। नाली मौके पर बनी नही मिली। कुलाबे की नीव भी गायब थी। ईंट भी पीला थी। किसान अमरकांत उपाध्याय ने बताया कि उनके खेत में आधी मेड बांधकर भूमि संरक्षण विभाग के लोग चले गए। जब पूरी मेड बांधने को कहा तो बोले, दोबारा काम चलेगा, तब बांध देंगे।
राजस्व रिकार्ड में नाम दर्ज, वह किसान गांव में नही रहते
मिलक मंशाराम गांव में रहने वाले शुभम ने बताया कि उनके चाचा कृष्ण अवतार के खेत में मेड बांधी ही नहीं गई। उसे केवल कागज़ों में दिखाकर पेमेंट करा लिया गया। दुलीराम, जागनलाल, श्यामलाल, मनोहरलाल, खंजनलाल आदि किसान गांव में नहीं रहते। मगर, इनके खेत में मेढ़बंदी और समतलीकरण कार्य कागज़ों में दर्ज़ था। 522 मीटर लंबी मेढ़बंदी के जांच टीम को रिकार्ड नहीं मिले। इसी तरह से डालचंद्र के खेत में मेढ़बंदी कराई गई। यह भी गांव में नही रहते। सूर्यप्रकाश के खेत में आधी अधूरी मेढ़बंदी पाई गई। टीएसी जांच टीम में उपायुक्त खाद्य मदन यादव, एक्सईएन राजेश कुमार, नीरज सक्सेना, कार्यवाहक भूमि संरक्षण अधिकारी संजय सिंह, टीए विवेक सिंह, जेई गीतांजलि आर्या, अचल विश्नोई आदि शामिल थे।