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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
बरेली। लिंग थाप विधिवत करि पूजा।
शिव समान प्रिय मोहि न दूजा।।
आशुतोष तुम अवढर दानी।
आरति हरहु दीनजन जानी।।
प्रथम प्रहर पूजा समय
प्रथम प्रहर पूजा समय – 26 फरवरी शाम 06:19 मिनट से रात 09:26 मिनट तक.
द्वितीय प्रहर पूजा समय – 26 फरवरी रात 09:26 मिनट से रात 12:34 मिनट तक.
तृतीय प्रहर पूजा समय – 27 फरवरी रात 12:34 मिनट से सुबह 03: 41 मिनट तक.
चतुर्थ प्रहर पूजा समय – 27 फरवरी सुबह 03:41 मिनट से सुबह 06:44 मिनट तक.
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चार प्रहर में पूजा विधि ?
महाशिवरात्रि को चार प्रहर की पूजा करने वाले भक्तों को रात के पहले प्रहर में शिवलिंग को दूध, दूसरे प्रहर में दही, तीसरे प्रहर में घी और चौथे वी में शहद से शिवलिंग को स्नान कराना चाहिए।
चारों प्रहर पूजा के मंत्र
हर प्रहर में शिवलिंग को स्नान कराते समय अलग-अलग मंत्रों का जाप करना चाहिए.
पहले प्रहर में : ‘ह्रीं ईशानाय नमः’,
दूसरे प्रहर में : ‘ह्रीं अघोराय नमः’
तीसरे प्रहर में : ‘ह्रीं वामदेवाय नमः’
चौथे प्रहर में : ‘ह्रीं सद्योजाताय नमः’
मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए अभिषेक करने के बाद शिवलिंग को बिल्वपत्रों से बनी माला से सजाना चाहिए।
महाशिवरात्रि के दूसरे, तीसरे और चौथे प्रहर में व्रती को पूजा, अर्घ्य, जाप और कथा भी सुननी चाहिए। शिव स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।भगवान शिव को प्रणाम करना चाहिए। चंदन के लेप से पूजा आरंभ कर सभी चीजों के साथ शिव पूजा करें । आग में तिल, चावल और घी मिश्रित भात यानी पके हुए चावल की आहुति दे।
हवन के बाद किसी एक साबुत फल की आग में आहुति देनी चाहिए. आमतौर पर लोग सूखे नारियल की आहुति देते हैं। महाशिवरात्रि के दिन शिव कथा का पाठ करें। दोबारा अर्धरात्रि, रात्रि के तीसरे प्रहर और चौथे प्रहर में भी आहुति देनी चाहिए। फिर अगले दिन सूर्योदय के समय ‘ऊँ नमः शिवाय’ मंत्र का पाठ करना चाहिए।
महाशिवरात्रि पर्व आध्यात्मिक चेतना और भक्ति का पर्व है। भगवान शिव की पूजा मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने भी की थी। वे भक्तों से बहुत शीघ्र प्रसन्न होते हैं। महाशिवरात्रि के दिन चारों प्रहर की अलग अलग पूजा अर्चना का विधान है।
शिवरात्रि से एक दिन पहले नाथनगरी बरेली में अलखनाथ, पशुपतिनाथ, मढ़ीनाथ, घोपेश्वरनाथ, टिबरीनाथ मंदिरों के अलावा शहर के अन्य छोटे-बड़े शिवालयों की साफ सफाई हुई। देर शाम तक भगवान भोलेनाथ का श्रृंगार किया गया। मंदिरों को झालरों से सजाया गया। शिवालयों तक जाने वाले मार्गों की मरम्मत भी की गई। जिन मार्गों पर पानी भरा था या कूड़ा कचरा था, नगर निगम की ओर से उनकी सफाई कराई गई।
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पशुपतिनाथ मंदिर
पशुपतिनाथ मंदिर में पुजारी ने शिवालय की सफाई की। मंदिर में श्रद्धालुओ के आने-जाने वाले मार्ग की भी साफ सफाई की गई। भक्तों को किसी तरह की परेशानी न हो, इसका विशेष ख्याल रखा गया। मंदिर के पुजारी ने बताया कि महाशिवरात्रि के दिन चारों प्रहर में भक्तगण भोलेनाथ की पूजा अर्चना विधि विधान से कर सकेंगे। महाशिवरात्रि के दिन बेलपत्र, धतूरे, शहद, दूध, दही, फल आदि का भोग भोलेनाथ जी को लगाया जाएगा।
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तपेश्वरनाथ मंदिर
तपेश्वर नाथ मंदिर में भगवान भोलेनाथ की पूजा महाशिवरात्रि के दिन करने की विशेष मान्यता है। मंदिर के पुजारी का कहना है कि महाशिवरात्रि के दिन जो भी भक्त श्रद्धा भाव से चारों प्रहर में अलग अलग बेलपत्र, धतूरे, शहद, दूध, दही, सफेद मिठाई, और गंगाजल से भोले बाबा की पूजा करता है। उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। देर रात तक बीज मंत्रों का जापकर भगवान भोलेनाथ का ध्यान करना चाहिए।
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मढ़ीनाथ मंदिर
इस मंदिर के नाम पर मोहल्ले का नाम भी मनीनाथ पड़ गया है। किला और चोपड़ा ओवर ब्रिज के बीच में स्थित मणिनाथ मंदिर भक्तों की विशेष आस्था का केंद्र है। महाशिवरात्रि से एक दिन पहले मंदिर जाने वाले मार्ग की विशेष तौर पर साफ-सफाई की गई। रास्ते में ऊपर खराब मार्गों को ठीक किया गया। मंदिर के पुजारी धर्मेंद्र गिरी ने बताया कि महाशिवरात्रि के दिन सुबह 5:00 बजे से ही भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना प्रारंभ हो जाएगी और देर रात उनकी इच्छा तक भक्तगण भोले बाबा को प्रसन्न करने के लिए किसी भी वक्त पूजा अर्चना कर सकेंगे।
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टिबरीनाथ मंदिर
प्रेम नगर धर्म कांटे से कुदेशिया फाटक पुल की ओर जाने वाले मार्ग पर स्थित टिबरीनाथ मंदिर में महाशिवरात्रि के दिन पूजा अर्चना का विशेष महत्व है। महाशिवरात्रि से एक दिन पहले मंदिर को साफ सफाई करके पूरी तरह से सजाया गया। मंदिर के पुजारी का कहना है कि हर साल महाशिवरात्रि के दिन सुबह भोर से ही भक्तगणों की भारी भीड़ भगवान महाकाल की पूजा अर्चना करने के लिए रहती है। देर रात तक भक्तगण भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना बेलपत्र, धतूरे, शहद, फूलों की माला, मिष्ठान, फल आदि से करते हैं। इस बार भी महाशिवरात्रि के दिन भक्ति चरणों की भारी भीड़ लगने का अनुमान है। कुछ भक्तगण यहां रुद्राभिषेक भी करते हैं।
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बनखंडीनाथ मंदिर
शहर के मोहल्ला जोगी नवादा इलाके में स्थित बनखंडी नाथ मंदिर में भी भगवान भोले के भक्त बड़ी संख्या में एकत्रित होकर हर साल महाशिवरात्रि के दिन विशेष पूजा अर्चना करते हैं। पहले यहां मंदिर के मार्ग की तरफ जाने वाली गड्ढा युक्त थी जगह-जगह गंदगी पड़ी रहती थी। इस बार महाशिवरात्रि से एक दिन पहले इस मार्ग की साफ सफाई करके उसे दुरुस्त किया गया है। शिवालय की भी अच्छे से सफाई सेवादारों ने की। मंदिर के पुजारी का कहना है कि भोले के भक्त महाशिवरात्रि के दिन सुबह से देर रात तक महाकाल बाबा के दर्शन और पूजन कर सकेंगे।
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धोपेश्वरनाथ मंदिर
शहर के कैंट इलाके में स्थित गोपेश्वर नाथ मंदिर परिसर की भी महाशिवरात्रि से एक दिन पहले साफ सफाई की गई। नगर निगम के सफाई कर्मचारियों ने भी मंदिर के आसपास कूड़ा एकत्र करके आने जाने वाले मार्ग को साफ किया गया। धोपेश्वर नाथ मंदिर में महाशिवरात्रि के दिन पूजा अर्चना का विशेष महत्व है। मंदिर के पुजारी का कहना है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करने से प्रत्येक व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है। उसके जीवन में सुख समृद्धि आती है।
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अलखनाथ मंदिर
किला पुल से आगे स्थित प्राचीन अलखनाथ मंदिर में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। यूं तो अलखनाथ मंदिर में वैसे ही प्रतिदिन भक्तों का सैलाब लगा रहता है। लेकिन, महाशिवरात्रि के दिन इस मंदिर में पूजा अर्चना के लिए हर साल प्रातः 3:00 बजे से ही लंबी लाइन लग जाती है। फिर अगले दिन देर रात तक भक्तों की संख्या कम नहीं होती। मंदिर के महंत का कहना है कि भगवान भोलेनाथ महाशिवरात्रि के दिन साक्षात रूप से मंदिर में आकर विराजमान रहते हैं। इस दिन व्रत रखकर बेलपत्र, धतूरे शहद दूध दही घी और शक्कर मिलाकर पूजा अर्चना करने से भोले बाबा प्रसन्न होते हैं और प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से भक्तों का कल्याण करते हैं।