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नगर निगम की नई बिल्डिंग का न बीडीए से नक्शा मंजूर, निर्माण में 18 करोड़ का गोलमाल

नगर निगम की आलीशान मल्टीस्टोरी बिल्डिंगअवैध घोषित हो गई है। इसकी वजह यह है कि बीडीए से बिल्डिंग निर्माण का नक्शा पास नहीं कराया गया। न ही फायर ब्रिगेड से एनओसी ली गई।

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Sudhakar Shukla
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

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बरेली। नगर निगम की आलीशान मल्टीस्टोरी बिल्डिंगअवैध घोषित हो गई है। इसकी वजह यह है कि बीडीए से बिल्डिंग निर्माण का नक्शा पास नहीं कराया गया। न ही फायर ब्रिगेड से एनओसी ली गई। नई बिल्डिंग के निर्माणपर अब तक 18 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। परिसर के सौंदर्यीकरण के लिए बरेली स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत 4 करोड़ रुपये अलग से खर्च किए गए।

नगर निगम अधिकारियों की भूमिका पर उठे सवाल

इसका खुलासा कार्यदायी एजेंसी वीके कंस्ट्रक्शंस के प्रोजेक्ट मैनेजर अमित टम्टा ने किया है। उन्होंने बताया कि उनकी एजेंसी को केवल निर्माण कार्य की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, जबकि नक्शा पास कराने और एनओसी लेने की जिम्मेदारी पूरी तरह से नगर निगम अधिकारियों की थी।

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वीके कंस्ट्रक्शंस ने 2018 में शुरू किया था भवन निर्माण

नगर निगम की इस नई बहुमंजिला बिल्डिंग का निर्माण गाजियाबाद की वीके कंस्ट्रक्शंस द्वारा 2018 में 1754 वर्गमीटर भूमि पर शुरू किया गया था। इस परियोजना को 6 अप्रैल 2023 तक पूरा किया जाना था, लेकिन कई नोटिस और जुर्माने के बावजूद अब तक काम अधूरा पड़ा है। 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले ही 7 जनवरी 2022 को अधूरी इमारत का उद्घाटन कर दिया गया, जिसके बाद मेयर और नगर आयुक्त के दफ्तर सहित अन्य सरकारी कार्यालयों को इसमें स्थानांतरित कर दिया गया।

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बजट 12.5 करोड़ से बढ़कर 18 करोड़ तक पहुंचा

शुरुआत में इस इमारत का अनुमानित बजट 12.5 करोड़ रुपये था, जो बढ़कर 18 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। इसके बावजूद निर्माण की गुणवत्ता इतनी खराब रही कि कई जगहों पर प्लास्टर उखड़ने लगा है। इस स्थिति को देखते हुए कमिश्नर के निर्देश पर नगर आयुक्त संजीव कुमार मौर्य ने एक जांच कमेटी गठित की है। यह कमेटी न केवल निर्माण गुणवत्ता की जांच कर रही है, बल्कि यह भी देख रही है कि अधूरी बिल्डिंग का उद्घाटन कैसे किया गया और बिना पूर्ण निर्माण के सरकारी कार्यालयों को इसमें स्थानांतरित करने की अनुमति कैसे दी गई।

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बिना नक्शा पास के इमारत कैसे खड़ी हो गई

बीडीए से बिना नक्शा पास कराए ही तीन पांच मंजिला इमारतें खड़ी कर दी गईं। जिम्मेदार अधिकारियों की नाक के नीचे नियमों की अनदेखी की गई और निर्माण टेंडर में घोटाले हुए। सुरक्षा इंतजाम भी पूरी तरह से नदारद हैं, जिससे किसी भी संभावित हादसे में कर्मचारियों, अधिकारियों और नागरिकों की जान को खतरा हो सकता है। यह मामला प्रशासनिक अधिकारियों की गंभीर लापरवाही को उजागर करता है।

पीडब्ल्यूडी कैसे दे सकता है क्लीन चिट

नगर निगम की इस बहुमंजिला इमारत की दूसरी बार लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) द्वारा जांच की जा रही है। पिछली जांच की तरह इस बार भी एजेंसी को क्लीन चिट देने की तैयारी की जा रही है। नगर निगम के निर्माण विभाग, पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों और कार्यदायी एजेंसी के बीच मिलीभगत की आशंका है। मामूली खामियों को उजागर कर निर्माण कार्य को संतोषजनक घोषित करने की योजना तैयार की जा रही है।

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