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बरेली,वाईबीएनसंवाददाता
बरेली। ब्रह्मपुरी में चल रही 165वीं रामलीला में दूसरे दिन गुरु मुनेश्वर दास ने काव्य रूप में सीता जन्म की कथा किया। उन्होंने बताया कि माता सीता के जन्म के विषय में कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं पर सबसे विशेष कथा है, जिसके अनुसार कहा जाता है कि देवी सीता राजा जनक की गोद ली हुई पुत्री थीं, जबकि कहीं-कहीं इस बात का जिक्र भी मिलता है कि माता सीता लंकापति रावण की पुत्री थीं।
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उन्होंने कहा कि माता सीता को लक्ष्मी का अवतार माना जाता है, जिनका विवाह भगवान विष्णु के अवतार भगवान श्रीराम से हुआ था। विवाह के बाद माता सीता को भगवान राम के साथ 14 साल का वनवास काटना पड़ा। वाल्मीकि रामायण के अनुसार एक बार मिथिला में पड़े भयंकर सूखे से राजा जनक बेहद परेशान हो गए थे, तब इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए उन्हें एक ऋषि ने यज्ञ करने और धरती पर हल चलाने का सुझाव दिया।
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ऋषि के सुझाव पर राजा जनक ने यज्ञ करवाया और उसके बाद राजा जनक धरती जोतने लगे। तभी उन्हें धरती से सोने की खूबसूरत संदूक में एक सुंदर कन्या मिली। राजा जनक की कोई संतान नहीं थी, इसलिए उस कन्या को हाथों में लेकर उन्हें पिता प्रेम की अनुभूति हुई। राजा जनक ने उस कन्या को सीता नाम दिया और उसे अपनी पुत्री के रूप में अपना लिया। जिसके बाद राजा जनक ने सीता का पालन पोषण किया और उनका विवाह श्रीराम के साथ संपन्न कराया।
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वनवास के दौरान रावण ने सीता का अपहरण किया, इस कारण श्रीराम ने रावण का वध किया और सीता रावण के वध का कारण बनीं। राजा जनक की पुत्री होने के कारण ही माता सीता को जानकी भी कहा जाता है।
कथा के बाद खेली गई फूलों की होली
कथा के बाद क्षेत्र वासियों ने फूलों की होली खेली। प्रवक्ता विशाल मेहरोत्रा ने बताया कि बुधवार को विश्वामित्र का आगमन और अहिल्या उद्धार लीला का मंचन होगा। इससे पहले पदाधिकारियों ने स्वरूपों की आरती उतार प्रभु का आशीर्वाद लिया। इस दौरान रामलीला कमेटी अध्यक्ष राजू मिश्रा, संरक्षक सर्वेश रस्तोगी, महामंत्री दिनेश दद्दा व सुनील रस्तोगी, कोषाध्यक्ष राजकुमार गुप्ता, लीला प्रभारी अखिलेश अग्रवाल, विवेक शर्मा, नवीन शर्मा, नीरज रस्तोगी, बॉबी रस्तोगी, अमित वर्मा, दीपेंद्र वर्मा आदि मौजूद रहे।