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Photograph: (AI)
बरेली, वाईबीएन संवाददाता
बरेली। बरेली में होली के मौके पर ऐतिहासिक रामलीला का आयोजन होता है। यह रामलीला अपने आप में अनूठी है। इसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया है। इस बार आठ मार्च को रामलीला का शुभारंभ होगा।
देश में दिवाली से पहले रामलीला का आयोजन होता है लेकिन बरेली में होली के रंगों के बीच अनूठी रामलीला का मंचन होता है। अपने अंदर 165 साल का इतिहास समेटे यह रामलीला विश्व विख्यात है। यूनेस्को ने 2015 में इसे विश्व धरोहर घोषित किया था। इस साल इस रामलीला का शुभारंभ आठ मार्च को होगा। 26 मार्च को श्रीराम यज्ञ के साथ इसका समापन होगा।
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बरेली के बड़ी बमनपुरी में होने वाली इस रामलीला की शुरुआत 1861 में ब्रिटिश शासन काल में हुई थी। बतातें है कि उस समय अंग्रेजों इसे रोकने का काफी कोशिश की थी लेकिन कामयाब नहीं हो सके थे। इसके बाद से यह रामलीला निरंतर आयोजित होती चली आ रही है। रामलीला के विभिन्न प्रसंगों का मंचल अलग-अलग मोहल्लों में होता है, जैसे अगस्त्य मुनि से जुड़े प्रसंग का मंचन छोटी बमनपुरी में अगस्त्य मुनि आश्रम में होता है। राम-केवट संवाद मोहल्ला साहूकारा, मेघनाद यज्ञ बमनपुरी और लंका दहन मलूकपुर चौराहा पर होता है।
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13 मार्च को निकलेगी श्रीराम बरात
श्रीरामलीला सभा के अध्यक्ष राजू मिश्रा ने बताया कि यूनेस्को ने रामलीला को संरक्षित रखने के लिए इसे विश्व धरोहर घोषित किया है। शुरुआत में स्थानीय लोग ही रामलीला में विभिन्न पात्रों की भूमिका निभाते थे। अब अयोध्या की मंडली इसका मंचन करती है। महासचिव राजू मिश्रा ने बताया कि इस बार यह रामलीला 8 मार्च से शुरू होगी, 13 मार्च को श्रीराम बरात निकाली जाएगी और 26 मार्च को श्रीराम में राज्याभिषेक के साथ संपन्न होगी।
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विश्व धरोहर की सूची में है शामिल
होली के मौके पर होने वाली बमनपुरी की रामलीला विश्व विख्यात है इसलिए इसे विश्व धरोहर घोषित किया गया है। यूनेस्को ने 2008 में इस रामलीला को विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया था, जबकि 2015 में इसे विश्व धरोहर घोषित किया गया।