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बरेली,वाईबीएनसंवाददाता
बरेली। नगर निगम के भवन निर्माण घोटाले के खिलाफ़ पूर्व मेयर डॉक्टर आईएस तोमर में आर पार की लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है। उन्होंने घोटाले के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखी है। उसमें नगर निगम के नए भवन निर्माण की गुणवत्ता और मांगों की जांच की मांग की गई है। इस बात का खुलासा डॉक्टर तोमर ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया।
निर्माण कार्य में एजेंसी परिवर्तन के कारण गड़बड़ी उजागर
डॉ. आई.एस. तोमर ने बताया कि 2016 में नगर निगम भवन के निर्माण की स्वीकृति दी गई थी। शासन के निर्देशानुसार, किसी भी सरकारी भवन का निर्माण केवल सरकारी निर्माण एजेंसी से ही कराया जाना चाहिए। उनके कार्यकाल में जब निविदाएं आमंत्रित की गईं, तो उत्तर प्रदेश जल निगम की कांट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विस ने 12.85 करोड़ रुपये में टेंडर प्राप्त किया था। हालांकि, नगर निगम प्रशासन ने शासन के निर्देशों की अवहेलना करते हुए किसी अन्य "चहेती" फर्म को टेंडर प्रदान कर दिया, जिससे निर्माण लागत बढ़कर 18 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है।
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निर्माण मानकों की अनदेखी के बावजूद भवन अधूरा
पूर्व मेयर ने आरोप लगाया कि भवन निर्माण में गुणवत्ता और तकनीकी मानकों की गंभीर अनदेखी की गई है। 18 करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद भवन अब भी अधूरा पड़ा है। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य में जल्दबाजी दिखाकर अनियमितताएं की गईं, जिससे करोड़ों रुपये के गबन की आशंका है। यह पूरा मामला जांच का विषय है और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
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किस तरह का भ्रष्टाचार उजागर होने की संभावना
डॉ. आईएस तोमर ने बताया कि नगर निगम के अभियंताओं के पास इतनी बड़ी परियोजना के निर्माण का अनुभव नहीं था। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि निर्माण कार्य की निगरानी किस स्तर पर और किसके द्वारा की गई? परियोजना की शुरुआत और समाप्ति की निर्धारित समय-सीमा क्या थी, और क्या इसका पालन किया गया? उन्होंने कहा कि आठ साल बीत जाने के बावजूद भवन अब भी अधूरा पड़ा है, जो स्पष्ट संकेत देता है कि इस परियोजना में बड़े पैमाने पर अनियमितताएँ हुई हैं। यदि विजिलेंस जांच कराई जाए, तो घोटाले की कई परतें खुल सकती हैं, और जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका भी उजागर हो सकती है।
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एक ही फर्म को लगातार ठेके मिलने के कारण
पूर्व मेयर ने कहा कि नगर निगम का निर्माण विभाग संदेह के घेरे में है और इसकी कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि नगर निगम में नियमों को दरकिनार कर एक ही "चहेती" फर्म को लगातार ठेके दिए जा रहे हैं, जिससे ठेका प्रक्रिया की पारदर्शिता पर संदेह गहराता जा रहा है। पूर्व मेयर ने मांग की कि बीते एक वर्ष में नगर निगम द्वारा आवंटित सभी ठेकों की गहन जांच कराई जाए, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि अधिकांश ठेके एक ही फर्म या उससे जुड़ी कंपनियों को दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि यह मामला भ्रष्टाचार और मिलीभगत की ओर इशारा करता है, जिसे उजागर किया जाना आवश्यक है। नगर निगम के निर्माण कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने विजिलेंस जांच की मांग दोहराई और प्रशासन से इस पर तत्काल कार्रवाई करने की अपील की।