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Nagar Nigam Bareilly : सरकारी गाड़ी का निजी इस्तेमाल करने में फंसे नगर स्वास्थ्य अधिकारी, जांच शुरू

नगर निगम के उपनगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. नैन सिंह के पास अनुबंधित सरकारी गाड़ी है। पिछले दिनों उनकी सरकारी गाड़ी नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. भानु प्रकाश निजी कार्य से बाहर ले गए और चार दिन बाद लौटे।

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KP Singh
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

बरेली। नगर निगम के उपनगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. नैन सिंह के पास अनुबंधित सरकारी गाड़ी है। पिछले दिनों उनकी सरकारी गाड़ी नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. भानु प्रकाश निजी कार्य से बाहर ले गए और चार दिन बाद लौटे। उन चार दिनों के खर्चे का बिल गाड़ी मालिक ने पास कराना चाहा तो नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने साफ मना कर दिया। परेशान होकर गाड़ी मालिक ने इसकी शिकायत नगर आयुक्त संजीव कुमार मौर्य से की। नगर आयुक्त ने मामले में जांच शुरू करा दी है।

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उपनगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. नैन सिंह को आवंटित अनुबंधित गाड़ी का किराया 16 हजार 600 रुपये प्रतिमाह है। आठ फरवरी को नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. भानु प्रकाश बिना किसी को सूचना दिए सरकारी गाड़ी बुलंदशहर ले गए। वहां से वह गाजियाबाद और उसके बाद मुजफ्फरनगर गए। चार दिन बाद 11 फरवरी को वह गाड़ी लेकर बरेली लौटे। उन्होंने चार दिनों में करीब 695 किलोमीटर का सफर किया। गाड़ी मालिक ने इन चार दिनों के खर्चे का 8,800 रुपये का बिल बनाया।

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गाड़ी मालिक खर्चे का बिल पास कराने के लिए उपनगर स्वास्थ्य अधिकारी के पास गए। उन्होंने उसे नगर स्वास्थ्य अधिकारी के पास भेज दिया। उन्होंने बिल पास करने से मना कर दिया। इससे गाड़ी मालिक परेशान हो गए। उनका आरोप है कि इससे पहले भी नगर स्वास्थ्य अधिकारी उनकी गाड़ी लेकर दो बार पूर्णागिरि धाम और एक बार लखनऊ-प्रयागराज गए थे। बिल पास न होने पर गाड़ी मालिक ने इसकी शिकायत नगर आयुक्त संजीव कुमार मौर्य से कर दी। इस पर नगर आयुक्त ने मामले की जांच बैठा दी।    

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सरकारी ड्राइवर को नहीं ले गए साथ

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उपनगर स्वास्थ्य अधिकारी की सरकारी गाड़ी कब जिले से बाहर गई इसकी जानकारी नाजिर को नहीं थी। गाड़ी पर जो सरकारी ड्राइवर लगा है, नगर स्वास्थ्य अधिकारी उसे भी अपने साथ नहीं ले गए। उपनगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. नैन सिंह का कहना है कि उन्हें नहीं पता कि गाड़ी पर कौन ड्राइवर गया था।

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यह है नियम

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किसी भी अधिकारी को आवंटित गाड़ी केवल सरकारी कार्य के लिए होती है। सरकारी गाड़ी जहां जाती है, उसका रिकॉर्ड संबंधित विभाग की लॉगबुक में दर्ज किया जाना जरूरी है। मगर तमाम अधिकारी नियमों का पालन नहीं करते। बगैर सूचना दिए सरकारी गाड़ी को निजी कार्य के लिए ले जाने पर कोई हादसा होता है तो संबंधित पर निलंबन और बर्खास्तगी की कार्रवाई तक हो सकती है। 

गाड़ी मालिक को फिक्स किराया दिया जा रहा

नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. भानु प्रकाश का कहना है कि अनंबुधित गाड़ी का मासिक किराया तय है, जो गाड़ी मालिक को दिया जा रहा है। कांट्रेक्ट में कहीं नहीं लिखा है कि गाड़ी बाहर नहीं जा सकती। मामले को बेवजह तूल दिया जा रहा है।

नगर स्वास्थ्य अधिकारी अनुबंधित सरकारी गाड़ी को निजी काम से ले गए थे तो उन्हें बिल का भुगतान तो करना चाहिए। वैसे कोई सरकारी गाड़ी को निजी कार्य से नहीं ले जा सकता। मामले की जांच कराई जा रही है। जांच के बाद जो भी जरूरी होगा, कार्रवाई की जाएगी। - संजीव कुमार मौर्य, नगर स्वास्थ्य अधिकारी

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