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नगर निगम: किसके इशारे पर दबाई गई ncap के टेंडरो की फाइल

पहली बार में नगर निगम के अफसरों ने ncap के कामों की टेंडर प्रक्रिया में जिन नियमों का पालन किया, पांचवीं बार में खुद ही उनका उल्लंघन करके टेंडर खोले।

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Sudhakar Shukla
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

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बरेली। नगर निगम में ncap (नेशनल क्लीन एयर एंड प्रोग्राम) के कामों की टेंडर प्रक्रिया के घपले में कंप्यूटर ऑपरेटर सुलेमान तो हट गया। मगर, कंप्यूटर ऑपरेटर इस खेल का मात्र मोहरा था। खेल के असली खिलाड़ी तो और हैं। नगर निगम की पूरी जांच फिलहाल कंप्यूटर ऑपरेटर के इर्द-गिर्द ही केंद्रित रहेगी। जब मामला शांत होगा तो असली खिलाडी साफ बच जायेंगे। इन खिलाड़ियों को बचाने की कोशिश भी अभी से शुरू हो गई है। इस सवाल का जबाव अब भी बाकी है कि अल्पकालिक टेंडर प्रक्रिया की फाइल छह महीने तक आखिर किसके इशारे पर दबाकर रखी गई।

इंजीनियरों और ठेकेदारों की मिलीभगत से टेंडर मैनेजमेंट का खेल

नगर निगम ने नेशनल क्लीन एयर एंड प्रोग्राम (ncap) के तहत 13 करोड़ रुपए से ज्यादा के छह निर्माण कार्यों की अल्पकालीन टेंडर प्रक्रिया जुलाई 2024 में शुरु की थी। पहली बार इस योजना में टेंडर अगस्त 2024 में निकाले गए। तब टेंडर की शर्त यह थी कि प्रत्येक काम में काम से कम तीन फार्मो का टेंडर पड़ना अनिवार्य था। इस खेल में मजेदार बात यह है कि पहली बार में प्रत्येक काम के लिए 20 से 30 ठेकेदारों ने ऑनलाइन टेंडर डाउनलोड किया। मगर, ठेकेदार और इंजीनियरो के गठजोड़ और टेंडर मैनेजमेंट के चलते ऑनलाइन टेंडर डालने सिर्फ तीन ठेकेदार  पहुंचे। नगर निगम में एक तरफ टेंडर प्रक्रिया चल रही थी तो वहीं इंजीनियरों के द्वारा ठेकेदारों से बातचीत करके आपस में सभी छह कामों की टेंडर पूलिंग भी कराई जा रही थी, ताकि सबका कमीशन टाइम पर पहुंच जाए। जब इंजीनियरों और ठेकेदारों के बीच कमीशन की बात नहीं बनी तो पहली बार में नियमों के पालन का हवाला देकर टेंडर निरस्त कर दिए गए।

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कमीशन सेट न होने से पांच बार  निकले अल्पकालिक टेंडर

Ncap योजना के अल्पकालिक टेंडर निकालने का मकसद यह था कि जल्दी से जल्दी टेंडर प्रक्रिया पूरी करके सभी छह कामों को इसी वित्तीय वर्ष में समाप्त कर लिया जाए। मगर, नगर निगम के इंजीनियरों ने अपने कमीशन के लिए कंप्यूटर ऑपरेटर का इस्तेमाल करके पूरी टेंडर प्रक्रिया के नियमों की ऐसी तैसी कर दी। पहली बार की टेंडर प्रक्रिया में जिन नियमों का पालन किया गया था। पांचवीं बार की टेंडर प्रक्रिया में उन्ही नियमों का उल्लंघन करके टेंडर प्रक्रिया पूरी की गई। सू़त्रों के अनुसार नगर निगम में अधिकांश ठेकेदारों को पारदर्शी टेंडर प्रक्रिया से बाहर करके कुछ चुनिंदा ठेकेदारों को ही 35% से लेकर 45% तक के कमीशन पर टेंडर दिए गए। उसमे 20% कमीशन ठेकेदारों को एडवांस पहुंचाना पड़ा। इसके चलते छह महीने तक टेंडरो की फाइल दबी रही। ये फाइल तभी खुली, जब कमीशन सेट होने के बाद  एडवांस वाला हिस्सा पहुंच भी गया।

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ये है टेंडर प्रक्रिया के नियम 

1 = पहली बार में टेंडर होने पर एक काम में काम से कम तीन फार्मो को टेंडर डालने होते हैं। इनमें से किसी एक फर्म का टेंडर फाइनल होता है।

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2 = अगर पहली बार में निर्धारित मानक से कम फर्मों ने टेंडर डाले हों तो उसे निरस्त करके दूसरी बार में टेंडर प्रक्रिया कराई जाती है। इसमें अगर दो निवदाएं एक काम के लिए आने पर ही किसी एक निविदा को फाइनल कर दिया जाता है। 


3 = अगर दूसरी बार में किसी एक काम के लिए कम से कम दो फर्मों ने टेंडर न डाला हो तो इस टेंडर प्रक्रिया को भी निरस्त करके तीसरी बार टेंडर प्रक्रिया कराई जाती है। तीसरी बार में अगर एक फर्म की निविदा भी आती है तो उसे मान्य कर दिया जाता है। उस फर्म का टेंडर फाइनल हो जाता है।

नगर निगम के इंजीनियरों ने बनाए मनमाने नियम 

Ncap के कामों के लिए नगर निगम के इंजीनियरों ने शासन के नियमों का पालन न करके अपने मनमाने नियम बना दिए। नेशनल क्लीन एयर एंड प्रोग्राम के 13 करोड़ से ज्यादा के कामों के लिए नगर निगम में पांचवीं बार टेंडर प्रक्रिया कराई।   लेकिन, उसमें शर्त यह रखी गई कि प्रत्येक काम के लिए तीन टेंडर आने जरूरी हैं । जबकि नियम यह था कि तीसरी या उससे ज्यादा बार में टेंडर प्रक्रिया होने पर किसी एक फर्म का टेंडर भी खोला जा सकता था।

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नगर निगम की टेक्निकल कमेटी पर भी उठे सवाल 

नेशनल क्लीन एंड एयर एंड प्रोग्राम के कामों के लिए नगर निगम में जो टेंडर प्रक्रिया कराई गई, उसमें प्रारंभ से ही झोल था। चहेते ठेकेदार को टेंडर दिलाने के लिए नगर निगम के इंजीनियरों ने कंप्यूटर ऑपरेटर सुलेमान का भरपूर इस्तेमाल किया।  जब बात हद से ज्यादा बढ़ गई तो आउटसोर्सिंग का कर्मचारी होने के नाते सुलेमान को तो तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया। लेकिन, इस बड़े खिलाड़ी बच गए। अब यही जांच कमेटी में हैं।

umesh gautam

Ncap के कामों की टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी की जांच के लिए मैंने स्वयं पत्र लिखा था। तभी कंप्यूटर ऑपरेटर हटाया गया। इस घपले में शामिल किसी भी व्यक्ति को छोड़ा नहीं जाएगा। 

उमेश गौतम, महापौर, नगर निगम बरेली

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