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बरेली। शाहजहांपुर संकट मोचन हनुमान मंदिर खिरनी बाग धर्मशाला पांचवें दिवस की श्रीमद् भागवत कथा में श्री धाम वृंदावन से पधारे डॉक्टर निर्मल द्विवेदी जी ने कथा का श्रवण कराते हुए भगवान कृष्ण के अवतार की कथा सुनाई
महाराज जी ने कहा कि कंस ने अपनी बहन देवकी का विवाह बहुत धूमधाम से संपन्न कराया। वह स्वयं रथ पर अपनी बहन को विदा करने जा रहा था। तभी उसने आकाशवाणी सुनी कि देवकी के आठवें पुत्र द्वारा वह मारा जाएगा। उसने उसी समय देवकी और बसुदेव को मथुरा के कारागार में डाल दिया। इसका विरोध मथुरा के राजा कंस के पिता को उग्रसेन ने किया। कंस इतना अत्याचारी हो चुका था कि वह अपने पिता को भूल गया और उन्हें भी कारागार में डालकर मथुरा के राज सिंहासन पर विराजमान हो गया।
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कंस ने इतना अत्याचार किया कि चारों ओर हाहाकार मच गया। साधु संत मथुरा में हाथ उठाकर भगवान का स्मरण करने लगे। चारों ओर त्राहिमाम त्राहिमाम की ध्वनि गूंजायमान होने लगी। उसी समय मथुरा के कारागार में भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भगवान कृष्ण अवतरित हुए। कंस के डर से वसुदेव ने नवजात बालक को रात में यमुना पार गोकुल में यशोदा के यहाँ पहुँचा दिया। गोकुल में उनका लालन-पालन हुआ। यशोदा और नन्द उनके पालक माता-पिता बने।
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भगवान कृष्ण ने बाल्यावस्था में बड़े-बड़े कार्य किए, जो किसी सामान्य मनुष्य के लिए सम्भव नहीं थे। अपने जन्म के कुछ समय बाद ही कंस द्वारा भेजी गई राक्षसी पूतना का वध किया , उसके बाद शकटासुर, तृणावर्त आदि राक्षसों का वध किया। युवावस्था में भगवान कृष्ण गोकुल छोड़कर नंद गाँव आ गए और यहां पर भी भगवान कृष्ण ने अनेको लीलाएं की। गोचारण लीला गोवर्धन लीला रास लीला भगवान की लीलाओं को देखकर नंद गांव के लोग रम गए।
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नंद गांव की लीलाओं के बाद भगवान को याद आया कि अपने माता-पिता और मथुरा के निवासीयो का उद्धार करना है। इसके लिए कंस का वध होना आवश्यक है। भगवान कृष्ण ने मथुरा में आकर मामा कंस का वध करके धर्म की स्थापना की। व्यासपीठ का पूजन विश्व मोहन बाजपेई सीमा बाजपेई ने कराया।
आयोजन में हरि शरण बाजपेई सीमा बाजपेई, सतीश वर्मा मुनेश्वर सिंह ब्लाक प्रमुख सिधौली ठाकुर अखिलेश सिंह अभिषेक बाजपेई नीरज बाजपेई का सहयोग रहा।