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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
बरेली। पुराना शहर में शत्रु संपत्ति के जाली दस्तावेज तैयार कर उसे बेचने का मामला सामने आया है। इस जालसाजी में मुख्य आरोपी रिटायर्ड रेलवे कर्मचारी चंदा मियां और उनके परिवार के अन्य सदस्य भी शामिल हैं। पीड़ित की शिकायत पर बारादरी पुलिस ने चंदा मियां के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
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सिविल लाइंस स्थित श्रीजी टावर के निवासी राकेश सक्सेना ने बताया कि बारादरी क्षेत्र के शाहदाना स्थित मकान नंबर 254 के मालिक सुल्तान अहमद के तीन बेटे थे—चंदा मियां, फिरोज और असलम। संपत्ति के बंटवारे के दौरान असलम पाकिस्तान चला गया और वहां की नागरिकता ले ली। भारतीय कानून के तहत पाकिस्तानी नागरिक की संपत्ति को शत्रु संपत्ति माना जाता है, जो भारत सरकार के अधीन आ जाती है। लेकिन चंदा मियां ने इस तथ्य को छिपाते हुए फर्जी हिबानामा (दानपत्र) तैयार किया और अपने भाई असलम की संपत्ति को 4 अक्टूबर 2024 को रजिस्टर्ड एग्रीमेंट के माध्यम से बेच दिया। इस अवैध सौदे से उन्होंने लाखों रुपये अपने खाते में जमा कर लिए, जिससे संपत्ति की कानूनी स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
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मामले में खुलासा हुआ कि पाकिस्तानी नागरिक असलम को भारत में किसी भी संपत्ति को दान करने या बेचने का कानूनी अधिकार नहीं था। इसके बावजूद चंदा मियां ने षड्यंत्रपूर्वक कूटरचित दस्तावेजों का इस्तेमाल कर सरकारी संपत्ति को अवैध रूप से बेच दिया। इस फर्जीवाड़े की शिकायत आईजी रेंज डॉ. राकेश सिंह से की गई थी, जिसके बाद एसएसपी के निर्देश पर एलआईयू और एएसपी ने मामले की जांच शुरू की। जांच में सामने आया कि यह धोखाधड़ी किसी अकेले व्यक्ति की करतूत नहीं थी, बल्कि इसमें एक संगठित गिरोह शामिल था। गिरोह में चंदा मियां के अलावा उनके परिवार के अन्य सदस्य भी संलिप्त पाए गए। बताया जा रहा है कि यह गिरोह शहर में अवैध रूप से जमीनों और मकानों पर कब्जा कर उन्हें ऊंचे दामों पर बेचने या जबरन रंगदारी वसूलने का काम करता है।
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चंदा मियां और उनके परिवार के पास कोई वैध आय का स्रोत नहीं होने के बावजूद वे आलीशान मकानों, महंगी गाड़ियों और शाही जीवनशैली का आनंद ले रहे हैं। उनकी इस ऐशो-आराम भरी जिंदगी ने प्रशासन और स्थानीय नागरिकों के बीच संदेह पैदा कर दिया है कि उन्होंने अवैध तरीकों से संपत्ति अर्जित की है। मामले की गंभीरता को देखते हुए लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि इस पूरे फर्जीवाड़े की गहराई से जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही, शत्रु संपत्ति से जुड़े अन्य मामलों की भी समीक्षा कर यह सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में इस तरह की धोखाधड़ी दोबारा न हो।