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सर्किट हाउस में समीक्षा बैठक से पहले मंत्रियों का स्वागत करते विधायक।
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सर्किट हाउस में समीक्षा बैठक से पहले मंत्रियों का स्वागत करते विधायक।
बरेली, वाईबीएन संवाददाता
बरेली। बजट की कमी न होने के बाद भी शहर से लेकर देहात तक सड़कों के निर्माण में देरी पर पीडब्ल्यूडी राज्यमंत्री बृजेश सिंह ने नाराजगी जताई। उन्होंने चीफ इंजीनियर से 31 मार्च से पहले स्वीकृत सड़कों की टेंडर प्रक्रिया पूरी कर बजट खर्च करने को कहा।
पीडब्ल्यूडी राज्यमंत्री बृजेश सिंह ने रविवार को सर्किट हाउस में समीक्षा बैठक की। उन्होंने टेंडरों की स्वीकृति के बाद कितने काम शुरू हुए इनके बारे में पूछा। साथ ही काम समय पर पूरे कराने को कहा। बैठक में कैंट विधायक संजीव अग्रवाल ने नाथ कॉरिडोर में शामिल तपेश्वरनाथ मंदिर मार्ग के निर्माण के लिए रेलवे की एनओसी न मिलने का मुद्दा उठाया।
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उन्होंने कहा कि रेलवे से एनओसी न मिलने की वजह से निर्माण अटका हुआ है। इस पर राज्यमंत्री ने चीफ इंजीनियर से फाइल तलब की। साथ ही कहा कि वह खुद केंद्रीय रेलमंत्री से मिलकर बात करेंगे। चीफ इंजीनियर से भी एक बार रेलवे अधिकारियों से संपर्क करने को कहा।
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नवाबगंज विधायक डॉ. एमपी आर्य ने अपने क्षेत्र की जर्जर सड़कों और पुल निर्माण में देरी की समस्या उठाई। इस पर राज्यमंत्री ने कहा कि वह एस्टीमेट भिजवाएं। वह इन्हें मंजूर कराएंगे। बैठक में वनमंत्री डॉ. अरुण कुमार समेत बदायूं और बरेली के अधीक्षण अभियंता, सेतु निगम के डीपीएम, प्रांतीय और निर्माण खंड भवन के एक्सईन आदि मौजूद रहे।
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पीडब्ल्यूडी राज्यमंत्री बृजेश सिंह ने रविवार को विभागीय समीक्षा बैठक के दौरान वित्तीय वर्ष में गिनती के दिन शेष होने के बावजूद 30 प्रतिशत बजट बाकी होने पर असंतोष जताया। उन्होंने चीफ इंजीनियर को निर्देश दिया कि 31 मार्च से पहले ही स्वीकृत सड़कों की टेंडर प्रक्रिया पूरी कर बजट व्यय बढ़ाया जाए। ऐसी सड़कें जिनकी टेंडर प्रक्रिया अधूरी है, उन्हें पूरा कराएं।
बरेली टेंडरों पर विवाद के बाद बदायूं में कई इंजीनियरों की ओर से सामूहिक तबादले की मांग का मुद्दा भी बैठक में उठा। राज्यमंत्री ने जैसे ही चीफ इंजीनियर से इसका कारण पूछा तो बैठक में सन्नाटा छा गया। चीफ इंजीनियर ने सफाई दी कि निर्माण खंड-दो के टेंडरों पर कुछ शिकायतें थी। अब कोई समस्या नहीं है। राज्यमंत्री ने कहा कि अगर कोई शिकायत थी तो उसे अधीक्षण अभियंता और चीफ इंजीनियर के स्तर पर ही निपटाया जाना चाहिए था, लेकिन मामला वरिष्ठ अधिकारियों के स्तर से निपटने के बजाय मीडिया की सुर्खियां बन गया।