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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
बरेली। शहर के प्रसिद्ध"बांके बिहारी मन्दिर मे श्री मदभागवत कथा मंगलवार को प्रारंभ हो गई। वृंदावन से पधारे आचार्य श्याम बिहारी चतुर्वेदी ने भक्तों को श्रीमद् भागवत की कथा का श्रवण कराया।
राजेंद्र नगर बरेली स्थित बांके बिहारी मंदिर में श्रीमद भागवत कथा प्रारंभ हुई वृन्दावन धाम से पधारे आचार्य श्याम बिहारी चतुर्वेदी ने प्रथम दिवस के कथा प्रसंग में भक्ति महारानी की कथा सुनाई, किस तरह से नारद जी के उद्यम से भक्ति के दोनों पुत्र ज्ञान और वैराग्य बुढ़ापा से उन्हें मुक्ति प्राप्त हुई। भागवत कथा सर्वोपरी है। कथा प्रसंग में सुनाया कि आत्मदेव नाम के पंडित थे ,जो भद्राशिला नदी के तट पर रहते थे। उनके कोई संतान नहीं थी। वह एक गाय की सेवा करते थे। उसको भी कोई बछड़ा नहीं हुआ।
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इन सब बातों को लेकर आत्मदेव जी की मन में बड़ी गिलानी हुई। नदी के तट पर पहुंचकर के अपने आप को मारने की चेष्टा करने लगे। वहां पर उनकी एक संत से भेंट हुई। संत ने कहा कि यह जीवन अमूल्य है। इसको इस तरह से नष्ट नहीं करना चाहिए। संत से आत्मदेव ने कहा कि इतने साल हो गए। मेरे कोई बच्चा नहीं हुआ। संत ने कहा कि तुम्हारे यहां पर पितृ प्रसन्न नहीं है। उनकी प्रसन्नता के लिए तुम्हे मैं एक फल दे रहा हूं। । इस फल को लेकर के जाओ। यह उसे फल का खिला देना। उसे पुत्र अवश्य प्राप्त होगा। पत्नी ने फल को एक साइड में रख लिया।
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बाद में फल को नहीं खाया। वह फल गाय को खिला दिया। उनकी पत्नी, जिसका नाम धुंधली था, ने अपनी बहन से बच्चा ले लिया।फल की परीक्षा के लिए फल गाय को खिलाया। गाय को एक सर्वांग सुंदर मनुष्यों जैसा बालक उत्पन्न हुआ। उसके कान केवल गाय जैसी थी। उसका नाम गोकर्ण पड़ा। पत्नी ने जो बहन से पुत्र लिया था
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वह बडा दुष्ट प्रवृत्ति का था। गोकर्ण बड़े ही शांति चित्र प्रवृत्ति के थे गोकर्ण ने पिता को ब्रह्म उपदेश देकर के मुक्त कर दिया था। उनके भाई धुंधकारी को प्रेत बना। कथा सुना करके उसे मोक्ष प्राप्त हुआ था कथा सुनने का भावार्थ एक ही है की भागवत कथा सुनने से कैसा भी पापी हो उसे मोक्ष अवश्य प्राप्त होता है। इसलिए सभी जनमानस को श्रीमद् भागवत की कथा सुना आवश्यक है।