Advertisment

भाजपा के दो पूर्व सांसदों पर कसेगा जांच का शिकंजा, इनमे एक हैं झारखंड के गवर्नर

केंद्र सरकार ने बरेली और आंवला संसदीय क्षेत्रों में 17वीं लोकसभा के दौरान कराए गए 80 विकास कार्यों की जांच शुरू कर दी है। डीआरडीए को इन कार्यों का विस्तृत ब्योरा तैयार करने का निर्देश दिया गया है, जिसे नियोजन विभाग लखनऊ और केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।

author-image
Sudhakar Shukla
BJP
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

बरेली संवाददाता

बरेली।केंद्र सरकार ने बरेली और आंवला संसदीय क्षेत्रों में 17वीं लोकसभा (2019-2024) के दौरान कराए गए 80 विकास कार्यों की जांच शुरू कर दी है। इसके लिए थर्ड-पार्टी एजेंसी एफसी इंडिया लिमिटेड को नियुक्त किया गया है। डीआरडीए को इन कार्यों का विस्तृत ब्योरा तैयार करने का निर्देश दिया गया है, जिसे नियोजन विभाग लखनऊ और केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।

इसे भी पढ़ें-सेना अब सैनिकों को 24 घंटे करेगी जल की आपूर्ति, प्रतिबंध हटा

कार्यकाल की होगी जांच

केंद्र सरकार ने इन दोनों संसदीय क्षेत्रों में कराए गए विकास कार्यों का बिंदुवार ब्योरा मांगा है। 2019 से 2024 के बीच बरेली से संतोष गंगवार और आंवला से धर्मेंद्र कश्यप सांसद थे। इसके आधार पर उनकी प्रभावशीलता की थर्ड-पार्टी जांच कराई जाएगी।

इसे भी पढ़ें-बरेली में आज इन इलाकों में 7 घंटे तक गुल रही बत्ती

15 दिन में रिपोर्ट तैयार कर देना होगा विवरण

कब जारी हुई सांसद निधि की पहली और दूसरी किस्त

वर्ष में कितने कार्य हुए और उनकी श्रेणी क्या थी

कार्य कब शुरू हुआ और कब पूरा हुआ और कितना खर्च हुआ

जनता को कार्यों से लाभ मिला ?

हाल ही में केंद्र सरकार के अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में यह मुद्दा उठाया गया था। लेकिन स्थानीय अधिकारी अधिक समय की मांग कर रहे हैं। डीआरडीए को 15 दिनों के भीतर यह रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजनी है।

Advertisment

इसे भी पढ़ें-आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस खतरा और वरदान दोनों... बस इस्तेमाल का तरीका जानते हो तब

जांच में होंगे अहम खुलासे

काम सही ढंग से हुआ या नहीं।

निर्माण कार्यों की गुणवत्ता कैसा है।

जनता को कितना लाभ मिला।

पीडी डीआरडीए चंद्रप्रकाश श्रीवास्तव ने बताया कि रिपोर्ट तय मानकों के अनुसार तैयार की जा रही है इसके अलावा, 2009 से 2024 तक सांसद निधि से हुए विकास कार्यों का भी ब्योरा मांगा गया है।

सांसद निधि की पारदर्शिता पर सवाल

इस जांच को लेकर स्थानीय राजनीतिक हलकों में हलचल मची हुई है। अगर किसी भी परियोजना में अनियमितता पाई गई तो जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदारों पर कार्रवाई हो सकती है। अब देखना यह होगा कि संतोष गंगवार और धर्मेंद्र कश्यप के कार्यकाल के विकास कार्य इस जांच में कितने पारदर्शी साबित होते हैं।

Advertisment
Advertisment