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बाट-माप विभाग : व्यापारियों से वसूली की लड़ाई... तभी युवक की कमरे में बंदकर की गई पिटाई

अगर आप व्यापारी हैं और अपने कारोबार में कांटा-बाट का इस्तेमाल करते हैं तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। जानें कैसे बाट-माप विभाग से कांटे की मरम्मत का लाइसेंस लेने वाले लोग व्यापारियों की जेब पर डाका डाल रहे हैं। बरेली में यह धंधा जोरों पर चल रहा है।

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KP Singh
बाट माप विभाग
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

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बरेली। बरेली में बाट-माप विभाग की फरीदपुर लैब में युवक की पिटाई के पीछे असल खेल व्यापारियों से वसूली का है। बाबू ने युवक को इसलिए पीटा था क्योंकि वह उसके सगे भाई के वसूली के खेल में आड़े आ रहा था। 
दरअसल बाबू ने अपने सगे भाई को नियमविरुद्ध विभाग से लाइसेंस दिला रखा है और बाबू इलाके में उसका एकछत्र राज स्थापित करना चाहता है। एक हद तक वह इसमें कामयाब भी हो चुका है लेकिन कुछ लोग अब भी रास्ते का कांटा बन रहे हैं, जिन्हें बाबू रास्ते से हटाना चाहता है। आइए जानते हैं बाट माप विभाग में किस तरह व्यापारियों से वसूली का खेल चल रहा है। 

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बाट-माप विभाग की ओर से तीन तरह के लाइसेंस जारी किए जाते हैं। एक निर्माण, दूसरा बिक्री और तीसरा मरम्मत के लिए। इन तीनों में सबसे ज्यादा खेल मरम्मत का लाइसेंस लेने वाले करते हैं। नियमानुसार मरम्मत का लाइसेंस लेने वाले का काम केवल कांटा-बाट की मरम्मत का होता है लेकिन ये लाइसेंसी खुद को विभाग का इंस्पेक्टर बताकर दुकानों पर जाकर छापा मारते हैं और व्यापरियों को धमकाकर मनमनी वसूली करते हैं। यदि कोई व्यापारी इनके झांसे में नहीं आता है तो विभाग से नोटिस भिजवाकर उसका चालान करा देते हैं। वसूली के इस खेल में कर्मचारियों की पूरी मिलीभगत होती है।

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नियमविरुद्ध बाबू ने भाई को दिला रखा है लाइसेंस

बाट-माप विभाग की फरीदपुर लैब में तीन साल पहले ही एक बाबू की मृतक आश्रित में तैनाती हुई है। बाबू फरीदपुर का ही रहने वाला है। बाबू ने अपने सगे भाई और एक दोस्त को विभाग से लाइसेंस दिला रखा है। एक लाइसेंस बाबू के रिश्तेदार के नाम पर भी था लेकिन वह सरेंडर कर दिया गया। 

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बाबू चाहता है कि उसके भाई और दोस्त के अलावा क्षेत्र में दूसरा कोई लाइसेंसी काम न करे, इसलिए वह तरह-तरह से दूसरों के रास्ते में रोड़े अटकाता है। युवक भी वसूली के धंधे में आड़े आ रहा था तो कमरे में बंद कर उसकी पिटाई की गई। इस मामले में फरीदपुर लैब में तैनात इंस्पेक्टर सुजीत कुमार सिंह को कई बार फोन किया गया लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुई। 

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यह है कांटा बाट की मरम्मत का नियम

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यदि कोई लाइसेंसी किसी दुकानदार के यहां जाकर काटा-बाट की जांच करता है और उसकी गड़बड़ी पाई जाती है तो लाइसेंसी उस कांटे को उठाकर अपनी लैब ले जाता है। बदले में अपने पास से दुकादार के यहां कांटा लगाता है ताकि उसका काम प्रभावित न हो। इसके एवज में वह उसे रसीद भी देता है। कांटे की मरम्मत करने के बाद वह दुकानदार का कांटा वापस रखकर अपना कांटा ले जाता है। इसके बाद इंस्पेक्टर कांटे पर मुहर लगाते हैं। 

नियमों के विरुद्ध यह चल रहा है खेल

बाट-माप विभाग से मरम्मत का लाइसेंस लेने वाले लोग कांटे की मरम्मत का काम न करने व्यापारियों से वसूली कर रहे हैं। ये लाइसेंसी दुकानों पर जाकर खुद को बाट माप विभाग का इंस्पेक्टर बताते हैं और कांटों की चेकिंग करते हैं फिर दुकानदार को घटतौली के आरोप में कार्रवाई की धमकी देते हैं। जब दुकानदार डर जाता है तो उससे मनमानी वसूली करते हैं। व्यापारियों से वसूली गई रकम का विभाग में भी बंदरबांट होता है। बताते हैं कि यह खेल केवल फरीदपुर में ही नहीं पूरे जिले में चल रहा है। इस खेल में विभाग के अफसर और कर्मचारी भी शामिल हैं। उनकी ही शह पर व्यापारियों से लाइसेंसी मनमानी वसूली कर रहे हैं।

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