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बिहार चुनाव 2025 : तेजस्वी यादव क्यों हुए परेशान? कौन हैं ये 'चुन्नू-मुन्नू'? | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । बिहार के अररिया जिले की जोकीहाट सीट पर RJD नेता तेजस्वी यादव का 'चुन्नू-मुन्नू' वाला बयान अचानक चर्चा में आ गया है। इस बयान के पीछे एक गहरा सियासी दांव छिपा है। यह सीट न सिर्फ NDA के लिए चुनौती बनी है, बल्कि एक ही परिवार के दो भाई भी आमने-सामने हैं। तेजस्वी ने इस तंज के जरिए वोटरों को एकजुट होने और अल्पसंख्कों के वोटों के बंटवारे को रोकने की अपील की है, ताकि NDA को सीधे टक्कर दी जा सके।
अररिया की जोकीहाट विधानसभा सीट इन दिनों बिहार की राजनीति का केंद्र बनी हुई है। वजह सिर्फ यहां का चतुष्कोणीय मुकाबला नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय जनता दल RJD के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की परेशानी का सबब भी है। राजद नेता तेजस्वी का दर्द बाहर तब छलक उठा जब वे उदाहाट मैदान में एक चुनावी जनसभा को संबोधित कर रहे थे।
तेजस्वी यादव ने RJD प्रत्याशी शाहनवाज आलम के समर्थन में न सिर्फ NDA पर तीखे हमले किए, बल्कि वोटरों से एक अपनी खीझ भी निकाली। उन्होंने कहा, "यह चुनाव चुन्नू और मुन्नू का खेल नहीं है। ऐसा न हो कि चुन्नू को वोट दे दिए तो मुन्नू नाराज हो गया और मुन्नू को वोट दे दिए तो चुन्नू नाराज हो जाए।"
'चुन्नू-मुन्नू' से भयभीत तेजस्वी! तस्लीमुद्दीन के घर का 'घमासान'
अब सवाल यह है कि बिहार की राजनीति में ये 'चुन्नू-मुन्नू' कौन हैं, जिनका ज़िक्र सीधे-सीधे नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी ने किया? राजनीतिक गलियारों में तेजस्वी के इस बयान को सीधे तौर पर जोकीहाट सीट के पेचीदा समीकरण से जोड़कर देखा जा रहा है। यहां मुकाबला इतना रोचक है कि इसे 'परिवार बनाम पार्टी' की लड़ाई कहना गलत नहीं होगा। दरअसल, जोकीहाट वो सीट है जो RJD के कद्दावर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे मरहूम मोहम्मद तस्लीमुद्दीन के राजनीतिक गढ़ के रूप में जानी जाती है। दुखद है कि आज उनके ही घर के दो चिराग यानी दो बेटे एक-दूसरे के सामने ताल ठोक रहे हैं।
एक हैं शाहनवाज आलम जो RJD महागठबंधन के उम्मीदवार हैं जिन्हें तेजस्वी यादव का सीधा समर्थन है। दूसरे हैं सरफराज आलम जो जन सुराज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, वह सीधे तौर पर अपने भाई शाहनवाज के लिए चुनौती बने हुए हैं। इस समीकरण में जब एक ही परिवार के दो सदस्य मैदान में हों, तो यह स्वाभाविक है कि वोट बंटेगा।
यही कारण है कि तेजस्वी यादव ने इन दोनों भाइयों के बीच की राजनीतिक प्रतिस्पर्धा पर तंज कसने के लिए 'चुन्नू-मुन्नू' जैसे घरेलू और सरल शब्दों का इस्तेमाल किया।
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तेजस्वी का मास्टरस्ट्रोक या अल्पसंख्यक वोट पर निशाना
विश्लेषक मानते हैं कि तेजस्वी का यह बयान सिर्फ पारिवारिक खींचतान पर टिप्पणी नहीं था, बल्कि इसके पीछे एक बहुत बड़ी राजनीतिक चाल है। यह क्षेत्र अल्पसंख्यक बहुल माना जाता है, और वोटों का बंटवारा हमेशा NDA के लिए फायदेमंद रहा है।
तेजस्वी साफ तौर पर यह संदेश देना चाहते हैं कि वोटों का बिखराव NDA को फायदा देगा। व्यक्तिगत पसंद-नापसंद या 'चुन्नू-मुन्नू' के फेर में पड़कर अगर वोट बंटे, तो सीधा फायदा NDA गठबंधन को मिलेगा और RJD की हार हो जाएगी।
तेजस्वी का कहना था कि यह चुनाव किसी व्यक्ति विशेष का नहीं, बल्कि एक बड़े 'बदलाव' का है, जिसके लिए सभी को एकजुट होकर महागठबंधन के उम्मीदवार को वोट देना होगा।
भावनात्मक अपील: 'चुन्नू-मुन्नू' कहकर उन्होंने मतदाताओं को याद दिलाया कि इस समय भावनात्मक नहीं, बल्कि रणनीतिक वोट की जरूरत है।
इसके अलावा, AIMIM के उम्मीदवार भी मैदान में हैं, जो अल्पसंख्यक वोटों में और सेंध लगा सकते हैं। ऐसे में तेजस्वी यादव का यह प्रयास था कि AIMIM और जन सुराज पार्टी की वजह से होने वाले वोट बंटवारे को रोका जाए और सारा वोट RJD के पाले में आए।
तेजस्वी ने जनता को क्या दिया संदेश? चुनावी सभा में तेजस्वी ने सिर्फ 'चुन्नू-मुन्नू' की बात नहीं की। उन्होंने अपने भाषण का बड़ा हिस्सा उन बुनियादी मुद्दों पर केंद्रित किया, जो सीधे जनता को छूते हैं बेरोजगारी उन्होंने राज्य की सबसे बड़ी समस्या बताते हुए सरकार पर तीखे हमले किए और 'बदलाव' के लिए वोट मांगा।
तेजस्वी यादव ने बार-बार इस बात पर जोर दिया कि यह लड़ाई छोटी नहीं है, बल्कि बिहार के भविष्य की है।
जोकीहाट का परिणाम बताएगा 'चुन्नू-मुन्नू' कितना प्रभावी रहा
जोकीहाट का मुकाबला अब केवल उम्मीदवार और पार्टी का नहीं रह गया है, बल्कि यह तेजस्वी यादव के राजनीतिक कौशल और उनकी भावनात्मक अपील की भी परीक्षा है।
क्या 'चुन्नू-मुन्नू' वाला उनका यह तंज मतदाताओं को एकजुट कर पाएगा? क्या मरहूम तस्लीमुद्दीन के परिवार की अंदरूनी रस्साकशी के बीच RJD अपनी सीट बचा पाएगी?
इन सवालों का जवाब तो चुनाव परिणाम ही देंगे, लेकिन यह तय है कि तेजस्वी ने एक ही तीर से कई निशाने साधे हैं- NDA पर हमला, पारिवारिक प्रतिद्वंद्विता पर तंज और सबसे महत्वपूर्ण अल्पसंख्यक वोटों को बंटने से रोकने की अंतिम कोशिश। जोकीहाट का परिणाम बताएगा कि तेजस्वी का यह 'मास्टरस्ट्रोक' कितना सफल रहा।
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