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Photograph: (X)
corruption in Bihar: बिहार में भ्रष्टाचार का खेल थमने का नाम नहीं ले रहा है। राज्य में एक बार फिर से भ्रष्टाचार के बड़े मामले ने सुर्खियां बटोरी हैं। बेतिया के पूर्व जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) रजनीकांत प्रवीण के ठिकानों पर विशेष निगरानी इकाई (SVU)की छापेमारी में 3 करोड़ 56 लाख 22 हजार रुपये नकद बरामद किए गए हैं। SVU ने 23 जनवरी को दरभंगा, बेतिया और मधुबनी सहित छह ठिकानों पर छापा मारा। छापेमारी के दौरान डीईओ की पत्नी सुषमा कुमारी के दरभंगा आवास से 3 करोड़ 60 हजार रुपये नकद मिले। वहीं, बेतिया के आवास से 55 लाख 62 हजार रुपये नकद बरामद हुए। इसके साथ ही लाखों के गहने और कई शहरों में जमीन व संपत्ति के दस्तावेज भी मिले।
डीईओ बना 'भ्रष्टाचार का प्रतीक'
इस छापेमारी ने राज्य में भ्रष्टाचार पर एक बार फिर से सुशासन के दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आय से अधिक संपत्ति के मामले में रजनीकांत प्रवीण अब भ्रष्टाचार का प्रतीक बन गए हैं। बिहार में भ्रष्टाचार का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कई बड़े अधिकारियों के ठिकानों से करोड़ों रुपये बरामद हो चुके हैं:
1. पटना के ड्रग इंस्पेक्टर का मामला : 25 जून 2022 को पटना के ड्रग इंस्पेक्टर जितेंद्र कुमार के चार ठिकानों पर छापेमारी में 3 करोड़ रुपये नकद, 38 लाख के गहने, बेनामी संपत्तियां और इंश्योरेंस पॉलिसी मिली थीं।
2. नोटों की गड्डियों पर सोने वाला इंजीनियर : 8 जून 2019 को पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक इंजीनियर सुरेश प्रसाद के घर छापेमारी में 2.5 करोड़ रुपये नकद पलंग के तहखाने से मिले थे। इंजीनियर रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार हुआ था।
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सुशासन पर उठे सवाल
बिहार सरकार का सुशासन मॉडल बार-बार भ्रष्टाचार के इन मामलों से कटघरे में खड़ा हो रहा है। डीईओ रजनीकांत प्रवीण और अन्य अधिकारियों की संपत्ति ने साबित किया है कि भ्रष्टाचार अब राज्य में एक गंभीर समस्या बन चुका है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सुशासन बाबू के नाम से पुकारा जाता है, लेकिन उनके राज्य के अफसर दीमक की तरह सुशासन की दीवारों को खा-खा कर खोखली कर रहे हैं। भ्रष्टाचार को लेकर सुशासन पर सवाल उठते रहे हैं। राज्य में इसी वर्ष विधानसभा के चुनाव होने हैं। विपक्ष भ्रष्टाचार के सवालों को भी बड़ा मुद्दा बनाकर हमलावर हो सकता है।