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Photograph: (google)
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पति को मिर्च पाउडर मिले उबलते पानी से जलाने की आरोपी महिला की दिल्ली उच्च न्यायालय ने अग्रिम जमानत की याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने इस मामले में सख्त टिप्पणी करते हुए अगर कोई महिला गंभीर चोट पहुंचाती है, तो उसके लिए कोई विशेष वर्ग नहीं बनाया जा सकता। अदालत ने घरेलू रिश्तों में पुरुषों के पीड़ित न होने की 'रूढ़िवादी धारणा' को खारिज किया और कहा लैंगिक तटस्थता निष्पक्ष न्याय वितरण प्रणाली की पहचान है।
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गंभीर अपराधों से सख्ती से निपटा जाए
दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि लैंगिक तटस्थता निष्पक्ष न्याय वितरण प्रणाली की पहचान है और शारीरिक रूप से पहुंचाई गईं गंभीर चोटों से जुड़े अपराधों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए, फिर चाहे अपराधी पुरुष हो या महिला। न्यायमूर्ति ने एक महिला की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी जिस पर पति को मिर्च पाउडर मिले उबलते पानी से जलाने का आरोप है।
अगर कोई महिला ऐसी चोट पहुंचाती है, तो उसके लिए कोई विशेष वर्ग नहीं बनाया जा सकता।' न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि जीवन के लिए खतरा पैदा करने वाली शारीरिक चोटों से जुड़े अपराधों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए, फिर चाहे अपराधी पुरुष हो या महिला। दिल्ली उच्च न्यायालय
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जीवन के लिए खतरा बने अपराधों से सख्ती से निपटें
अदालत ने कहा, 'निष्पक्ष और न्याय प्रदान करने वाली प्रणाली की पहचान वर्तमान मामले जैसे मामलों में निर्णय देते समय लैंगिक रूप से तटस्थ रहनी चाहिए। अगर कोई महिला ऐसी चोट पहुंचाती है, तो उसके लिए कोई विशेष वर्ग नहीं बनाया जा सकता।' न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि जीवन के लिए खतरा पैदा करने वाली शारीरिक चोटों से जुड़े अपराधों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए, फिर चाहे अपराधी पुरुष हो या महिला क्योंकि हर व्यक्ति का जीवन और सम्मान समान रूप से कीमती है। अदालत ने घरेलू रिश्तों में पुरुषों के पीड़ित न होने की 'रूढ़िवादी धारणा' को खारिज किया और कहा कि एक लिंग का सशक्तीकरण दूसरे लिंग के प्रति अनुचित व्यवहार की कीमत पर नहीं हो सकता तथा पुरुष भी समान कानूनी सुरक्षा के हकदार हैं। उल्लेखनीय है कि एक महिला ने अपने पति को मिर्च पाउडर मिले उबलते पानी से जला दिया था।
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