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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः 1999 में एक वाकया खासा सुर्खियों में रहा था और वो था इंडियन एयरलाइंस की Flight IC814 का हाइजैक। 26 साल पहले हुआ वाकया आज भी बहुत से लोगों के जहन में है। ये वो केस था जब भारत सरकार माथे पर हाथ रखकर बैठी रही और पांच आतंकवादी भारत की तमाम फोर्सेज की नाक के नीचे से विमान को उड़ाकर अफगानिस्तान ले गए। फिर वहां एक ऐसी डील हुई जिसने भारत को हमेशा के लिए शर्मसार कर दिया।
अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान RAW (रिसर्च एंड एनेलिसिस विंग) के चीफ रहे एएस दुलत ने सालों बाद खुलासा किया था कि हाइजैक से बखूबी निपटा जा सकता था। लेकिन दिल्ली की सरकार कानों में उंगली डालकर बैठी रही। सरकार फैसला ही नहीं कर पाई कि वो करे तो क्या करे। जबकि अगर अमृतसर में विमान को रोक लिया जाता तो वो डील रोकी जा सकती थी। उनका कहना था कि एक बार प्लेन अमृतसर से निकल गया तो डील के सिवाय कुछ नहीं बचा।
24 दिसंबर 1999 को हाइजैक हुई थी Flight IC814
Flight IC814 नेपाल की राजधानी काठमांडू से मुंबई जानी थी। प्लेन जब तक भारत के एयर स्पेस में नहीं पहुंचा तब तक सब कुछ ठीक था। लेकिन जैसे ही प्लेन भारत के इलाके में दाखिल हुआ पांच आतंकी हथियार लहराते हुए खड़े हो गए। 24 दिसंबर 1999 को उन्होंने ऐलान किया कि प्लेन हाइजैक हो चुका है। ये खबर जैसे ही प्लेन से बाहर निकली हड़कंप मच गया। सरकार को पता चल चुका था कि कुछ बहुत बड़ा हो चुका है। तत्काल प्रभाव से कुछ करने की जरूरत थी। लेकिन कुछ नहीं हो सका। आतंकी प्लेन को मुंबई के बजाय पंजाब की तरफ ले गए। पहले उन्होंने प्लेन को लाहौर की तरफ ले जाने को कहा था लेकिन पाकिस्तानी सरकार ने प्लेन को अपने एयर स्पेस में घुसने की अनुमति देने से इन्कार कर दिया। उसके बाद प्लेन को अमृतसर ले जाया गया। वहां उसकी फ्यूलिंग की गई।
50 मिनट तक अमृसर में खड़ा था प्लेन
एक मीडिया हाउस से बातचीत में दुलत ने सारे वाकये को बताया। उनका कहना था कि प्लेन का फ्यूल खत्म होने के कगार पर था। आतंकियों ने क्रू मेंबर्स को कहा कि वो प्लेन को अमृतसर में उतारें। 50 मिनट तक प्लेन वहीं पर खड़ा था। सरकार और दूसरी एजेंसीज को जैसे ही पता लगा कि प्लेन अमृतसर में है तो हाईलेवल की मीटिंग में माथापच्ची होने लगी। सारे इस बात पर माथा मार रहे थे कि ऐसा क्या किया जाए जिससे प्लेन को रोका जा सके। लेकिन कुछ नहीं हुआ।
डीजीपी पर चीखते रह गए दुलत पर वो हिले तक नहीं
दुलत का कहना है कि हाइजैक प्लेन कंधार न पहुंच पाता पर पंजाब सरकार दिल्ली सरीखे अंदाज में कानों में उंगली डालकर बैठी रही। उस दौरान प्रकाश सिंह बादल पंजाब के सीएम थे। दुलत का कहना है कि जब उनको पता चला कि प्लेन अमृतसर में खड़ा है तो पंजाब के डीजीपी सरबजीत सिंह से उन्होंने फोन पर संपर्क किया। दुलत कह रहे थे कि डीजीपी तुरंत एक्शन लेकर प्लेन को अपने इलाके से बाहर जाने से रोकें। सरबजीत सिंह ने उनको जवाब दिया कि वो केपीएस गिल नहीं हैं। वो ऐसा कुछ नहीं करेंगे जिससे उनके ऊपर कोई आंच आए।
डीजीपी बोले थे- दिल्ली कहेगी तो लेंगे एक्शन
बकौल दुलत सरबजीत सिंह का कहना था कि प्रकाश सिंह बादल नहीं चाहते कि उनके इलाके में खून खराबा हो। वो कोई ऐसा हल चाहते हैं जिससे सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे। दुलत फोन पर चीखते रह गए लेकिन डीजीपी अपनी जगह से नहीं हिले। सपाट लहजे में उनका जवाब था कि वो वही कुछ करेंगे जिसकी परमिशन सरकार देगी। अगर दिल्ली कह देती है तो वो फोर्सेज को प्लेन के रास्ते में खड़ा कर देंगे। लेकिन दिल्ली के आदेश के बगैर वो कुछ नहीं करने वाले।
दिल्ली में चलती रहीं मीटिंग्स पर नहीं हुआ कोई फैसला
दुलत का कहना है कि वो खुद भी दिल्ली में मौजूद थे। हम सभी को कुछ ऐसा करना था जिससे प्लेन भारत से बाहर न जा सके लेकिन कुछ नहीं कर पाए। वो कहते हैं कि किसी को इसके लिए जिम्मेदार ठहराना सही नहीं होगा। लेकिन दोष तो सबका ही था। मैं खुद को भी उतना ही जिम्मेदार मानता हूं। मुझे कुछ ऐसा करना था जिससे प्लेन को वहीं पर रोका जा सकता। उनका कहना था कि दिल्ली को पंजाब पुलिस को फरमान जारी करना था कि किसी भी हालत में प्लेन को अमृतसर में ही रोककर रखो। उनका कहना है कि डीजीपी सरबजीत सिंह ने जो कहा वो ठीक ही था। लेकिन दिल्ली कोई फैसला ही नहीं ले सकी तो इसमें कोई क्या कर सकता था।
कंधार में तालिबान के हाथों में थी एयरपोर्ट की कमान
RAW चीफ का कहना है कि हाइजैक के पीछे पाकिस्तान था। आईएसआई ने सारे आपरेशन को अंजाम दिया था। हालांकि ये बात हमारी आफिशियल रिपोर्ट में नहीं कही गई लेकिन एक पाकिस्तानी पत्रकार कंधार में मौजूद था। इससे ज्यादा और क्या सबूत चाहिए। उनका कहना था कि आईएसआई ने कहने पर ही प्लेन हाइजैक हुआ था। वो सारे घटनाक्रम को खुद नियंत्रित कर रही थी। जब प्लेन कंधार पहुंचा तो तालिबान ने सारे एयरपोर्ट को अपने कब्जे में ले लिया था।
27 पैसेंजर्स को दुबई में किया था रिलीज, रूपेन दयाल की लाश भी सौंपी
प्लेन में 190 लोग सवार थे। 179 पैसेंजर्स और 11 क्रू मेंबर्स। अमृतसर के बाद प्लेन लाहौर, दुबई होते हुए 25 दिसंबर को कंधार पहुंचा था। दुबई में आतंकियों ने 27 पैसेंजर्स को रिलीज कर दिया था। रुपेन दयाल नाम के शख्स की डेड बाडी भी भारत सरकार को सौंप दी गई थी। रुपेन को चाकू घोंपकर मौत के घाट उतारा गया था। कंधार में तालिबान ने किसी को भी प्लेन के पास फटकने की अनुमति नहीं दी थी।
भारत ने हाइजैकर्स को सौंपे थे मसूद अजहर समेत 3 आतंकी
भारत ने हाइजैकर्स से बात करने के लिए विवेक काटजू, अजित डोभाल, सीडी सहाय को 27 दिसंबर को कंधार भेजा था। लंबी बातचीत के बाद 31 दिसंबर को ये ड्रामा तब खत्म हुआ जब भारत ने बंधकों को रिहा करने के बदले आतंकी मसूद अजहर, सईद शेख और अहमद जर्गर को छोड़ा। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के तत्कालीन विदेशमंत्री जसवंत सिंह खुद आतंकियों को लेकर कंधार गए थे। हालांकि बाज में इसे लेकर बहुत बवाल मचा कि जसवंत सिंह को वहां जाने की क्या जरूरत थी। सारे आतंकी पाकिस्तान की तरफ चले गए थे। सीबीआई का मानना है कि 2001 के संसद पर हुए हमले का मास्टरमाइंड मसूद अजहर ही था
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