/young-bharat-news/media/media_files/2025/05/24/xUnLZZ5vDVH8iIUrw9r2.jpg)
नई दिल्ली, वाईबीएन। आज से ठीक 54 साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की आवाज में फोन कर स्टेट बैंक के कैशियर से 60 लाख रुपये मंगा लिए गए थे। इस सनसनीखेज जालसाजी ने देश को हिलाकर रख दिया था। बैंकिंग जालसाजी के इतिहास में यह कांड नागरवाला कांड के नाम से कुख्यात है। संसद के गलियारे में आज भी यदा-कदा इस कांड की गूंज सुनाई देती है। पत्रकार प्रकाश पात्रा और राशिद किदवई द्वारा लिखी गई और हाल ही में प्रकाशित 'दी स्कैम दैट शूक दी नेशन' में इस कांड की विस्तार से पड़ताल की गई है।
प्रधानमंत्री का सचिव बनकर बैंक में किया फोन
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, 11 संसद मार्ग, नयी दिल्ली। साल 1971 में 24 मई और दिन था सोमवार। बैंक के हेड कैशियर वेद प्रकाश मल्होत्रा आराम से अपनी कुर्सी पर बैठे थे कि 11 बजकर 45 मिनट पर आए एक फोन ने उनकी जिंदगी में भूचाल ला दिया था। उन्होंने फोन उठाया और हैलो बोला। दूसरी तरफ से आवाज आई 'भारत की प्रधानमंत्री के सचिव हक्सर आपसे बात करना चाहते हैं।' मल्होत्रा ने कहा, 'बात करवाइए।' इसके बाद खुद को हक्सर बताने वाले आदमी ने मल्होत्रा से कहा, 'भारत की प्रधानमंत्री को 60 लाख रुपये चाहिए जो किसी गोपनीय काम के लिए भेजे जाने हैं। वह अपना आदमी आपके पास भेजेंगी और आप उन्हें वो रकम दे सकते हैं।'
हेड कैशियर ने चेक या रसीद मांगी तो इंदिरा गांधी से करा दी बात
हेड कैशियर ने हक्सर से सवाल किया कि यह रकम क्या किसी चेक या रसीद के बदले में दी जाएगी? इस पर उन्हें बताया गया कि यह बेहद जरूरी और गोपनीय काम है। प्रधानमंत्री का ऐसा ही आदेश है। रसीद या चेक बाद में दे दिया जाएगा। इसके बाद उस हक्सर ने मल्होत्रा को समझाया कि रकम कहां और कैसे लेकर जानी है।
लेकिन मल्होत्रा को पहले कभी ऐसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ा था। उन्होंने हकलाते हुए कहा, 'ये बहुत मुश्किल काम है।' इस पर हक्सर ने कहा, 'तो आप भारत की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी से बात करें।' एक ही क्षण बाद मल्होत्रा को फोन पर जानी-पहचानी आवाज सुनाई पड़ी, 'मैं भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी बोल रही हूं।'
इंदिरा की आवाज ऐसी, कि हेड कैशियर को भी नहीं हुआ संदेह
मल्होत्रा को अपने कानों पर यकीन न हुआ कि वह इंदिरा गांधी से बात कर रहे हैं। उन्होंने बाद में अपनी गवाही में भी कहा था कि इंदिरा गांधी की आवाज सुनते ही उन पर 'जादू सा' हो गया था। दूसरी तरफ से आ रही आवाज ने सीधे मुद्दे की बात की, 'मेरे सेक्रेटरी ने जैसा आपको बताया है, बांग्लादेश में एक बहुत ही महत्वपूर्ण और गोपनीय काम के लिए तुरंत 60 लाख रुपये की जरूरत है। तुरंत इसका इंतजाम करवाएं। मैं अपने आदमी को भेज रही हूं। हक्सर ने जो जगह बताई है, आप वहां पर रकम उसके हवाले कर दें।' मल्होत्रा को अब पूरा यकीन हो गया था कि फोन पर दूसरी तरफ भारत की प्रधानमंत्री ही थीं।
कांड का सरगना नागरवाला सेना का रिटायर कैप्टन था
'दी स्कैम दैट शूक दी नेशन' किताब की कहानी इस कांड के सरगना रुस्तम सोहराब नागरवाला के इर्द-गिर्द घूमती है जो भारतीय सेना का एक सेवानिवृत्त कैप्टन था। उसने 1971 में इस कांड को अंजाम दिया था। घटना के कुछ ही घंटों के भीतर नागरवाला को हवाई अड्डे से गिरफ्तार करने के साथ ही लूट की अधिकांश रकम बरामद कर ली गई थी। किताब के पहले अध्याय 'लूट' में हेड कैशियर मल्होत्रा के शब्दों में उस दिन की घटना का रोचक ढंग से ब्योरा दिया गया है। मल्होत्रा कहते हैं कि जब उन्हें यकीन हो गया कि ये प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ही हैं तो उन्हें थोड़ी राहत मिली।
कोड वर्ड में बात होगी, किसी को बताना नहीं
लेकिन मल्होत्रा ने पूछा, 'मैं उस आदमी को पहचानूंगा कैसे?' इस सवाल पर दूसरी तरफ से उन्हें बताया गया, 'वो आदमी आपसे कोड वर्ड में बात करेगा और कहेगा, 'मैं बांग्लादेश का बाबू हूं' और आप जवाब देंगे, 'मैं बार एट लॉ हूं।' इससे पहले हक्सर ने मल्होत्रा को समझाया था, 'इस रकम को फ्री चर्च के पास लेकर जाना, क्योंकि इसे वायुसेना के विमान से बांग्लादेश भेजा जाना है। ये काम तुरंत करना है और बहुत ही जरूरी है। तुम किसी से इसका जिक्र नहीं करोगे और जल्दी आओगे।'
रकम ली और टैक्सी से चला गया, कैशियर ने नंबर नोट कर लिया था
मल्होत्रा ने बैंक के अपने दो जूनियर कैशियर के साथ मिलकर बैंक के स्ट्रांग रूम से इस रकम को निकाला और बैंक की एंबेसेडर कार में उसे ट्रंकों में रखकर बताई गई जगह पर पहुंचे। बाद में पुलिस को दर्ज कराए गए अपने बयान में मल्होत्रा ने कहा था, 'एक लंबी चौड़ी कद-काठी का गोरी रंगत वाला आदमी, जिसने हल्के हरे रंग का हैट पहना हुआ था, मेरी तरफ आया और कोड वर्ड बोला और उसके बाद कहा, चलो चलते हैं।' पंचशील मार्ग के चौराहे पर पहुंचकर उस आदमी ने कहा कि उसे वायुसेना का विमान पकड़ना है और यहां से आगे वह टैक्सी में जाएगा। उसने मल्होत्रा से कहा, 'आप सीधे प्रधानमंत्री आवास पर जाएं। वह आपसे एक बजे मिलेंगी।' मल्होत्रा ने किराये पर ली गई टैक्सी का नंबर डीएलटी 1622नोट कर लिया । इसके बाद मल्होत्रा एंबेसेडर में बैठकर प्रधानमंत्री आवास की ओर चल दिए। अब उन्हें प्रधानमंत्री से रसीद लेनी थी।
पता चलते ही शिकायत और उसके बाद हवाई अड्डे पर हुई गिरफ्तारी
जालसाजी का पता चलते ही चाणक्यपुरी थाने में शिकायत दर्ज करायी गई और एसएचओ हरिदेव ने तुरंत हरकत में आते हुए नागरवाला को दिल्ली हवाई अड्डे से पकड़ लिया। बाद में, नागरवाला को चार साल की सजा हुई, लेकिन तिहाड़ जेल में अचानक दिल का दौरा पड़ने से उसकी मौत हो गई। कुछ समय बाद जांच अधिकारी डी के कश्यप की भी मौत हो गई थी।