नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
Okhla Vidhansabha Seat: ओखला विधानसभा दिल्ली की हॉट सीटों में शामिल है। 2020 में शाहीन बाग के CAA विरोधी प्रदर्शन से ओखला सीट देशभर में सुर्खियों में आई थी। ओखला को आम आदमी पार्टी की सबसे सुरक्षित सीटों में से एक माना जाता है। इस बार यहां दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है। देखना होगा कि इस बार ओखला में कौन बाजी मारता है।
ओखला सीट पर दिलचस्प मुकाबला
ओखला सीट से आम आदमी पार्टी ने अमानतुल्लाह खान को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने अरीबा खान को प्रत्याशी बनाया है। अरीबा कान के पिता आसिफ मुहम्मद खान ओखला से ही 2 बार विधायक रहे हैं। वहीं भाजपा ने मनीष चौधरी को चुनावी मैदान में उतारा है। इसके अलावा असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईम ने दिल्ली दंगा मामले में आरोपित शिफा उर रहमान को मैदान में उतारा है। ऐसे में मुस्लिम वोट बंट सकता है, जिसका फायदा भाजपा को मिल सकता है।
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ओखला विधानसभा का इतिहास
1993 से अब ओखला विधानसभा में हुए 8 चुनावों में भाजपा कभी भी जीत हासिल नहीं कर पायी है। अब तक कोई हिंदू चेहरा भी ओखला में जीत हासिल नहीं कर पाया है। 2015 से ओखला सीट पर आम आदमी पार्टी का कब्जा है। अब आप ने अमानतुल्लाह खान पर एक बार फिर दांव लगाया है। वहीं कांग्रेस भी 4 बार ओखला पर दर्ज कर चुकी है।
ओखला सीट के जातीय समीकरण
ओखला विधानसभा मुस्लिम-बहुल इलाका है। आंकड़ों के मुताबिक यहां 53% मुस्लिम वोटर हैं, जबकि 15% गुर्जर, 9% पूर्वांचली और 5% दलित वोटर हैं। मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
किसका पलड़ा है भारी?
ओखला में मुस्लिम वोटर गेम चेंजर साबित होते हैं, इस वर्ग में आम आदमी पार्टी की मजबूत पैठ है। लेकिन निगम चुनावों में आप का प्रदर्शन खराब रहा है, ऐसे में ओखला में जीत हासिल कर पाना बड़ी चुनौती है। पूर्व विधायक की बेटी पर दांव लगाकर कांग्रेस एक बार फिर अपने गढ़ को वापस पाने की जुगत में है। वहीं भाजपा अपना खाता खोलने की कोशिश कर रही है। इस सीट पर वोटों के ध्रुवीकरण से भाजपा को फायदा मिल सकता है।
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