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Election war: पिछड़ों का वोट चाहिए, लेकिन जाति जनगणना पर मौन साध लेते हैं केजरीवाल

डॉ उदित राज ने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक एवं दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दलित एवं पिछड़ा वर्ग विरोधी बताते हुए कहा कि वह जाति जनगणना जैसे विषय पर अपना नजरिया स्पष्ट नहीं करते।

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Mukesh Pandit
Udit raj

Photograph: (File)

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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क

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एससी / एसटी संगठनों के अखिल भारतीय संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कांग्रेस नेता डॉ उदित राज ने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक एवं दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दलित एवं पिछड़ा वर्ग विरोधी बताते हुए कहा कि वह जाति जनगणना जैसे विषय पर अपना नजरिया स्पष्ट नहीं करते। हाल ही में उन्होंने(केजरीवाल) ने पुजारियों एवं ग्रंथियों को वेतन देने की घोषणा की, लेकिन 314 बुद्ध विहार, 150 वाल्मीकि और रविदासी मंदिरों एवं चर्चों के बारे में ऐसी घोषणा क्यों नहीं की।

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बताएं, 22 प्रतिज्ञाएं दिलाने वाले राजेंद्र पाल का इस्तीफा क्यों लिया

डॉ. उदित राज ने अपना व्यक्त का वीडियो सोशल मीडिया एक्स पर शेयर किया और कहा कि उनकी दलितों के प्रति हमदर्दी सिर्फ दिखावा है। वह अपने और आप के कार्यालय में डा. भीम राव अंबेडकर की तस्वीर लगाते हैं, परंतु जब इनके ही नेता और दिल्ली सरकार में मंत्री रहे राजेंद्र पाल गौतम ने डॉ भीम राव की 22 प्रतिज्ञाओं  को दोहराया तो उनसे इस्तीफा ले लिया गया। उदित राज ने सवाल उठाया कि आम आदमी पार्टी के जितने भी राज्यसभा सदस्य हैं, उनमें एक भी एससी-एसटी अथवा ओबीसी समुदाय से क्यों नहीं है। वे(केजरीवाल) दलित विरोधी हैं। 

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आप पार्टी  दलित विरोधी : उदित

उन्होंने कहा कि केजरीवाल ने हाल ही में पुजारियों और ग्रंथियों को वेतन देने की घोषणा की, लेकिन 314 बुद्ध विहार हैं, करीब 150 वाल्मीकि और रविदासी मंदिर हैं। ढेर सारे चर्च भी हैं- तो इनके लिए ऐसी घोषणा क्यों नहीं की? मंदिर में दान देने की परंपरा है। गुरुद्वारा में समाज सेवा और लंगर के लिए उदारतापूर्वक दान दिया जाता है। बौद्ध विहार, वाल्मीकि और रविदास मंदिर में दान देने वाले नहीं के बराबर हैं। ज्यादातर चर्च ग़रीब बस्तियों और गरीबों द्वारा चलाए जा रहे हैं । केजरीवाल  ने ग्रंथि और पुजारी को ₹18000 प्रति माह देने की घोषणा किया है लेकिन बुद्ध धर्म, भगवान बाल्मीकि, गुरु रविदास के पुजारियों को क्यों नही? कल जंतर मंतर पर धरना है । ये दिखाता है कि आम आदमी पार्टी पिछड़ा और दलित विरोधी है। दलित बच्चों की स्कॉलरशिप स्कीम के प्रचार में 5 करोड़ रुपए खर्च कर दिए। विभागों में लाखों पद खाली पड़े हुए हैं, लेकिन कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को परमानेंट करने के बजाए निजीकरण कर उन्हें घर बैठा दिया। पिछड़ों का वोट चाहिए, लेकिन जाति जनगणना के नाम पर मौन साध लेते हैं।

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